आलू, प्याज, टमाटर ने बिगाड़ा जायका | इंदिवजल धस्माना और संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली September 16, 2020 | | | | |
कोलकाता के लोगों ने सोमवार को 100 रुपये किलो टमाटर खरीदा, जबकि एक महीने पहले दाम 40 प्रतिशत कम यानी 60 रुपये किलो थे। इसी तरह से दिल्ली के ग्राहकों ने कल 41 रुपये किलो प्याज खरीदे, जबकि 14 अगस्त को यह 20 रुपये किलो था। हालांकि सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में प्याज के थोक भाव महज 19 रुपये किलो थे। इसके अलावा सोमवार को मुंबई में आलू की थोक कीमत 25 रुपये किलो थी, लेकिन ग्राहकों ने 43 रुपये किलो खरीदा। एक महीने पहले मुंबई में आलू 40 रुपये किलो था।
हालांकि सरकार ने इन जिंसों के दाम पर काबू पाने के लिए तत्काल कदम उठाए हैं और प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बेहतर विचार यह होता कि इन जिंसों का पहले ही पर्याप्त मात्रा में आयात कर लिया जाता।
केयर रेटिंग के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, 'बाजार की जानकारी के लिए बहुत बेहतरीन खुफिया तंत्र होना चाहिए, जो हमें होने वाली कमी के बारे में बता सके और हम तत्काल आयात शुरू कर सकें। हम एक महीने बाद कमी महसूस करेंगे, उसके बाद टेंडर निकालेंगे, जिसमें वक्त लगता है।'
लेकिन थोक और खुदरा मूल्य के बीच अंतर आखिर क्यों बढ़ रहा है?
इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ डेवलपमेंट रिसर्च के निदेशक महेंद्र देव ने कहा, 'मुझे लगता है कि थोक व खुदरा खाद्य के दाम में अंतर पिछले कुछ महीने में ही बढ़ा है। लॉकडाउन खुलने के बावजूद आपूर्ति में व्यवधान बरकरार है और स्थानीय बंदी से कारोबार को झटका लगा है।'
देव ने कहा कि अगस्त महीने में बहुत ज्यादा बारिश से भी देश के कुछ इलाकों में आपूर्ति में व्यवधान आया है और कुछ खड़ी फसलें भी खराब हुई हैं। आंध्र प्रदेश व कर्नाटक में प्याज की फसल पर असर पड़ा है।
दक्षिण भारत के इन दोनों राज्यों में अगस्त महीने में सामान्य से 40 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है, जिससे कृषि का बड़ा रकबा प्रभावित हुआ है। देव ने कहा, 'उत्पादन में कमी व्यापक रूप से स्थानीय समस्या है।'
इंडिया रेटिंग के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा कि सरकार की ओर से प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने से मुक्त व्यापार के हिसाब से नकारात्मक असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब लोगों का वेतन कम हो गया है और नौकरियां जा रही हैं, कीमतों में तेजी की दोहरी मार पड़ रही है।
बहरहाल निर्यात पर प्रतिबंध की मार किसानों पर पड़ी है। मध्य प्रदेश के किसान भगवान मीणा ने कहा कि अचानक निर्यात पर रोक से प्याज की कीमतें घट गई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नीतियों से हमारे जैसे किसानों को नुकसान हो रहा है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि इन तीन प्रमुख सब्जियों की कीमतों में भारी उतार चढ़ाव आता है और इसका प्रबंधन अक्सर समस्या बन जाती है, खासकर प्याज के मामले में, जिसका उत्पादन सीमित इलाके में होता है और पूरे देश में खपत होती है।
मीणा राजस्थान, मध्य प्रदेश में सक्रिय किसान स्वराज संगठन के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। उन्होंने कहा, 'कल तक रतलाम थोक मंडी में प्याज 38-39 रुपये किलो था, आज 6 रुपये किलो हो गया और कुछ दिन में 25 रुपये किलो हो जाएगा। दाम बढऩे पर हर कोई नाखुश होता है, लेकिन जब दाम घटते हैं तो किसानों के बारे में कोई नहीं सोचता।'
दिल्ली की आजादपुर मंडी के प्रमुख प्याज व्यापारी राजेंद्र शर्मा ने कहा कि यातायात में व्यवधान के कारण आपूर्ति कम थी, लेकिन अब स्थिति सामान्य हुई तो फसल खराब होने के कारण दाम बढ़ गए।
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