हटाए गए धनलक्ष्मी बैंक के सीईओ | टीई नरसिम्हन / चेन्नई September 30, 2020 | | | | |
धनलक्ष्मी बैंक के शेयरधारकों ने सालाना आम बैठक में आज बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी सुनील गुरबख्शानी को पद से हटाने के पक्ष में मत दिया। एक हफ्ते के अंदर निजी क्षेत्र का यह दूसरा बैंक है जिसमें मुख्य कार्याधिकारी को शेयरधारकों द्वारा हटाया गया है। इससे पहले लक्ष्मी विलास बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी एस सुंदर को हटाने के लिए करीब 60 फीसदी शेयरधारकों ने मत दिया था।
गुरबख्शानी की नियुक्ति के खिलाफ 90 फीसदी से ज्यादा शेयरधारकों ने मत दिए। बैंक ने उन 10 प्रस्तावों के बारे में बंबई स्टॉक एक्सचेंज को जानकारी दी है, जिसके खिलाफ शेयरधारकों ने मत दिया था। हालांकि शेयरधारकों ने गोपीनाथ सीके, जी सुब्रमण्य अय्यर, कैप्टन सुशील मेनन आर, जी राजगोपालन नैयर और पीके विजयकुमार को निदेशक के तौर पर नियुक्ति को अपनी मंजूरी दी है।
गुरबख्शानी को फरवरी, 2020 में बैंक का मुख्य कार्याधिकारी बनाया गया था। उनके पास बैंकिंग क्षेत्र में काम करने का 35 साल का लंबा अनुभव है और वे भारतीय स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर ऐंड जयपुर तथा ऐक्सिस बैंक में भी काम कर चुके हैं।
धनलक्ष्मी बैंक भी लक्ष्मी विलास बैंक की तरह संचालन की समस्या का सामना कर रहा है। लेकिन उसकी वित्तीय स्थिति लक्ष्मी विलास बैंक की तुलना में बेहतर है।
गुरबख्शानी के विरोध में मत देने वाले शेयरधारकों ने कहा कि उन्हें बैंक के एक बार फिर गलत दिशा में जाने का डर था। बैंक को सुदृढ़ बनाने के बजाय उसके कारोबारी प्रोफाइल में बदलाव का प्रयास किया जा रहा था, जिससे बैंक की मुश्किलें बढ़ सकती थीं। कुछ कर्मचारी जो शेयरधारक भी हैं, उन्होंने भी उनकी नियुक्ति के खिलाफ मत दिया है। हालांकि गुरबख्शानी का समर्थन करने वाले शेयरधारकों का कहना है कि एक वरिष्ठ अधिकारी के प्रभाव में आकर शेयरधारकों ने विरोध में मद दिया है। उक्त अधिकारी को हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस्तीफा देने को बाध्य किया गया था। सूत्रों ने कहा बैंक के मुख्य महाप्रबंधक को नियामक ने इसलिए इस्तीफा देने को कहा था क्योंकि कारोबारी संचालन के मानदंड का सही तरीके से अनुपालन नहीं हो रहा था। बिजनेस स्टैंडर्ड ने बैंक के बोर्ड से जुड़े लोगों और कुछ शेयरधारकों से बात की। इस बारे में उनका कहना था कि यह बहुलांश शेयरधारकों द्वारा अधिकारों का संघर्ष है। ताजा घटनाक्रम को देखते हुए आरबीआई बैंक के मामले में हस्तक्षेप कर सकता है। सूत्रों ने कहा कि बैंक का कोई एक प्रवर्तक नहीं है लेकिन केरल के एक कारोबारी के पास बड़ी हिस्सेदारी है, जो बैंक के परिचालन को प्रभावित करता है।
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