ई-चौपाल से कृषि आय में उछाल | ईशिता आयान दत्त / कोलकाता October 02, 2020 | | | | |
हाल में ही प्रभावी हुए कृषि कानूनों से इस बात पर चर्चा छिड़ गई है कि क्या कृषि उत्पादों की खरीदारी में कंपनियों के सीधे शरीक होने से वाकई किसानों की आय बढ़ेगी। देश की बड़ी कंपनियों की फेहरिस्त में शुमार आईटीसी का दावा है कि उसने यह पहले ही साबित कर दिया है कि कृषि क्षेत्र में कंपनियों के आने से सभी का फायदा है।
कंपनी ने इसके लिए अपने नामचीन ई-चौपाल ढांचे का जिक्र किया। आईटीसी ने कहा कि किसानों ने ई-चौपाल की मदद से 50 प्रतिशत तक अधिक आय अर्जित की है। कंपनी ई-चौपाल के माध्यम से कृषि उत्पादों की सीधी खरीदारी करती है। आईटीसी की इस व्यवस्था की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों तरह की सुविधाएं देती हैं। एक ओर जहां किसानों को उत्पादन में बढ़ोतरी और अधिक मूल्यों से लाभ मिला है, वहीं आपूर्ति श्रृंखला में फिजूल खर्च बचने से कृषि उत्पादों की खरीद पर आईटीसी को कम लागत का लाभ मिल रहा है। कंपनी 22 राज्यों के 225 जिलोंं से 30 लाख टन से अधिक कृषि उत्पाद खरीदती है, जिनमें करीब दो तिहाई हिस्सा इसके ई-चौपाल के माध्यम से आता है। पिछले कई वर्षों से उच्च गुणवत्ता वाले गेहंू, आलू, फल, दूध सहित सब्जियों के उत्पादन के लिए आईटीसी ई-चौपाल के माध्यम से किसानों का साथ दे रही है। कंपनी का दावा है कि इस व्यवस्था से सभी को लाभ मिल रहा है। ई-चौपाल को 20 साल हो गए हैं और यह आईटीसी को लागत 6 से 10 प्रतिशत कम करने में मदद कर रहा है। दूसरी तरफ, किसान भी कारगर तकनीकों एवं पुख्ता उपायों की मदद से उत्पादन 10 से 25 प्रतिशत तक बढ़ाने में सक्षम रहे हैं, जिससे उनकी आय 50 प्रतिशत तक बढ़ गई है। आईटीसी का कहना है कि ये फायदे किसानों को निरंतर मिलते हैं न कि किसी खास समय के लिए होते हैं।
कुछ परियोजनाओं से तो किसानों को 50 प्रतिशत से अधिक आय अर्जित करने में मदद मिली है। आईटीसी में कृषि एवं आईटी कारोबार समूह प्रमुख शिवकुमार ने कहा कि 'बारह महीने हरियाली' जैसी योजनाओं ने साबित कर दिया है कि विभिन्न उपायों की मदद से उनमें किसानों की आय दोगुनी करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि ई-चौपाल की मदद से किसानों को उनके गांवों में ही उपज की अच्छी कीमत मिल जाती है। शिवकुमार ने कहा, 'वैज्ञानिक तरीके से गुणवता परीक्षण और क्रय केंद्रों पर डिजिटल माध्मय से वजन मापने से 4 से 5 प्रतिशत का अतिरिक्त लाभ मिल जाता है।' कृषि कानूनों पर हो रहे हंगामे पर शिवकुमार ने कहा कि किसानों को कहीं भी उनके उत्पाद बेचने की अनुमति मिलने के बाद विभिन्न खरीदारों की आपसी प्रतिस्पद्र्धा किसानों को अधिक से अधिक कीमत दिलाएगी।
उन्होंने कहा, 'आवश्यक जिंस अधिनियम से कुछ उपज को बाहर किए जाने के बाद प्रतिस्पद्र्धा और बढ़ेगी। हालांकि एपीएमसी पहले की तरह ही काम करते रहेंगे, लेकिन किसान कृषि उत्पाद कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे।' एक दिलचस्प बात यह है कि कृषि सुधारों के अभाव, निर्यात पर पाबंदी, सब्सिडी, भंडार नियंत्रण, कृषि जिंस के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध और एपीएमसी अधिनियम में धीमे संशोधन से 2008-08 में आईटीसी के ई-चौपाल की रफ्तार कम हो गई थी। इससे कंपनी को सेवाओं का दायरा बढऩा पड़ा था।
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