खाद सब्सिडी देने की सिफारिश | अभिषेक वाघमारे और संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली September 24, 2020 | | | | |
मंडी से बाहर लेनदेन के नियमन, अनुबंधित खेती के लिए ढांचा मुहैया कराने और आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के लिए तीन अध्यादेशों को पारित कराने के बाद, सरकार की मुख्य दर निर्धारण समूह कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने किसानों को प्रति वर्ष 5,000 रुपये की नकद उर्वरक सब्सिडी देने की सिफारिश की है। समूह ने सुझाव दिया है कि इसे दो बार में दिया जाना चाहिए। 2,500 रुपये खरीफ और 2,500 रुपये रबी सीजन में दिया जाना चाहिए।
भले ही सीएसीपी की गैर-कीमत सिफारिशें मोटे तौर पर सलाह हैं और केंद्र पर इसे लागू करने की कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन यदि सरकार इस सिफारिश को स्वीकार करती है तो इससे उर्वरक उत्पादक कंपनियों को सब्सिडी भेजने की मौजूदा व्यवस्था बदल सकती है। सूत्रों ने कहा कि सीएसीपी के इस आकलन के दो मानदंड हैं: पहला है प्रति हेक्टेयर 4,585 रुपये की औसत सब्सिडी और दूसरा है खेत का 1.08 हेक्टेयर का औसत आकार।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट करते हुए कहा, 'हमने कुल वार्षिक सब्सिडी को खेत के औसत आकार से विभाजित कर इस आंकड़े को प्राप्त किया है। हमारे आकलन के मुताबिक यह सालाना 5,000 रुपये के आसपास बैठता है। इसमें किसानों द्वारा औसत उपयोग को शामिल नहीं किया गया है।'
फिलहाल, केंद्र सरकार यूरिया की खरीद कीमत का करीब 70 फीसदी सब्सिडी देती है। जबकि गैर-यूरिया उर्वरक के मामले में कीमत बाजार से जुड़े होने के बावजूद उनमें सब्सिडी शामिल होती है। इसीलिए, 2020-21 के केंद्रीय बजट में केंद्र सरकार ने उर्वरक सब्सिडी के मद में 71,309 करोड़ रुपये की सब्सिडी आवंटित की थी जिसमें से करीब 48,000 करोड़ रुपये (67.3 फीसदी) यूरिया के लिए था और बाकी रकम गैर-यूरिया उर्वरकों की सब्सिडी के लिए था।
उर्वरकों के मामले में सब्सिडी कंपनियों के माध्यम से दी जाती है। इस प्रक्रिया में कंपनियां किसानों को सस्ती दरों पर उर्वरक मुहैया कराती हैं और उनके बिल का भुगतान सरकार की ओर से किया जाता है। कुछ वर्ष पहले सरकार ने उर्वरक कंपनियों को सब्सिडी देने के तरीके में सुधार करते हुए सब्सिडी के बिंदू में बदलाव किया था। उन्हें सब्सिडी का भुगतान किसानों को प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन से उर्वरकों की बिक्री करने और बायोमीट्रिक सत्यापन के बाद किया जाता है। इससे पहले उन्हें सब्सिडी जिला स्तर पर उर्वरक प्राप्त करने के बाद किया जाता था। रिपोर्ट में कहा गया है, 'आयोग सिफारिश करता है कि करीब 5,000 रुपये की सालाना सब्सिडी दो किस्तों में सभी किसानों को भेजी जानी चाहिए। 2,500 रुपये और 2,500 रुपये की दो किस्तें खरीफ और रबी सीजन के आरंभ दी जानी चाहिए।' प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत देश में सालाना 6,000 रुपये तीन किस्तों में प्रत्येक चार महीने पर करीब 9 करोड़ पंजीकृत किसानों को भेजी जाती है।
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