दुनिया भर में जब कोरोनावायरस संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़ी उस वक्त एयर इंडिया को चीन और इटली से भारतीयों को निकालना पड़ा और ठीक उसी दौरान मार्च में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के उच्चाधिकारियों की द्विवार्षिक विंग्स इंडिया इवेंट के लिए हैदराबाद में बैठक हुई। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने वहां मौजूद लोगों से कहा, 'विमानन क्षेत्र को कोरोनावायरस के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। यह एक अस्थायी चरण है।' इसके सात दिन बाद ही भारत में लॉकडाउन लगाया गया। हवाई जहाजों ने दो महीने तक कोई उड़ान नहीं भरी और यह अंतराल नागरिक विमानन के इतिहास में अब तक का सबसे लंबा था। सरकार से बिना कोई वित्तीय सहायता मिले इस संकट का सामना करने के छह महीने बाद देश का विमानन और पर्यटन उद्योग संकट में है और कंपनियां अपना अस्तित्व बनाए रखने और 18,000 से अधिक नौकरियां बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। सलाहकार कंपनी एचवीएस एनारॉक के मुताबिक तीन महीने से अधिक समय तक होटलों के लगभग पूर्ण रूप से बंद होने की वजह से इस क्षेत्र में ग्राहकों की औसत तादाद में एक-तिहाई से भी ज्यादा की कमी आई। वर्ष की पहली छमाही में प्रत्येक औसत कमरे से होने वाली कमाई में 58 फ ीसदी तक की कमी आई। विमानन कंपनियां और ट्रैवल कंपनियां धीरे-धीरे पटरी पर आ रही हैं। हालांकि इस अभूतपूर्व समय में उन्हें किस जगह काम करना है इसका कोई अंदाजा नहीं हैं। इंडिगो के सीईओ रणजय दत्ता ने कहा, 'हम स्पष्ट रूप से अज्ञात क्षेत्र में काम कर रहे हैं। हालांकि हम यह भी मानते हैं कि उद्योग बेहद संकट के दौर से गुजर रहा है लेकिन यह हमें अपनी विमानन कंपनी को मजबूत करने का अनूठा मौका भी दे रहा है।' बाजार हिस्सेदारी के लिहाज से सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो ने कोविड से पहले के दौर की क्षमता का 60 फीसदी बहाल करने का इरादा जताया था। लेकिन इस कोशिश में कामयाबी नहीं मिली। इंडिगो और अन्य विमानन कंपनियां सेवाओं के विस्तार में क्वांरटीन की वजह से जूझ रही हैं। स्पाइसजेट के एक अधिकारी ने कहा, 'सेवा विस्तार करने में सबसे बड़ी बाधा यह है कि कई राज्यों में क्वारंटीन के नियम लागू किए जा रहे हैं जिसकी वजह से लोग अपनी यात्रा करने की योजना टाल रहे हैं।' इंडिगो के पास कम से कम 18449.80 करोड़ रुपये तक सुरक्षित राशि की गुंजाइश है। वहीं दूसरी तरफ स्पाइसजेट और गोएयर जैसी विमानन कंपनियां जिनकी बैलेंसशीट पहले से ही दबाव में है, वे अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं। विमानन सलाहकार कंपनी सीएपीए का अनुमान है कि इन विमानन कंपनियों को अपने परिचालन और बेड़े के आकार को लगभग आधा करना होगा और विमानों को वापस लौटाने के साथ ही नए विमानों की डिलिवरी अभी टालनी होगी। विमानन कंपनियों ने सरकार से तेल विपणन कंपनियों से जेट ईंधन खरीद पर 60 दिनों के लिए अतिरिक्त असुरक्षित ऋ ण की सुविधा और कर को स्थगित करने के अलावा कम से कम 1.5 अरब डॉलर की ब्याज मुक्त कर्ज सीमा तय करने को कहा है। लेकिन पहले से ही नकदी की तंगी से जूझ रही सरकार कुछ भी पेशकश नहीं कर पाई है। विशेषज्ञों ने कहा कि विमानन कंपनियों के लिए मौजूदा ऋण सुविधाओं या नए ऋ ण का पुनर्गठन करना मुश्किल होगा जब तक कि प्रवर्तक नकदी नहीं देते हैं। सीएपीए के दक्षिण एशिया के सीईओ कपिल कौल ने कहा, 'प्रवर्तकों को कर्जदाताओं का विश्वास बढ़ाने के लिए मंशा दिखानी होगी और नकदी देनी होगी।' होटल संचालकों और परिसंपत्ति के मालिकों का मानना है कि चीजों में हर महीने कुछ न कुछ सुधार दिख रहा है और बुरा अब पीछे छूट गया है। मैरियट इंटरनैशनल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (दक्षिण एशिया) नीरज गोविल ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा, 'हमने पिछले दो महीनों में कुछ उत्साहजनक संकेत देखे हैं। बुकिंग की गति बढ़ रही है। इसकी एक वजह यात्रा प्रतिबंधों को आसान बनाना और लोगों का नई परिस्थिति के अनुकूल होना भी है।' कुछ विश्लेषकों का मानना है कि सुधार का दौर जारी है और पर्यटन स्थलों में महंगे रिजॉट्र्स को पहले इसका फायदा मिलने की उम्मीद है। होटलीवेट के प्रबंध साझेदार अचिन खन्ना ने कहा, 'शायद सबसे बड़ी चुनौती बड़े शहर के महंगे होटलों के सामने आने की संभावना है जो पारंपरिक रूप से तीन प्रमुख श्रेणियों घरेलू स्तर की कारोबारी यात्रा, कॉरपोरेट इवेंट या यात्रा आदि पर निर्भर थे।' इन सभी श्रेणियों में रात्रि में कमरों की मांग मिलने में अभी काफ ी वक्त लगेगा। खन्ना ने कहा कि इन होटलों के लिए अपनी रणनीति में बदलाव करना और सामाजिक-घरेलू अवकाश पर जोर देना एक बेहतर विचार होगा।
