गूगल कर संग्रह में 35 फीसदी बढ़ोतरी | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली October 09, 2020 | | | | |
इक्वलाइजेशन लेवी या गूगल कर संग्रह दूसरी तिमाही के बाद सुधरा है और इसमें 35 फीसदी की भारी-भरकम बढ़ोतरी रही है। हालांकि दो अंकों में गिरावट के साथ कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह का रुझान कमजोर बना हुआ है।
यह डिजिटल कर बाहरी ई-कॉमर्स ऑपरेटरों पर लगाया जाता है। यह दूसरी तिमाही की किस्त की अंतिम तिथि के बाद 738 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि में 545 करोड़ रुपये रहा था। इससे पता चलता है कि शुरुआती विरोध के बाद ज्यादातर बड़ी कंपनियां इस कर का भुगतान करने लगी हैं। यह शुल्क पिछले साल तक केवल डिजिटल विज्ञापन सेवाओं पर लगता था और इसकी दर छह फीसदी थी। सरकार ने इस साल अप्रैल से बाहरी ई-कॉमर्स कंपनियों पर भी 2 फीसदी शुल्क लगा दिया है। इस शुल्क के दायरे में एडोबी, उबर, यूडेमी, जूम डॉट यूएस, एक्सपीडिया, अलीबाबा, आइकिया, लिंक्डइन, स्पॉटीफाई और ईबे आदि आ गई हैं।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक रिफंड घटाने के बाद प्रत्यक्ष कर संग्रह 8 अक्टूबर तक 24 फीसदी सिकुड़कर 3.66 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 4.8 लाख करोड़ रुपये था। सकल संग्रह 23 फीसदी घटकर 4.88 लाख करोड़ रुपये रहा है और रिफंड 8 फीसदी बढ़कर 1.22 लाख करोड़ रुपये रहा है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'यह रुझान पहली तिमाही के दौरान जीडीपी में 24 फीसदी गिरावट के समान है। अनलॉक की प्रक्रिया आगे बढऩे और आर्थिक गतिविधियों के उबरने से अगली तिमाही में सुधार की संभावना है।'
आईटी के केंद्र बेंगलूरु के बाद इस कर का सबसे ज्यादा संग्रह हैदराबाद में रहा। हैदराबाद में गूगल कर संग्रह 60 फीसदी बढ़ा है। हैदराबाद में कर संग्रह 227 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि में 142 करोड़ रुपये था। हालांकि भारत की सिलिकन वैली यानी बेंगलूरु का कुल संग्रह में करीब आधा हिस्सा 351 करोड़ रुपये रहा, मगर वहां वृद्धि पिछले साल के मुकाबले महज 6.3 फीसदी रही।
दिल्ली में इक्वलाइजेशन शुल्क बढ़कर 93 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि में 30 करोड़ रुपये था। इस तरह दिल्ली में इस शुल्क के संग्रह में 210 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई। मुंंबई में संग्रह बढ़कर 47 करोड़ रुपये रहा, जो 2019 में 26.3 करोड़ रुपये था। इक्वलाइजेशन शुल्क की दूसरी किस्त की मियाद 7 अक्टूबर को खत्म हो गई। पहली तिमाही में 7 जुलाई की अंतिम तिथि तक केवल करीब 291 रुपये संग्रहित हुए थे। इस तरह शुल्क का दायरा बढ़ाने के बावजूद कर संग्रह 30 फीसदी घटा था। इसकी वजह यह थी कि बहुत सी बहुराष्ट्रीय कंपनियां कम समय दिए जाने के कारण शुल्क नहीं जमा करा पाईं।
कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह के लिहाज से केवल बेंगलूरु ही ऐसा क्षेत्र है, जहां 1.6 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है। अन्य क्षेत्रों में दो अंकों में गिरावट रही है। मुंबई में प्रत्यक्ष कर संग्रह में 18.7 फीसदी, दिल्ली में 33.3 फीसदी, हैदराबाद में 23 फीसदी, चंडीगढ़ में 37 फीसदी और अहमदाबाद में 32 फीसदी गिरावट रही है। शीर्ष क्षेत्रों में अग्रिम कर संग्रह दूसरी तिमाही में औसतन करीब 25 फीसदी घटा है। इसमें पहली तिमाही में करीब 40 फीसदी गिरावट रही थी।
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