कंपनी प्रवर्तकों के गिरवी शेयर तीन साल के उच्चस्तर पर पहुंचे | सुंदर सेतुरमन / तिरुवनंतपुरम September 15, 2020 | | | | |
भारत के कुल बाजार पूंजीकरण के प्रतिशत के तौर पर प्रवर्तकों द्वारा गिरवी शेयरों का योगदान अप्रैल 2017 से सबसे ज्यादा बढ़कर अगस्त के अंत तक 1.86 प्रतिशत पर पहुंच गया। प्राइमइन्फोबेस डॉटकॉम द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़े के अनुसार गिरवी शेयरों की वैल्यू अगस्त में 56 प्रतिशत बढ़कर 2.77 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो जुलाई के अंत में 1.78 लाख करोड़ रुपये थी।
प्राइम डेटाबेस गु्रप के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा कि यह वृद्घि हिंदुस्तान जिंक और वेदांत में गिरवी पर केंद्रित थी।
लगभग 13 कंपनियों ने अगस्त में प्रवर्तक शेयरधारिता गिरवी के प्रतिशत में वृद्घि दर्ज की। दूसरी तरफ, तिरूपति फोर्ज (47.92 से) और ज्योति लैब्स (6.58 से) एकमात्र ऐसी दो कंपनियां थीं जिनमें प्रवर्तकों ने अपनी गिरवी भागीदारी घटाकर शून्य की।
हल्दिया ने कहा, 'ऊंचे गिरवी स्तर अक्सर निवेशकों द्वारा अच्छा संकेत नहीं समझा जाता है, क्योंकि बाजार की कीमतों में कमी से गिरवी शेयरों की जब्ती और प्रबंधन में बदलाव को बढ़ावा मिल सकता है।'
एनएसई पर सूचीबद्घ 1,656 कंपनियों में से, 463 ने कम से कम कुछ शेयर गिरवी जरूर रखे, जो एक महीने पहले के 461 के आंकड़े से ज्यादा है। जहां गिरवी शेयरों की वैल्यू बढ़ी है, लेकिन कुल प्रवर्तक शेयरधारिता का प्रतिशत जुलाई के 12.43 प्रतिशत से मामूली घटकर 12.36 प्रतिशत रह गया है।
अगस्त के अंत में, 29 कंपनियों में 100 प्रतिशत प्रवर्तक शेयरधारिता गिरवी रखी गई थी। जबकि 81 कंपनियों ने प्रवर्तकों के 90 प्रतिशत से ज्यादा शेयर गिरवी रखे और 192 कंपनियों में 50 प्रतिशत से ज्यादा शेयरधारिता गिरवी थी।
शीर्ष-200 की सूची में, ज्यादा प्रवर्तक शेयर गिरवी वाली कंपनियों में हिंदुस्तान जिंक (प्रवर्तक शेयरधारिता की 100 प्रतिशत गिरवी), वेदांत (99.99 प्रतिशत), मैक्स फाइनैंशियल सर्विसेज (91.31 प्रतिशत), जीएमआर इन्फ्रा (73.61 प्रतिशत) और फ्यूचर रिटेल (73.47 प्रतिशत) शामिल हैं।
पिछले साल, बाजार नियामक सेबी ने गिरवी के संबंध में नियम सख्त बनाए थे। नियामक ने यह अनिवार्य बना दिया था कि प्रवर्तकों द्वारा कंपनी की कुल शेयर पूंजी के 20 प्रतिशत से ज्यादा या कुल प्रवर्तक शेयरधारिता के 50 प्रतिशत गिरवी से संबंधित प्रवर्तकों को इसके कारणों का खुलासा करने की जरूरत होगी। ऐसी करीब 200 कंपनियां हैं जिन्हें इस बारे में खुलासे करने की जरूरत है।
अगस्त में बैंक निफ्टी की तेजी में इक्विटी एमएफ का योगदान
ऋण पुनर्गठन को लेकर पैदा हुई अनिश्चितता के बावजूद, अगस्त वित्तीय शेयरों के लिए अच्छा महीना था। बैंक निफ्टी सूचकांक इस महीने के दौरान 10 प्रतिशत चढ़ा और उसने निफ्टी (2.8 प्रतिशत) के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया। लगता है कि इस तेजी में घरेलू फंड प्रबंधकों का अहम योगदान था। एडलवाइस फंड इनसाइट रिपोर्ट से पता चलता है कि बैंक और वित्तीय शेयर अगस्त में म्युचुअल फंडों के लिए प्रमुख खरीदारी में शामिल थे। उन्होंने महज आठ कंपनियों में 1 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया। इस सूची में ऐक्सिस बैंक, एचडीएफसी, बंधन बैंक और आईसीआईसीआई बैंक शीर्ष पर रहे। इन चार शेयरों में एमएफ का संयुक्त पूंजी प्रवाह 6,200 करोड़ रुपये रहा। इस बीच, एमएफ द्वारा रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्टस और डिवीज लैबोरेटरीज जैसे शेयरों में कुछ मुनाफावसूली भी की गई। समी मोडक
|