सितंबर तिमाही में नई परियोजनाएं कम आईं | सचिन मामबटा / मुंबई October 01, 2020 | | | | |
देश में चरणबद्ध तरीके से अर्थव्यवस्था को लगातार अनलॉक किए जाने के बावजूद सितंबर तिमाही के दौरान नई परियोजनाओं के मूल्य में गिरावट आई है। सितंबर के दौरान 0.59 लाख करोड़ रुपये की नई परियोजनाएं नजर आई हैं जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 81.9 प्रतिशत कम है। परियोजनाओं पर नजर रखने वाले आर्थिक शोध संस्थान सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी (सीएमआईई) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। यह जून तिमाही के 0.69 लाख करोड़ रुपये की तुलना में भी 14.5 प्रतिशत कम है। देश में वैश्विक महामारी कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए मार्च में लॉकडाउन की शुरुआत की गई थी। अनलॉक की शुरुआत 8 जून से हुई थी। अनलॉक की प्रक्रिया में धीरे-धीरे इजाफा किया जाता रहा है। हाल ही में 30 सितंबर के दिशानिर्देशों में सिनेमाघरों, थिएटरों और मल्टीप्लेक्स को भी 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोलने की अनुमति दी गई है।
पूरी होने वाली परियोजनाओं में जून तिमाही के मुकाबले 29.2 प्रतिशत का सुधार देखा गया जिनका मूल्य 0.31 लाख करोड़ रुपये है। अलबत्ता पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में यह 63.5 प्रतिशत कम है।
केयर रेटिंग्स के मुय अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि बहुत ज्यादा गतिविधियां नहीं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि मॉनसून प्राय: निर्माण और नई परियोजनाओं को प्रभावित करता है, लेकिन मौसम संबंधी मसलों को ध्यान में रखने के बावजूद स्थिति निराशाजनक है। अधिकांश कंपनियों में मांग पूरी करने के वास्ते वस्तु विनिर्माण के लिए कारखानों में जरूरत से ज्यादा क्षमता है। इसका मतलब यह है कि मौजूदा अनिश्चितता के बीच नई इकाइयों को स्थापित करने के लिए उनके पास प्रोत्साहन की कमी है। उन्होंने कहा कि मांग भी कमजोर रही है, क्योंकि लोग महामारी के आर्थिक प्रभाव झेल रहे थे।
वैलिडस वेल्थ के मुख्य निवेश अधिकारी राजेश चेरुवू ने कहा कि मौजूदा उपयोगिता स्तर कम है। उन्होंने कहा कि जब उपयोगिता स्तर 75 से 80 प्रतिशत के आसपास होता है, तो आम तौर पर इस बात की संभावना रहती है कि कंपनियां नया निवेश करेंगी। भारतीय रिजर्व बैंक के ऑर्डर बुक्स, इन्वेंटरीज ऐंड कैपेसिटी यूटिलाइजेशन सर्वेक्षण के अनुसार भारत में इस वैश्विक महामारी की ज्यादा मार होने से पहले ही मार्च तिमाही में मौसम संबंधी क्षमता उपयोगिता का स्तर 68.3 प्रतिशत था। कुछ चुनिंदा खंडों में सुधार देखने को मिल सकता है। चेरुवू ने कहा कि इसमें रसायन और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्र शामिल रहेंगे जिन्होंने आयात पर निर्भरता कम करने के लिए कुछ देशी प्रक्रियाओं की ओर कदम बढ़ाए हैं। उनके अनुसार चार से छह तिमाहियों में व्यापक सुधार हो सकता है।
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