दूसरे टीकों के काम पर असर | |
सोहिनी दास / 09 30, 2020 | | | | |
कोविड-19 का टीका खोज निकालने की जद्दोजहद में टीका बनाने वाली घरेलू कंपनियों को दूसरी दवाओं के निर्माण के लिए तैयार क्षमताएं भी न्यौछावर करनी पड़ रही हैं। जो कंपनियां ऐसा नहीं कर पा रही हैं वे नए टीकों के विकास की चल रही मौजूदा प्रक्रिया किनारे कर कोविड-19 का टीका खोज निकालने में जुटीं हैं। सीआईआई लाइफ साइंसेस कॉन्क्लेव 2020 में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के कार्यकारी निदेशक ने कहा कि उन्होंने अपने उत्पादों की संभावित सूची में विस्तार की योजना पहले ही तैयार कर रखी थी। जाधव ने कहा,'करीब आधा दर्जन नए उत्पादों का विकास हो रहा है और लाइसेंस मिलने तक की पूरी पक्रिया में 5 से 7 वर्षों तक का समय लग जाता है। लिहाजा, हमने उत्पादों की संख्या में विस्तार की योजना पहले ही तैयार कर रखी थी।' उन्होंने कहा कि अगर कोविड-19 टीकों की मांग लंगे समय तक रही तो उन्हें अपनी नई दवाओं के लिए अलग से क्षमताएं तैयार करनी होंगी। जाधव ने यह भी कहा कि अगर कोविड टीके की मांग कम हो जाती है तो नई क्षमताओं का इस्तेमाल नई दवाओं के विकास के लिए किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है जब सरकार ने टीकों के परीक्षण के बीच दवाओं का भंडार जमा करने की अनुमति दे दी है। तैयार खुराक
की संख्या के आधार पर एसआईआई दुनिया की सबसे बड़ी टीका बनाने वाली कंपनी है। कंपनी 1.8 से 1.9 अरब डॉलर खुराक बनाने की क्षमता हासिल कर चुकी है। पहले यह 1.6 अरब खुराक तैयार कर रही थी। पुणे स्थिति इस कंपनी ने कोविड-19 टीके के लिए कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ समझौते किए हैं। कंपनी 2020 के अंत तक 1.9 अरब खुराक विकसित करने की क्षमता विकसित करना चाहती है।
टीका बनाने वाली देश की एक दूसरी अग्रणी कंपनी भारत बायोटेक का मानना है कि टीका बनाने वाली कंपनियां दूसरी दवाओं के लिए तैयार क्षमता का इस्तेमाल कोविड-19 का टीका विकसित करने में कर रही हैं। कंपनी कोविड-19 के संभावित टीके कोवैकिसन का इस समय परीक्षण कर रही है। कंपनी में गुणवत्ता परिचालन प्रभारी साई प्रसाद ने कहा कि मध्य एवं उच्च आय वाले देशों से उनके टीके खरीदने के लिए कंपनी बात कर रही है। प्रसाद ने कहा कि इससे टीका विकास के लिए आवश्यक रकम भी उपलब्ध हो जाएगी। उन्होंने कहा,'अगर शोध पक्रिया जारी नहीं रहती है तो फिर भविष्य के शोध्ध के लिए रकम जुटाना किसी चुनौती से कम नहीं है। '
हैदराबाद स्थित कंपनी इंडियन इम्युनोलॉजिकल्स लिमिटेड (आईआईएल) ने हाल में ही दवा उत्पाद के लिए 20 करोड़ खुराक निर्माण की सालाना क्षमता वाला संयंत्र स्थापित किया हैै। आईआईएल के प्रबंध निदेशक आनंद कुमार ने कहा कि इसके साथ ही कंपनी दवा तत्वों के लिए एक विनिर्माण संयंत्र भी तैयार कर रही है। दवा तत्वों का इस्तेमाल टीका बनाने में होता है। ये तत्व जीवाणु कोशिका, विषाणु, परजीवी या रोगाणु आदि हो सकते हैं। कंपनी भी अपने कोविड-19 का टीका तैयार करने में जुटी है। उन्होंने कहा,'ये सभी संयंत्र विभिन्न उत्पादों के लिए हैं। किसी एक खास दवा के लिए कोई खास संयंत्र नहीं बना सकता।'
टीका उद्योग का मोटे तौर मानना है कि दो उपायों से टीका खंड में नवाचार को बढ़ावा दिया जा सकता है। पहला तरीका उत्पाद की कीमत अधिक रखने का हो सकता है, लेकिन इसका जोखिम यह है कि कई लोग ऐसे महंगे उत्पाद का लाभ नहीं ले पाएंगे। दूसरी उपाय के तहत अगर सरकार एक निश्चित दाम पर निश्चित मात्रा में खुराक खरीदने का वादा करती है तो भी बात बन सकती है। एक भारतीय टीका निर्माता कंपनी ने कहा,'सरकार से इस तरह के आश्वासन नहीं होने की स्थिति में नई दवा के विकास के लिए 200 से 300 करोड़ रुपये का जोखिम लेना टीका बनाने वाली कंपनियों के लिए महंगा साबित हो सकता है।'
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