ऐसे ब्रोकरों से दूर रहें, जो ज्यादा उधारी का लालच दें | संजय कुमार सिंह / September 21, 2020 | | | | |
इन दिनों ब्रोकरेज कंपनियां उन खुदरा निवेशकों को लुभाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही हैं, जो हाल में बड़ी तादाद में बाजार में उतर रहे हैं। ये कंपनियां ऐसे खुदरा निवेशकों को लुभाने के लिए उन्हें गिफ्ट वाउचर के साथ शून्य या काफी कम शुल्क लेकर खाता खोलने की पेशकश कर रही हैं। वे सालाना रखरखाव शुल्क पर भी भारी छूट देने या एक पाई भी नहीं लेने का वादा कर रही हैं। इतना ही नहीं, नए ग्राहक जोडऩे में मदद करने पर भी ब्रोकरेज कंपनियां निवेशकों को गिफ्ट वाउचर दे रही हैं। लेकिन इन लुभावनी बातों के झांसे में न आकर निवेशकों को एकाग्रचित्त होकर उस ब्रोकर का चयन करना चाहिए, जिसके पास रकम एवं शेयर लंबे समय तक सुरक्षित रह पाएंगे।
ऐसी ब्रोकरेज कंपनियों से तो दूर ही रहें, जो निवेशकों को शेयर पर दांव लगाने के लिए अधिक रकम उधार देने (लीवरेज या मार्जिन ट्रेडिंग) की पेशकश करती हैं। देश की सबसे बड़ी ब्रोकरेज कंपनी जीरोधा के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी नितिन कामत कहते हैं, 'ऐसी ब्रोकरेज कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए जोखिम प्रबंधन के नियमों को ताक पर रखती हैं और अधिक जोखिम लेती हैं।' अगर कोई ब्रोकरेज कंपनी शेयर पर दांव लगाने के लिए चार से पांच गुना तक उधार रकम मुहैया करने की पेशकश करती है तो इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन उन कंपनियों से जरूर दूर रहना चाहिए जो 20 गुना तक उधार देने का दावा करती हैं। कामत निवेशकों को उन ब्रोकरेज कंपनियों से भी कन्नी काटने की सलाह देते हैं, जिनके बहीखाते पर कर्ज का बोझ अधिक है। ऐसी कंपनियों के बारे में जानकारी मामूली शुल्क देकर कंपनी मामलों के मंत्रालय से प्राप्त की जा सकती है।
बहीखाते में ब्रोकर की हैसियत से जुड़ी सूचनाएं भी उपलब्ध रहती हैं। सैमको सिक्योरिटीज के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी जिमीत मोदी कहते हैं, 'जिन ब्रोकरेज कंपिनयों की शुद्ध हैसयित 40 से 50 करोड़ रुपये होती है, उनमें ग्राहकों को नुकसान होने की आशंका कम होती है।' दिल्ली की डिस्काउंट ब्रोकिंग कंपनी एसएएस ऑनलाइन के संस्थापक श्रेय जैन कहते हैं कि किसी ब्रोकरेज कंपनी के पास कम से 2,000 सक्रिय ग्राहक होने चाहिए। उन्होंने कहा, 'पर्याप्त संख्या में ग्राहक होने के बाद ही कोई ब्रोकरेज कंपनी कुछ तय खर्च वहन कर सकती है और खुदरा कारोबार चला सकती है।' प्रोप्राइटरी ट्रेडिंग (किसी इकाई द्वारा बाजार में अपने मुनाफे के लिए किया जाने वाला कारोबार) से जुड़ी ब्रोकरेज कंपनियों से भी दूर रहना चाहिए। मोदी कहते हैं, 'कई ऐसे मामले देखे जा चुके हैं, जिनमें प्रोप्राइटरी कारोबार करने वाले ब्रोकरों को नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने अपने नुकसान की भरपाई के लिए ग्राहकों की रकम भी दांव पर लगा दी और बाद में धराशायी हो गईं।' ब्रोकर प्रोप्राइटरी कारोबार में संलिप्त है या नहीं, इसकी जानकारी खाता खोलने वाले फॉर्म में उपलब्ध रहती है।
कई बार ऐसे लेनदेन भी देखने में आते हैं, जिनमें एक बड़ी रकम लगी होती है। इसकी भनक लगते ही निवेशकों को सतर्क हो जाना चाहिए। ब्रोकर की सालाना रिपोर्ट में ऐसे लेनदेन से जुड़ीं सूचनाएं उपलब्ध होती हैं। इसकी पड़ताल भी कर लें कि कहीं भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अमुक ब्रोकरेज कंपनी पर कभी भारी जुर्माना तो नहीं ठोका है। सेबी की वेबसाइट पर यह जानकारी उपलब्ध होती है।
किसी ब्रोकरेज कंपनी के ग्राहक बनने के बाद भी सतर्क रहें। ट्रेडस्मार्ट ऑनलाइन के कार्यकारी निदेशक विकास सिंघानिया कहते हैं, 'अगर आप अपनी रकम ब्रोकरेज कंपनी से मांगते हैं और इसके जवाब में कंपनी भुगतान में देरी करती है तो समझ जाएं कि उसकी वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में दूसरी ब्रोकरेज कंपनी से जुडऩा ही ठीक रहेगा।' उन ब्रोकरेज कंपनियों से भी दूरी बनानी चाहिए, जो हमेशा आपको कारोबार करने के लिए उकसाती रहती हैं। दरअसल इससे उनका ही अधिक फायदा होता है। एक पूर्ण सेवा देने वाली ब्रोकरेज कंपनी से मिलने वाली रिपोर्ट का जरूर अध्ययन करना चाहिए, लेकिन लिवाली या बिकवाली का निर्णय लेने में अपने विवेक का इस्तेमाल करें। आप सेबी के साथ पंजीकृत स्वतंत्र शेयर सलाहकार की सलाह भी ले सकते हैं। सलाह और क्रियान्वयन दोनों एक दूसरे से अलग रखने से आपको हितों के टकराव से बचने और निष्पक्ष सलाह हासिल करने में भी मदद मिलेगी।
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