जीएसटी मुआवजे पर 21 तैयार | दिलाशा सेठ और इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली September 20, 2020 | | | | |
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत राज्यों को मुआवजा देने की नीति के तहत केंद्र की ओर से उपलब्ध कराए गए 97,000 करोड़ रुपये की आरबीआई की सुविधा को 21 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों का समर्थन मिल गया है। इससे जीएसटी परिषद में मतदान होने की स्थिति में इस प्रस्ताव के मंजूर होने में मदद मिलेगी। हालांकि राज्यों द्वारा 2.35 लाख करोड़ रुपये उधारी लेने की केंद्र की पेशकश को किसी ने नहीं अपनाया।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि 21 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, ओडिशा, पुदुच्चेरी, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
सूत्रों ने कहा कि जीएसटी परिषद में हर राज्य व केंद्र शासित प्रदेश की मौजूदगी होने पर मतदान की स्थिति में जीएसटी अधिनियम के तहत प्रस्ताव पारित कराने के लिए सिर्फ 20 राज्यों के समर्थन की जरूरत होगी।
ऐसे में जो राज्य केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी परिषद के समक्ष दिए गए प्रस्ताव को 5 अक्टूबर की बैठक तक स्वीकार नहीं करते हैं वे अधर में लटक जाएंगे। सूत्रों ने कहा कि मौजूदा स्थिति में यह साफ है कि इन राज्यों को जून 2022 तक अपना मुआवजा पाने के लिए इंतजार करना होगा, जो इस बात पर निर्भर करेगा कि 30 जून, 2022 के बाद तक उपकर संग्रह की अवधि बढ़ाई जाए।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि दूसरी तरफ राज्यों द्वारा 2.35 लाख करोड़ रुपये उधारी लेने की केंद्र की पेशकश का कोई लिवाल नहीं है।
मणिपुर एकमात्र राज्य है जिसने पहले राज्यों द्वारा उधारी लेने के विकल्प को चुना था, बाद में उसने आरबीआई वाला विकल्प चुन लिया। सूत्रों ने कहा कि अगले एक दो दिन में कुछ और राज्य उधारी का अपना विकल्प दे सकते हैं।
बहरहाल झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल से अभी इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया आना बाकी है।
इनमें से ज्यादातर राज्यों ने केंद्र सरकार की ओर से दिए गए विकल्पों का विरोध किया है।
जीएसटी परिषद के कुल मतों में 33.33 प्रतिशत मत केंद्र का है। हर राज्य का 2.22 प्रतिशत मत है, जिसमें राज्य के आकार से कोई फर्क नहीं पड़ता है। इसका मतलब यह हुआ कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य व गोवा जैसे छोटे राज्य मतदान में एकसमान होंगे। किसी भी प्रस्ताव को पारित कराने के लिए 75 प्रतिशत मतों की जरूरत होती है।
वित्त मंत्रालय का अनुमान है कि राज्यों को मुआवजा देने के लिए 3 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है और मुआवजा उपकर चालू वित्त वर्ष में करीब 65,000 करोड़ रुपये होगा। इसकी वजह से 2.35 लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इस अंतर में से 97,000 करोड़ रुपये नुकसान जीएसटी ढांचे की वजह से और राजस्व में शेष कमी कोरोनावायरस को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से आई है। केंद्र ने राज्यों के सामने दो समाधान की पेशकश की है। पहला यह है कि राज्य 97,000 करोड़ रुपये की सुविधा लें, जिसके लिए रिजर्व बैंक के साथ मिलकर काम होगा या बाजार से 2.35 करोड़ रुपये उधारी लें, जिसकी सुविधा केंद्रीय बैंक देगा।
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