बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा दी गई रियायत का उपयोग करते हुए 1,000 से अधिक सूचीबद्ध कंपनियों ने जून 2020 तिमाही के लिए अपने वित्तीय नतीजों की घोषणा सितंबर में किया।जुलाई में बाजार नियामक ने कोविड-19 वैश्विक महामारी संबंधी व्यवधान के मद्देनजर कपनियों को पहली तिमाही के वित्तीय नतीजों के खुलासे के लिए एक महीने का अतिरिक्त समय दिया था। सामान्य परिस्थितियों में किसी सूचीबद्ध कंपनी को अपनी तिमाही वित्तीय नतीजों की घोषणा 45 दिनों के भीतर करनी होती है। पहली तिमाही के वित्तीय नतीजों की घोषणा के लिए समय-सीमा 15 अगस्त को खत्म होती है।हालांकि 4,000 सूचीबद्ध कंपनियों में से महज 1,538 कंपनियों ने ही निर्धारित समय-सीमा के भीतर अपने वित्तीय परिणाम जारी करने में सफल रहीं। करीब 2,000 कंपनियों ने 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच पहली तिमाही के वित्तीय नतीजों का खुलासा किया।इंडसलॉ के पार्टनर विशाल यदुवंशी ने कहा, 'जून तिमाही के वित्तीय नतीजे कोविड संबंधी लॉकडाउन के पूर्ण प्रभाव की झलक दिखाने वाले पहले आंकड़े होंगे। इसे देखते हुए हम यह समझ सकते हैं कि कंपनियों और ऑडिटरों को काफी गहन जांच-परख से गुजरना पड़ा होगा। हालांकि कुछ कंपनियों ने निर्धारित समय-सीमा से पहले अपने वित्तीय नतीजों का खुलासा कर दिया क्योंकि लॉकडाउन का प्रभाव- चाहे संसाधनों की उपलब्धता हो अथवा चिंता का विषय- सभी क्षेत्रों के लिए एक जैसा नहीं रहा है। इसलिए पहली तिमाही के वित्तीय नतीजों की घोषणा के समय की तुलना करना उचित नहीं होगा।'विशेषज्ञों ने कहा कि पहली तिमाही के वित्तीय नतीजों के खुलासे के लिए समय-सीमा में विस्तार दिए जाने से भारतीय उद्योग जगत को कुछ तनाव दूर करने में मदद मिली।एलऐंडएल पार्टनर्स के पार्टनर जितेश साहनी ने कहा, 'जून तिमाही के वित्तीय परिणामों की घोषणा करने के लिए समय-सीमा में बाजार नियामक सेबी द्वारा विस्तार दिए जाने से सूचीबद्ध कंपनियों को अपने कारोबार के संचालन और नकदी चक्र की बहाली एवं कार्यशील पूंजी प्रबंधन जैसे अन्य संबंधित दबावग्रस्त क्षेत्रों से वसूली पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिली।'बीडीओ इंडिया के पार्टनर एवं लीडर (ट्रांजैक्शन टैक्स) राजेश ठक्कर ने कहा कि पहली तिमाही के वित्तीय नतीजों के खुलासे के लिए समय-सीमा में विस्तार की मंजूरी दी गई थी। मार्च 2020 तिमाही और वित्त वर्ष 2020 दोनों के लिए वित्तीय नतीजों की घोषणा के लिए समय-सीमा को 31 जुलाई तक बढ़ा दिया गया था।हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि सेबी को अब मूल समय-सीमा पर वापस लौट आना चाहिए क्योंकि इस प्रकार की रियायत निवेशकों को अंधेरे में रखती है।साहनी ने कहा, 'हालांकि तिमाही वित्तीय नतीजों के खुलासे में देरी से निवेशकों को मदद नहीं मिलती है लेकिन ये अभूतपूर्व परिस्थितियां थीं जहां ऐसे उपायों की जरूरत थी। अब ऐसी संभावना नहीं है कि बाजार नियामक इस प्रकार की रियायत को आगे भी बरकरार रखेगा।'
