जीएसटी मुआवजे पर नहीं किया विकल्प का चयन | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली September 24, 2020 | | | | |
केंद्र और राज्य के बीच टकराव को हवा देते हुए पुदुच्चेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने इस बात से इनकार किया है कि उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजा में कमी की भरपाई के लिए केंद्र की ओर से प्रस्तावित दो उधारी विकल्पों में से किसी एक का चुनाव किया है। जबकि वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने इसका दावा किया था।
नारायणसामी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में मांग की है कि केंद्र सरकार उधार लेकर राज्यों को मुआवजा दे। हालांकि, यदि सभी राज्य किसी एक विकल्प पर सहमत होते हैं जिसमें केंद्र की ओर से प्रस्तावित प्रदेश भी शामिल हों तो पुदुच्चेरी की सरकार उस पर गौर करेगी। उन्होंने कहा केंद्र सरकार इस बारे में गलतबयानी कर रही है कि पुदुच्चेरी ने पहले विकल्प का चुनाव किया है। केंद्र सरकार के अधिकारियों ने रविवार को इसका दावा किया था कि पुदुच्चेरी समेत 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने उधारी के पहले विकल्प का चुनाव किया है जिसके तहत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से 97,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। नारायणसामी ने कहा, 'जहां तक हमारी बात है हम अपनी इस मांग पर अड़े हैं कि केंद्र सरकार को उधार लेकर हमें देना चाहिए। यह पहला विकल्प है जो हमने केंद्र को दिया है। अंतत: यह केंद्र सरकार की देनदारी है। दूसरे विकल्प में हमने कहा है कि यदि सभी राज्य किसी एक विकल्प पर सहमत होते हैं तो हम उस पर गौर कर सकते हैं। महत्त्वपूर्ण यह है कि उस विकल्प को अपनाने पर सभी राज्य सहमत हों।'
सरकार के सूत्रों के मुताबिक सहमति देने वाले 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, ओडिशा, पुदुच्चेरी, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश (यूपी) शामिल हैं। किसी प्रस्ताव को पारित कराने के लिए मतदान कराने की स्थिति में जीएसटी परिषद को केवल 20 राज्यों के समर्थन की आवश्यकता है।
3,000 आईटी पेशेवरों को मिला रोजगार
पश्चिम बंगाल के वित्त और आईटी मंत्री अमित मित्रा ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से राज्य में वापस आए 3,000 आईटी पेशेवरों को 'कर्मभूमि' पहल के तहत नौकरी की पेशकश की गई है। उन्होंने बताया कि आठ जून को शुरू किए गए रोगजार पोर्टल पर लगभग 37,000 पंजीकरण किए गए, जबकि उसमें से 24,000 से अधिक पर कार्रवाई की जा चुकी है। 'कर्मभूमि' आईटी और आईटीईएस क्षेत्र में नौकरी चाहने वालों और नियोक्ताओं के बीच सहयोग करने के लिए राज्य सरकार की एक पहल है। उन्होंने बताया कि यह पहल महामारी के दौरान दूसरे राज्यों से पश्चिम बंगाल में लौटकर आए कौशल युक्त कामगारों के लिए शुरू की गई थी। मित्रा ने कहा, 'इस योजना की शुरुआत से अभी तक तीन महीने में 3,000 आईटी पेशेवरों को नौकरी के लिए चुना गया है।' भाषा
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