अपने ग्रुप पॉलिसी कवर के बारे में रखें सही जानकारी | संजय कुमार सिंह / October 02, 2020 | | | | |
हाल में मुंबई के एक ऐसे सेवानिवृत्त व्यक्ति की खबर आई थी, जिन्हें अपने नियोक्ता से समूह स्वास्थ्य बीमा कवर मिला हुआ था। उन्हें बताया गया था कि उनके माता-पिता भी पॉलिसी में कवर हैं और इसके लिए उन्होंने अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान भी किया था। उनकी कंपनी ने उनकी मां के इलाज के लिए एक बार उन्हें रीइंबर्स भी किया था। लेकिन कुछ समय बाद जब उन्होंने अपने पिता के इलाज के रीइंबर्समेंट के लिए कहा तो कंपनी ने इनकार कर दिया। साथ ही यह भी कहा कि पॉलिसी में माता-पिता शामिल नहीं हैं, इसलिए वह अपनी मां के इलाज के लिए प्राप्त धनराशि भी वापस करें। खुशकिस्मती से जिला उपभोक्ता विवाद निपटान फोरम इस सेवानिवृत्त कर्मचारी के बचाव में उतरी और नियोक्ता को उन्हें हर्जाना देने को कहा।
यह धारणा हमें सीख देती है कि जो भी व्यक्ति समूह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का हिस्सा है, उसे मानव संसाधन विभाग से यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि परिवार के कौनसे सदस्य कवर हैं, विशेष रूप से सेवानिवृत्ति के बाद। बेशक डॉट ओआरजी के संस्थापक महावीर चोपड़ा ने कहा, 'सार्वजनिक क्षेत्र की कुछेक कंपनियां ही सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराती हैं।'
सेवनिवृत्ति के बाद तीन स्थितियां बनना मुमकिन है। स्टार हेल्थ ऐंड अलाइड इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एस प्रकाश ने कहा, 'पहला, नियोक्ता का स्वास्थ्य कवर खत्म हो जाए। दूसरा, यह पॉलिसी की अवधि तक जारी रह सकता है। तीसरा, यह संभव है कि आपकी कंपनी ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए ऐसी ग्रुप पॉलिसी बनाई हो, जिससे आप जुड़ सकते हैं।' वह कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद आपके माता-पिता शामिल होंगे या नहीं, यह हरेक कंपनी की पॉलिसी पर निर्भर करता है।
कवर लेना आसान
ग्रुप पॉलिसी में प्रवेश से संबंधित अड़चनें कम हैं। एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के प्रमुख (अंडरराइटिंग ऐंड रीइंश्योरेंस) सुब्रमण्यम ब्रह्माजोसयुला ने कहा, 'जब आप खुदरा स्वास्थ्य पॉलिसी लेने जाते हैं तो बीमा कंपनी स्वास्थ्य जांच करती है।' यह विशेष रूप से बूढ़े लोगों पर ज्यादा लागू होता है। ग्रुप पॉलिसी में इससे छुटकारा मिल जाता है। मणिपालसिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी प्रसून सिकदर ने कहा, 'ग्रुप पॉलिसी में नामांकन प्रक्रिया छोटी और आसान है।' ग्रुप पॉलिसी में पहले से मौजूद बीमारियों के लिए दो से चार साल का वेटिंग पीरियड नहीं है, लेकिन यह खुदरा पॉलिसी में होता है।
खुदरा पॉलिसी एकसमान होती हैं। मर्सर मार्स बेनिफिट्स इंडिया में कर्मचारी स्वास्थ्य एवं लाभ लीडर प्रवाल कालिता ने कहा, 'ग्रुप पॉलिसी हमेशा समूह की जरूरत के हिसाब से बनाई जाती है।'
आपकी निकासी के बाद कोई कवर नहीं
सबसे बड़ी कमी यह है कि व्यक्ति के समूह का सदस्य न रहने पर उसे कवर नहीं मिलता है। वहीं, बीमित राशि कम होती है। प्रीमियम को लेकर हर साल मोलभाव किया जाता है। चोपड़ा ने कहा, 'अगर आपके संगठन में बजट से संबंधित दिक्कत है तो पॉलिसी के लाभ कम किए जा सकते हैं।'
पोर्टेबिलिटी के विकल्प को अपनाएं
कोविड संकट के कारण बहुत से लोग अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। वे समूह से निकासी के समय उसी बीमा कंपनी के व्यक्तिगत कवर में पोर्ट करा सकते हैं। कालिता ने कहा, 'पोर्ट कराने से आपको निरंतरता का लाभ मिलता है। माना कि खुदरा पॉलिसी में पहले से मौजूद बीमारियों के लिए चार साल का वेटिंग पीरियड है। अगर आप उस ग्रुप पॉलिसी में तीन साल बिता चुके हैं तो आपको व्यक्तिगत पॉलिसी में पहले से मौजूद बीमारियों के लिए एक साल का वेटिंग पीरियड ही पूरा करने की जरूरत होगी।'
हालांकि पोर्टेबिलिटी के आवेदन खारिज किए जा सकते हैं। चोपड़ा आगाह करते हैं, 'बीमा कंपनियां स्वास्थ्य जांच के लिए कह सकती हैं और स्वास्थ्य से संबंधित कोई बड़ी समस्या का खुलासा करने पर पोर्टेबिलिटी से इनकार कर सकती हैं।' इसलिए अपना बेस कवर खरीदना अत्यंत जरूरी है।
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