चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में दर्ज की गई शानदार तेजी के बाद विश्लेषक अब बाजारों पर सतर्कता बरत रहे हैं और उनका मानना है कि वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही में उतार-चढ़ाव रहेगा। अगले कुछ महीनों के लिए कई योजनाओं और घटनाक्रम को देखते हुए उनका मानना है कि बाजार अनिश्चितता के दौर में प्रवेश कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही कोविड-19 महामारी के प्रसार की वजह से लागू हुए देशव्यापी लॉकडाउन के साथ अर्थव्यवस्था और बाजारों के लिए कमजोरी के साथ शुरू हुई। इस महामारी का गंभीर प्रभाव दिखा है। फिर भी इक्विटी बाजार अच्छी तेजी दर्ज करने में सफल रहे हैं और प्रमुख सूचकांकों - सेंसेक्स और निफ्टी50 में इस अवधि के दौरान 29 प्रतिशत और 31 प्रतिशत की तेजी आई है। पहली छमाही में तेजी 2008-09 (वित्त वर्ष 2009 की पहली छमाही) के बाद से सर्वाधिक ज्यादा है। वित्त वर्ष 2009 की पहली छमाही में इन दोनों सूचकांकों में 76 और 68 प्रतिशत की तेजी आई थी। वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही की तेजी नकदी की प्रचुरता की वजह से भी आई है। आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजारों में 76,253 करोड़ रुपये लगाए हैं। दूसरी तरफ, घरेलू निवेशकों ने इस अवधि के दौरान 25,279 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की। मेबैंक किम इंग सिक्योरिटीज के मुख्य कार्याधिकारी जिगर शाह ने कहा, 'अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम ऐसा एक घटनाक्रम है जिस पर बाजारों की नजर लगी रहेगी। इसके अलावा, इस पर ध्यान देने की जरूरत होगी कि बाजारों और अर्थव्यवस्था को केंद्रीय बैंक नकदी से कितने समय तक मदद मिल सकती है। बाजार मौजूदा समय में वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 की आय पर ध्यान दे रहे हैं। आदर्श तौर पर, तब बाजार मौजूदा स्तरों से कम से कम 20-30 प्रतिशत नीचे रह सकते हैं। वह रक्षात्मक क्षेत्रों को पसंद कर रहे हैं और आईटी, फार्मा, उपभोक्ता क्षेत्रों का प्रदर्शन अच्छा रहने की सभावना है। इसके अलावा, वह दूरसंचार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था केंद्रित क्षेत्रों को भी पसंद कर रहे हैं।' हालांकि आर्थिक सुधार की राह कमजोर बनी हुई है और अर्थशास्त्री वस्तु एवं सेवाओं के लिए मांग को लेकर पहले ही सतर्कता बरत रहे हैं।
