विश्व बैंक ने बढ़ाया संकुचन का अनुमान | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली October 08, 2020 | | | | |
विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में संकुचन का अनुमान तीन गुना करते हुए पहले के 3.2 प्रतिशत से 9.6 प्रतिशत कर दिया है। खासकर कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन और परिवारों की घटती आमदनी को देखते हुए ऐसा किया गया है। विश्व बैंक ने कहा है कि देश के आधे परिवार झटकों को लेकर प्रभावित हो जाने की स्थिति में हैं, लेकिन सरकार के हाल के सुधारों और सुरक्षा कार्यक्रमों से गरीबी के खिलाफ इसके पहले हुई प्रगति को बचा पाने में मदद मिलेगी।
विश्व बैंक का साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस गुरुवार को जारी हुआ। इसमें लगाया गया अनुमान वैसा ही है, जैसा कि अन्य अर्थशास्त्रियों ने लगाए हैं, लेकिन यह दो अंकों के संकुचन के अनुमानों की तुलना में थोड़ा बेहतर है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महामारी के इलाज और इसके बने रहने को लेकर अभी अनिश्चितता है। ऐसे मेंं परिवारों व फर्मों का व्यवहार लॉकडाउन के हटने के बाद बदला है। साथ ही नई राजकोषीय नीति अपनाई जा सकती है।
बैंक ने कहा है कि भारत में टिकाऊ आर्थिक सुधारों की जररूरत है, जिससे आर्थिक मंदी से निकला जा सके। भारत दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन इसका अनुमानित संकुचन क्षेत्र में सबसे तेज है। मालदीव की अर्थव्यवस्था में 2020 में 1.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। वहीं अन्य देशों- अफगानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान में भारत से कम गिरावट का अनुमान लगाया गया है। बैंक ने अनुमान लगाया है कि पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में 2020 में 7.7 प्रतिशक की गिरावट आएगी, जबकि पहले 2.7 प्रतिशत गिरावट का अनुमान था।
भारत की अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 22 मेंं 5.4 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जिसमें आधार का असर, कोविड से संबंधी प्रतिबंधों और इसके 2022 में पूरी तरह से खत्म होने का अनुमान शामिल है।
घरेलू व वैश्विक गतिविधियां कमजोर रहने का असर भारत के आयात और निर्यात पर पड़ सकता है। ऐसे में वित्त वर्ष 21 में चालू खाते का अधिशेष जीडीपी के 0.7 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है। यह अनुमान ऐसे समय में आया है, जब सितंबर महीने में वाणिज्यिक निर्यात 6 महीने के संकुचन के बाद 5 प्रतिशत बढ़ा है। विश्व बैंंक ने अनुमान लगाया है कि महंगाई दर रिजर्व बैंक के लक्ष्य की सीमा (4 प्रतिशत) के आसपास ही रहेगी। इसमें कहा गया है कि कोविड-19 के झटकों से भारत के राजकोषीय अनुमानों पर असर पड़ेगा। अगर भारत के राज्यों का संयुक्त घाटा 4.5 से 5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया जाए तो सरकार का घाटा सुधार होने के पहले वित्त वर्ष 21 मेंं 12 प्रतिशत से ऊपर पहुंचने का अनुमान है।
इसमें कहा गया है कि रिकवरी की रफ्तार कम होने की वजह से सार्वजनिक ऋण बढ़े रहने का अनुमान है। विस्व बैंंक के वाइस प्रेसीडेंट (दक्षिण एशिया क्षेत्र) हार्टविग शेफर ने कहा, 'कोविड-19 को लेकर भारत की प्रतिक्रिया बहुत तेज और समग्र थी। विश्व बैंक नीतियां, संस्थानें व निवेश मजबूत करने को लेकर सरकार की कवायदों के साथ है।'
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