सुधार पर आरबीआई का जोर | अनूप रॉय / मुंबई October 09, 2020 | | | | |
हाल में ही गठित नई मौद्रिक नीति समिति ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में एकमत से नीतिगत दरें यथावत रखने का निर्णय लिया। आज हुई समीक्षा में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ऐसा लगता है कि विषम परिस्थितियां पीछे छूट गई हैं। उन्होंने कहा कि अब कोविड-19 महामारी की रोकथाम पर से ध्यान हटाकर अर्थव्यवस्था को अधिक प्राथमिकता देनी होगी। इस सप्ताह के शुरू में गठित नई छह सदस्यीय मौद्रिक नीति ने तीन दिनों तक चली चर्चा के बाद रीपो दर 4 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। समिति ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर ऋणात्मक 9.5 प्रतिशत रह सकती है और इसके और फिसलने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
आरबीआई गवर्नर ने ऑनलाइन माध्यम से अपने संबोधन में कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार जरूर दिख रहा है और मौजूदा तेजी आगे भी जारी रही तो तेज एवं मजबूत सुधार की पूरी गुंजाइश है। उन्होंने कहा, 'अब हालात थोड़े बदले दिख रहे हैं। इससे ऐसा लग रहा है कि इस कठिन दौर में भी एक मजबूत भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है।' समिति की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि समिति का मानना था कि कोविड-19 से बेहाल अर्थव्यवस्था को उबारना फिलहाल सबसे बड़ी प्राथमिकता है। बयान में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में महंगाई नियंत्रण में रहेगी, इसलिए फिलहाल इस पर ध्यान देने की उतनी जरूरत नहीं है।
दास ने कहा, 'अब तक जो संकेत मिले हैं उनसे लगने लगा है कि पहली तिमाही में आई गिरावट अब अतीत की बात हो गई है और कोविड-19 के मामले कम होने लगे हैं। अगर महामारी ने दूसरी बार सिर नहीं उठाया तो भारत कुछ महीनों में पेश आई कठिनाइयों से निकलकर आगे बढऩे के लिए तैयार है।' दास ने कहा कि आर्थिक सुधार संभवत: तेजी से होगा। उन्होंने कहा कि लगभग हरेक क्षेत्रों में सुधार दिखना शुरू हो गया है। डीबीएस में अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि अगस्त में मौद्रिक नीति समीक्षा में महंगाई को लेकर चिंता जताई गई थी, लेकिन अक्टूबर समीक्षा में आरबीआई का नजरिया पूरी तरह सकारात्मक लग रहा है।
एसबीआई के नव नियुक्त चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा कि आरबीआई की नीति पूरी तरह वृद्धि तेज करने पर केंद्रित है और उसके लिए माकूल दशा तैयार करने का पूरा प्रयास किया गया है। दास ने कहा कि वृद्धि दर तेज बनाए रखने के लिए आरबीआई जब तक जरूरी होगा अपने सभी नीतिगत विकल्प खुले रखेगा।
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