कार की बिक्री ने पकड़ी रफ्तार | टी ई नरसिम्हन / चेन्नई October 08, 2020 | | | | |
करीब छह महीने के बाद यात्री वाहनों की खुदरा बिक्री हरे निशान में लौट आई है और सितंबर 2020 में बिक्री में 9.81 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई। यात्री वाहनों की बिक्री सितंबर 2019 के 1,78,189 वाहनों के मुकाबले सितंबर 2020 में बढ़कर 1,95,665 वाहन हो गई। यात्री वाहनों के अलावा ट्रैक्टर ही एक अन्य क्षेत्र है जिसकी बिक्री बढ़ रही है जबकि बाकी अन्य क्षेत्र लाल निशान में बने हुए हैं। कुल मिलाकर खुदरा बिक्री सितंबर 2020 में 10.24 फीसदी घटकर 13,44,866 वाहन रह गई, जो एक साल पहले 14,98,283 वाहन रही थी।
अगर दोबारा लॉकडाउन की घोषणा नहीं होती है तो डीलरों का अनुमान है कि अक्टूबर-नवंबर के त्योहारी सीजन में भारत में वाहनों की बिक्री की रफ्तार ऊंची रहेगी।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के आंकड़ों के मुताबिक, दोपहिया की बिक्री इस अवधि में 12.62 फीसदी घटकर 10,16,977 वाहन रह गई, जो पहले 11,63,918 वाहन रही थी। वहीं तिपहिया की बिक्री 58.86 फीसदी घटकर 24,060 वाहन रही। उधर, वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री 33.65 फीसदी घटकर 39,600 वाहन रही, जो पहले 59,683 वाहन रही थी। ट्रैक्टर की बिक्री इस अवधि में 80.39 फीसदी बढ़कर एक साल पहले के 38,008 वाहनों के मुकाबले 68,564 वाहन हो गई।
फाडा के अध्यक्ष वी गुलाटी ने कहा, भारत को अनलॉक की सरकार की कोशिश के साथ सितंबर के महीने में वाहनों का पंजीकरण एक महीमे पहले के मुकाबले बढ़ा। गुलाटी ने कहा, पहली बार यात्री वाहनों में सालाना आधार पर सकारात्मक बढ़त देखने को मिली। ग्राहकों के दिमाग में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ सरकार की तरफ से कारोबारी स्थिति सामान्य बनाने की कोशिश और बैंकों की तरफ से वाहन कर्ज देने पर जोर से एंट्री लेवल वाहनों की मांग अच्छी रही, जो सार्वजनिक परिवहन के मुकाबले खुद के वाहन की ग्राहकों की प्राथमिकता बताता है। नई पेशकश और वाहनों की उपलब्धता ने उत्प्रेरक का काम किया। पिछले वित्त वर्ष के कम आधार से भी मदद मिली।
ट्रैक्टर की बिक्री में बढ़त जारी रही क्योंकि खरीफ की बुआई के क्षेत्रफल में पिछले साल के मुकाबले रिकॉर्ड प्रगति हुई। रबी सीजन की अच्छी फसल से किसानों के हाथ में खर्च योग्य रकम होने आदि का भी दोपहिया व छोटे वाहनों के अलावा छोटे वाणिज्यिक वाहनों पर असर दिखा। कुल मिलाकर दोपहिया, तिपहिया और वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री माह दर माह के आधार पर बढ़ी और उसने पिछले साल की बिक्री के बीच का अंतर कम किया। हालांकि फाडा का कहना है कि कोविड के पहले के स्तर पर पहुंचना अभी बाकी है।
उन्होंने कहा, आर्थिक सुधार मोटे तौर पर ग्रामीण भारत तक सीमित रहा और कोविड-19 का असर अभी भी बड़े राज्यों व शहरी केंद्रों पर महसूस किया जा रहा है। देश के इकनॉमिक आउटपुट में आधी हिस्सेदारी रखने वाले बड़े राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और पश्चिम बंगाल में अब सुधार के संकेत नजर आ रहे हैं क्योंकि इन राज्यों में अब आर्थिक गतिविधियां जोर पकड़ रही हैं। इससे वाहनों की मांग सृजित करने में मदद मिली।
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