करीब एक दशक में सितंबर का यह महीना आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के लिहाज से व्यस्ततम महीनों में से एक रहा है और इस अवधि में करीब आठ आईपीओ पेश हुए। इससे पहले किसी कैलेंडर महीने में आठ से ज्यादा आईपीओ पेश होने वाला महीना सितंबर 2011 था। परिसंपत्ति प्रबंधन फर्म यूटीआई म्युचुअल फंड और सरकारी स्वामित्व वाली जहाज निर्माता कंपनी मझगांव डॉक इस महीने के आखिर तक आईपीओ पेश करेगी। विशेषज्ञों ने कहा, पिछले तीन आईपीओ की शानदार लिस्टिंग से प्राथमिक बाजार का परिदृश्य उल्लास से भर गया है। साथ ही इस हफ्ते बंद हुए दो इश्यू केम्स व केमकॉन स्पेशियलिटी को काफी ज्यादा आवेदन मिले जबकि द्वितीयक बाजार में उतारचढ़ाव था। बाजार में अनुकूल स्थितियों के अलावा वित्तीय नतीजों की घोषणा से संबंधित नियम का भी आईपीओ की संख्या में बढ़ोतरी पर असर पड़ा। खेतान ऐंड कंपनी के पार्टनर मोइन लड्ढा ने कहा, पेशकश दस्तावेज में वित्तीय स्थिति से संबंधित डिस्क्लोजर छह महीने से पुराना नहीं होना चाहिए और ऐसे में तिमाही के आखिर में पक्षकारों के लिए फाइलिंग की ओर बढऩा सामान्य बात है। महामारी का असर और इस वजह से हुआ लॉकडाउन अप्रैल से जून के बीच अहम रहा। प्राइस डिस्कवरी पर नकारात्मक असर को दरकिनार करने के लिे कंपनियां जून 2020 में समाप्त तिमाही के लिए डिस्क्लोजर को टालना चाहेंगी। इस महीने आईपीओ पेश करने वाली कंपनियों ने जून तिमाही के अपने आंकड़ों का अद्यतन किया है। उन्होंने कहा, सेबी का नियम हालांकि कहता है कि आपके खाते छह महीने से ज्यादा पुराने नहीं होने चाहिए, लेकिन ऑडिटर के पत्र से संबंधित एक नियम और है, जो कहता है कि आपके खाते 135 दिन से ज्यादा पुराने नहीं होने चाहिए। ऑडिटर का पत्र सामान्य तौर पर बड़े सौदों में प्रासंगिक होता है और उनके लिए भी जिसका विपणन अमेरिकी निवेशकों के बीच होता है। संचयी तौर पर इस महीने पेश आठ आईपीओ से 7,123 करोड़ रुपये जुटाए गए। वॉल्यूम के लिहाज से यह व्यस्त महीना रहा है, लेकिन संचयी रकम अपेक्षाकृत कम रही है। मार्च में अकेले एसबीआई काड्र्स के आईपीओ से 10,340 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाए गए थे। इसी तरह मार्च 2018 में पेश आठ आईपीओ से 15,032 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। ऐसे में क्या व्यस्त सीजन जारी रहेगा? अवधारणा अनुकूल रहने के बावजूद ऐसा शायद ही होगा क्योंकि पर्याप्त इश्यू पाइपलाइन में नहीं हैं। अभी सिर्फ दो कंपनियां अपने-अपने आईपीओ के लिए सेबी की मंजूरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ये हैं ग्लैंड फार्मा और कल्याण ज्वैलर्स। कुल मिलाकर 30 कंपनियोंं ने संचयी तौर पर 50,000 करोड़ रुपये जुटाने की खातिर आईपीओ पेश करने के लिए सेबी की मंजूरी हासिल कर चुकी है। इनमें से ज्यादातर कंपनियां इन मंजूरियों को जाया होने देगी। बर्गर किंग, पुराणिक बिल्डर्स, होम फस्र्ट फाइनैंस और ईजी ट्रिप प्लानर्स कुछ ऐसी कंपनियां हैं, जो आवश्यक मंजूरी के बाद भी अपनी पेशकश लाने में नाकाम रहीं। प्राइम डेटाबेस के संस्थापक पृथ्वी हल्दिया ने कहा, पिछले साल या इस साल अपने पेशकश दस्तावेज जमा कराने वाली कंपनियोंं को अपने वित्तीय आंकड़े अद्यतन बनाने होंगे। साथ ही ज्यादातर कंपनियों की वित्तीय स्थिति महामारी से प्रभावित हुई है। अगर वे कमजोर वित्तीय स्थिति के साथ बाजार में उतरती हैं तो उन्हें शायद अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिलेगी और वह मूल्यांकन भी नहीं मिलेगा, जो वे चाहती हैं। संस्थागत निवेशक कम कीमत की मांग कर सकते हैं। चूंकि कई आईपीओ प्राइवेट इक्विटी फर्मों के निकासी के साधन हैं, लिहाजा वे कम मूल्यांकन में मामले का निपटान नहीं करेंगे। निवेश बैंकरों ने कहा कि आने वाले समय में कोविड-19 के बाद वाली दुनिया में मजबूती से उभरने में सक्षम कंपनियों के आईपीओ के खरीदार बाजार मेंं होंगे।
