आयकर आयुक्त (अपील) तक के स्तर के सभी अपील आज से फेसलेस होंगे। गंभीर धोखाधड़ी से संबंधित मामले, बड़े कर अपवंचन, संवेदनशील शोध मामले और काला धन से संबंधित मामले इसमें शामिल नहीं होंगे। आकलन अधिकारियों के आदेश के खिलाफ आयकर प्रणाली में पहले स्तर की अपील आयकर आयुक्त (अपील) के पास करनी होगी। फेसलेस अपील करने की सुविधा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशभर में आयकर के फेसलेस आकलन का विस्तार करने के एक महीने से अधिक समय के बाद किया गया था। इसका मतलब है कि आयकर अपील में अपील का ई-आवंटन, नोटिस/प्रश्नावली का ई-संचार, ई-सत्यापन/ई-पूछताछ से लेकर ई-सुनवाई और अंत में आदेश का ई-संचार सभी कुछ ऑनलाइन होगा। इससे अपीलकर्ता और आयकर विभाग के बीच किसी तरह के प्रत्यक्ष आमना सामना की जरूरत नहीं रह जाएगी। फेसलेस अपील प्रणाली में डेटा एनालिटिक्स और कृत्रिम मेधा के जरिये मामलों के आवंटन से लेकर केंद्रीय स्तर से नोटिस जारी करने के साथ गतिशील क्षेत्राधिकार शामिल होगा जिसके लिए दस्तावेज पहचान संख्या (डीआईएन) दी जाएगी। वित्त मंत्रालय ने कहा कि गतिशील क्षेत्राधिकार के हिस्से के तौर पर किसी एक शहर में अपील आदेश का मसौदा तैयार किया और दूसरे शहर में इसकी समीक्षा की जाएगी जिससे निष्पक्ष, उचित और न्यायपूर्ण आदेश आ पाएगा। आयकर आयुक्त (अपील) द्वारा पारित आदेश जोखिम प्रबंधन प्रणाली (आरएमएस) से होकर गुजरेगा। यह बाहरी कारकों का पता लगाने के लिए कृत्रिम मेधा का उपयोग करती है और समीक्षा की जरूरत वाले मामलों को चुनती है। आरएमएस तकनीक को मदद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज प्रदान करती है। आरएमएस के मुताबिक समीक्षा की आवश्यकता वाले मामलों को दूसरे शहर के किसी अपील आयुक्त के पास भेज दिया जाएगा। अधिकारी ने कहा, 'फेसलेस अपील आदेश के आधार पर विभाग या करदाता आईटीएटी का रुख कर सकता है।' अपील आयोग को तकनीकी इकाइयों का सहयोग लेने की अनुमति होगी जिसमें मुख्य आयुक्त स्तर के अधिकारी होंगे। इन्हें कानूनी और क्षेत्रवार सलाह वाले अधिकारी मुहैया कराने का कार्य सौंपा गया है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि फेसलेस अपील से न केवल करदाताओं को बहुत अधिक सुविधा होगी बल्कि इससे न्यायपूर्ण और उचित अपील आदेश भी सुनिश्चित होंगे और आगे की मुकदमेबाजी में भी कमी आएगी। उसने कहा कि नई व्यवस्था विभाग कार्यप्रणाली में क्षमता, पारदर्शिता और जिम्मेदारी को बढ़ाने में भी सक्षम होगी। हालांकि विशेषज्ञों को इस प्रणाली में कुछ खामियां नजर आती है। उदाहरण के लिए नांगिया एंडरसन इंडिया के चेयरमैन राकेश नांगिया ने कहा कि योजना को प्रायोगिक स्तर पर शुरू करने से पहले ही पूरे जोर शोर के साथ एक बार में ही शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा, 'अखिल भारतीय स्तर पर इसे शुरू करने से पहले प्रायोगिक स्तर पर आरंभ किया होता तो इससे साझेदारों की ओर से रचनात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई होती।' इसके अलावा, प्रधान मुख्य आयुक्त (पीआरसीसीआईटी) या आयकर विभाग के मुख्य आयक्तों (सीसीआईटी) की मंजूरी के बाद कुछ निश्चित मामलों में विडियो-कान्फ्रेंसिंग के जरिये व्यक्तिगत सुनवाई की अनुमति दी जा सकती है। एकेएम ग्लोबल में पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा कि करदाता की ओर अपील किए जाने के पहले चरण में व्यक्तिगत चर्चा करना महत्त्वपूर्ण हो जाता है जो कि सामान्यतया फेसलेस अपीलों में नहीं होता।
