बेवजह क्रेडिट स्कोर घटने पर शिकायत दर्ज कराएं | बिंदिशा सारंग / October 04, 2020 | | | | |
कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) का भुगतान टालने की मियाद (मॉरेटोरियम) 31 अगस्त को समाप्त हो गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मॉरेटोरियम की सुविधा देते वक्त कहा था कि इस अवधि में भुगतान नहीं करने पर कर्जदाताओं की साख (क्रेडिट स्कोर) पर कोई असर नहीं होगा। केंद्रीय बैंक की इस घोषणा के बाद कई कर्जधारकों ने 31 अगस्त तक मासिक किस्तों का भुगतान नहीं किया था। इक्विटीफैक्स इंडिया में बिजनेस डेवलपमेंट ऐंड स्ट्रैटेजी लीडर, मनु सहगल कहते हैं,'आरबीआई ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि मॉरेटोरियम के दौरान कर्ज भुगतान नहीं करना डिफॉल्ट (चूक) नहीं माना जाएगा और कर्जदाता इस संबंध में क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों (सीआईसी) को कोई रिपोर्ट नहीं देंगे।'
अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि आरबीआई के दिशानिर्देश के बावजूद मॉरेटोरियम का लाभ लेने के बाद कई कर्जधारकों के क्रेडिट स्कोर में कमी आई है। इस बारे में सिबिल के एक प्रवक्ता ने कहा, 'मोटे तौर पर वित्तीय संस्थान क्रेडिट ब्यूरो को रिपोर्ट देते वक्त मॉरेटोरियम की सुविधा लेने वाले ग्राहकों का जिक्र नहीं करते हैं।' इस तरह क्रेडिट ब्यूरो को यह नहीं मालूम होता है कि किस ग्राहक ने मॉरेटोरियम का लाभ लिया है और किसने नहीं। अगर आप भी उन लोगों में शामिल हैं जिनका क्रेडिट स्कोर फिसला है तो इसकी वजह जानने की कोशिश करें। सहगल कहते हैं, 'आपके क्रेडिट स्कोर में कई कारणों से गिरावट आई होगी। मसलन नए कर्ज के लिए आवेदन करने से भी साख पर असर पड़ता है।' अगर आपने लॉकडाउन के दौरान केवल एक ही तरह का (सुरक्षित या असुरक्षित) कर्ज लिया है तो इससे आपके स्कोर पर असर होगा। ग्राहकों के खाते में दोनों तरह के कर्ज हों तो यह उनकी साख के लिए अच्छा माना जाता है। एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के प्रवक्ता ने क्रेडिट स्कोर में कमी आने की कुछ दूसरी भी वजह भी बताई। उन्होंने कहा, 'पहली बात तो आपने यह सोचकर भी भुगतान नहीं किया होगा कि मॉरेटोरियम का सुविधा स्वत: ही मिल गई है, जबकि ऐसा नहीं था। दरअसल किसे मॉरेटोरियम दिया जाए इसका फैसला बैंकों को करना था। ऐसे में आपने भुगतान नहीं किया होगा और कर्जदाता ने इसकी सूचना क्रेडिट ब्यूरो को दे दी होगी। कई लोग इस गलतफहमी में भी रह गए कि पहले चरण में मॉरेटोरियम लेने से दूसरे चरण में मॉरेटोरियम की सुविधा स्वत: ही मिल जाएगी। वित्तीय संस्थान से भी गलती हो सकती है और जो असामान्य बात नहीं है।' अगर आपका क्रेडिट स्कोर कम हो गया है तो अपनी रिपोर्ट मंगाकर त्रुटियों की पड़ताल करें और उसके बाद आगे कदम उठाने के बारे में सोचें।
अगर आपने सभी भुगतान समय पर किए हैं या मॉरेटोरियम की सुविधा ली है और इसके बाद भी क्रेडिट स्कोर कम हुआ है तो इसे दुरुस्त किया जा सकता है। सीआरआईएफ हाई मार्क के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) नवीन चंदानी कहते हैं,'रिपोर्ट में त्रुटि का पता लगने के बाद रिपोर्ट आईडी के साथ हमें ई-मेल करें। ई-मेल सबजेक्ट में रेफरेंस नंबर का उल्लेख करें। इसके बाद नीचे त्रुटि का जिक्र करें, मसलन क्रेडिट रिपोर्ट में खाते की क्रम संख्या, जिसे लेकर विवाद है उस खाते की जानकारी, अपना कॉन्टैक्ट नंबर और नाम दर्ज करें।' ज्यादातर विवाद दो हफ्तों में निपट जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों का समाधान होने में 30 दिनों तक का समय लग सकता है। सभी क्रेडिट ब्यूरो को ऑनलाइन शिकायत भेजी जा सकती है। आस्कक्रेड की संस्थापक एवं सीईओ आरती खन्ना कहती हैं, 'रिपोर्ट में किसी तरह की अनियमितता दिखने पर बैंक और संबंधित ब्यूरो के साथ एक साथ संपर्क करें।' शिकायत मिलने के बाद ब्यूरो कर्जदाता से संपर्क साधता है जिसके बाद संबंधित वित्तीय संस्थान या बैंक मामले की तहकीकात करता है। छानबीन के बाद पाए गए तथ्यों के आधार पर कर्जदाता शिकायत स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है। शिकायत स्वीकार होने पर खामी दुरुस्त की जाती है। कर्जदाता की लिखित अनुमति के बिना के्रडिट ब्यूरो आंकड़े में किसी तरह का बदलाव नहीं कर सकते हैं।
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