मौद्रिक नीति समिति के नए सदस्य | श्रीमी चौधरी और अनूप रॉय / नई दिल्ली/मुंबई October 06, 2020 | | | | |
सरकार ने रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के बाह्य सदस्यों के तौर पर जयंत वर्मा (भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद में प्रोफेसर), प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की पूर्व सदस्य आषिमा गोयल और नैशनल काउंसिल फॉर अप्लायड इकोनोमिक रिसर्च में वरिष्ठ सलाहकार शशांक भिडे को नियुक्त किया है। इनके बारे में नीचे विस्तार से जानकारी दी जा रही है।
जयंत आर वर्मा
जयंत आर वर्मा वित्तीय बाजारों में चर्चित विश्लेषक माने जाते हैं। वह मौजूदा समय में भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम), अहमदाबाद में प्रोफेसर हैं और पूंजी बाजार, निर्धारित आय, वैकल्पिक निवेश और कॉरपोरेट फाइनैंस में पाठ्यक्रमों को पढ़ाते हैं। वह तीन साल तक आईआईएम के डीन रहे थे। इससे पहले वह एक साल तक बाजार नियामक सेबी के पूर्णकालिक सदस्य थे। अनुभवी कॉस्ट अकाउंटेंट के तौर पर भी चर्चित प्रो. वर्मा को आईआईएम से शानदार प्रदर्शन के लिए गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था। वह सेकेंडरी मार्केट्स एडवायजरी कमेटी के चेयरमैन रहे हैं और सेबी की कई अन्य समितियों से भी जुड़े रहे। वह पूर्व जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) द्वारा स्थापित कई समितियों के चेयरमैन भी रहे हैं। वर्मा ने वित्तीय क्षेत्र के सुधारों और आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन की अध्यक्षता वाले फाइनैंशियल सेक्टर लेजिस्लेटिव रिफॉम्र्स कमीशन में भी अपना योगदान दिया। वर्मा ऐक्सिस बैंक लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, गुजरात इंटरनैशनल फाइनैंस टेक-सिटी, इन्फोसिस बीपीएम लिमिटेड और पंजाब नैशनल बैंक समेत कई कंपनियों के बोर्ड में भी शामिल रह चुके हैं। उन्होंने कार्यकारी निदेशक के तौर पर एक बड़ी वित्तीय सेवा कंपनी के साथ भी एक साल तक काम किया, जहां उन्होंने म्युचुअल फंड के लिए निवेश एवं शोध की जिम्मेदारी संभाली थी।
आशिमा गोयल
आशिमा गोयल मौद्रिक नीति निर्माण में अनुभवी हैं। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) में स्वतंत्र सदस्य के तौर पर उनकी नियुक्ति अर्थशास्त्रियों के लिए आश्चर्यजनक नहीं है और इसकी उम्मीद जताई जा रही थी।
वह भारत में उन कुछ स्वतंत्र अर्थशास्त्रियों में से एक हैं जिन्हें वृहद अर्थव्यवस्था और मौद्रिक नीति शोध के क्षेत्र में अच्छी समझ है। आशिमा नीतिगत मामलों पर आरबीआई गवर्नर को परामर्श मुहैया कराने वाली तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसी) की सदस्य थीं। उन्होंने विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के लिए भी परामर्श मुहैया कराया है। आशिमा प्रख्यात इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च (आईजीआईडीआर) में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं और वहां वह मुख्य तौर पर वृहद अर्थव्यवस्था के बारे में पढ़ाती हैं। वह प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) की भी सदस्य रह चुकी हैं। एमपीसी में अपनी नियुक्ति के बाद उन्होंने इस परिषद से इस्तीफा दे दिया।
उनसे मीडिया द्वारा अक्सर मौद्रिक नीति पर उनके विचारों के बारे में पूछा जाता रहा है और यदि एमपीसी परिणाम के विरोध की बात हो तो उनका जवाब पीएमईएसी सदस्य के विचार के तौर पर देखा जाता है। उनके शोध एवं हितों के क्षेत्रों में मुक्त अर्थव्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय वित्त, वित्तीय बाजार और नियमन, संस्थान एवं विकास शामिल हैं।
शशांक भिडे
शशांक भिडे को कृषि, वृहद अर्थव्यवस्था मॉडलिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर और गरीबी विश्लेषण जैसे कई क्षेत्रों में गहन शोध अनुभव हासिल है। वह मौजूदा समय में नैशनल काउंसिल फॉर अप्लायड इकोनोमिक रिसर्च (एनसीएईआर) में वरिष्ठ सलाहकार हैं। उन्होंने बेंगलूरु में इंस्टीट्यूट फॉर सोशल ऐंड इकोनोमिक चेंज के संचालन परिषद के सदस्य के तौर पर भी काम किया है। उन्होंने वृहद आर्थिक मामलों, कृषि और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर कई लेखों और पुस्तकों, और राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों में पुस्तक अध्यायों को भी प्रकाशित कराया है।भिडे 80 के दशक में अमेरिका के आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी के कृषि एवं ग्रामीण विकास केंद्र में स्टाफ इकोनोमिस्ट के तौर पर भी काम कर चुके हैं। 1998-1999 में, वह आस्ट्रेलिया साउथ एशिया रिसर्च सेंटर, रिसर्च स्कूल ऑफ पैसीफिक ऐंड एशियन स्टडीज, आस्ट्रेलियन नैशनल यूनिवॢसटी, कैनबरा में विजिटिंग फेलो थे। र्ष 2003 में बेंगलूरु में इंस्टीट्यूट फॉर सोशल ऐंड इकोनोमिक चेंज में आरबीआई यूनिट के प्रमुख की कमान संभाली थी। वर्ष 2014 और 2018 के बीच वह चेन्नई में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज में निदेशक थे।
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