देश भर के हजारों किसानों ने हाल में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा संसद में पारित कराए गए तीन विवादास्पद कृषि विधेयकों के खिलाफ सड़क पर उतरकर शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया। ये विरोध प्रदर्शन देश के कई हिस्सों में हुए लेकिन पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में व्यापक पैमाने पर इन विधेयकों का विरोध किया गया। किसानों ने इन विधेयकों के विरोध में शुक्रवार को भारत बंद का आह्वान किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जो लोग हमेशा किसानों से 'झूठ बोलते थे वे अब उनके कंधों पर से ही निशाना साध रहे हैं' और उन्हें अपने राजनीतिक लाभ के लिए गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा कि वे जमीनी स्तर पर किसानों तक पहुंचें और उन्हें नए कृषि सुधारों के लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी दें कि इन विधेयकों के जरिये वे कैसे सशक्त होंगे। कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) को दरकिनार करते हुए मंडी के बाहर के लेन-देन को विनियमित करने वाले विधेयक संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) खेती के लिए एक ढांचा प्रदान करते हैं और आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन को लेकर पिछले कुछ हफ्ते से इस आधार पर चर्चा की जा रही है कि इससे उत्तर भारत में काफी हद तक प्रचलित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तंत्र को खत्म कर दिया जाएगा। इसके अलावा यह भी चर्चा है कि एपीएमसी पूंजी की कमी से खत्म हो जाएगा और आखिरकार देश की कृषि व्यवस्था का नियंत्रण भी कॉरपोरेट जगत के हाथों में होगा। किसानों के समूह चाहते हैं कि उन विधेयकों में एक प्रावधान शामिल किया जाए ताकि मंडियों के बाहर भी एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित हो सके। पंजाब और हरियाणा में किसानों ने इन विधेयकों को वापस लेने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लिए राजमार्गों सहित कई जगहों की सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। इन पारित विधेयकों को अभी राष्ट्रपति की मंजूरी मिलनी बाकी है। 'पंजाब बंद' के आह्वान को सरकारी कर्मचारी संगठनों, गायकों, कमीशन एजेंटों, मजदूरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का समर्थन मिला। कई स्थानों पर दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान और सब्जी मंडियां बंद रहीं। दुकानदारों से अपील की गई थी कि वे किसानों के समर्थन में अपनी दुकानें बंद रखें। गुरुवार को किसानों ने कृषि विधेयकों के खिलाफ तीन दिवसीय 'रेल रोको' अभियान की शुरुआत कर दी और राज्य के कुछ हिस्सों में रेल की पटरियों पर बैठ गए। पंजाब में राज्य सरकार के स्वामित्व वाली पेप्सू सड़क परिवहन निगम (पीआरटीसी) की बसें सड़क से दूर रहीं। शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने एक ट्रैक्टर चलाया। मुक्तसर जिले में उनकी पत्नी और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल उनके बगल में बैठीं। हरसिमरत कौर बादल ने हाल ही में इन विधेयकों के खिलाफ केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। सुखबीर ने बादल गांव में अपने आवास से लांबी तक ट्रैक्टर मार्च का नेतृत्व किया। हरियाणा में किसानों ने रोहतक-झज्जर की सड़क जाम कर दी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सैकड़ों किसान विरोध प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश के नोएडा की एक प्रमुख सड़क पर जुटे जिसकी वजह से वहां पुलिस की तैनाती करनी पड़ी। भारतीय किसान यूनियन (भाकियूू) ने इन विधेयकों के विरोध में बिजनौर, मुजफ्फ रनगर, शामली, सहारनपुर, शाहजानपुर, रामपुर, मैनपुरी, आगरा और मथुरा में भी यातायात को बाधित कर दिया। राजस्थान में कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने केंद्र द्वारा पारित कराए गए इन कृषि विधेयकों को देश के किसानों के खिलाफ 'घिनौनी साजिश' करार दिया और कहा कि पार्टी भारत बंद के आह्वान के समर्थन में किसानों के साथ खड़ी है। पश्चिम बंगाल में वाम दलों के प्रति वफ ादार किसान संगठनों के सदस्यों ने राज्य के विभिन्न हिस्से में विरोध प्रदर्शन किया। राज्य में प्रदर्शनकारियों ने यह आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार कृषि क्षेत्र को बड़े कॉरपोरेट घरानों के लिए खोल रही है और छोटे तथा सीमांत किसानों को भुखमरी का शिकार होने के लिए छोड़ रही है। इन प्रदर्शनकारियों ने हुगली, मुर्शिदाबाद, नॉर्थ 24 परगना, बांकुड़ा और नाडिया जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों विरोध-प्रदर्शन करते हुए जुलूस निकाले। अखिल भारतीय किसान सभा के तत्वावधान में किसानों ने केरल में भी व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। इन विधेयकों के खिलाफ कर्नाटक, तमिलनाडु और देश के अन्य स्थानों पर भी विरोध प्रदर्शन हुए।
