उन्हीं शेयरों को करें दुलार जिनमें आय बढ़े जोरदार | संजय कुमार सिंह / September 14, 2020 | | | | |
बाजार में पिछले कुछ अरसे से जो तेजी आई है, उसमें मिड और स्मॉल कैप शेयरों ने लार्ज कैप शेयरों से ज्यादा तेज फर्राटा भर लिया है। बाजार का इस साल का सबसे नीचा स्तर 23 मार्च को दिखा था, जिसके बाद से सेंसेक्स 49.5 फीसदी चढ़ चुका है। मगर इसी दौरान सेंसेक्स को भी पछाड़ते हुए एसऐंडपी बीएसई मिडकैप सूचकांक ने 55.4 फीसदी की बढ़त हासिल कर ली है और एसऐंडपी बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 67.6 फीसदी उछल गया है। बाजार के पंडितों को लग रहा है कि इतनी तेजी की वजह से कुछ मिड और स्मॉल कैप शेयरों में निवेशक केवल इसी आस में पैसे लगा रहे हैं कि तेजी आगे भी बनी रहेगी। मगर उन्होंने आगाह किया है कि खुदरा या छोटे निवेशकों की ऐसी आस पर पानी फिर सकता है और उनकी अब तक की कमाई डूब भी सकती है।
मिड और स्मॉल कैप शेयरों का प्रदर्शन 2018 और 2019 में उम्मीद और सेंसेक्स दोनों से ही कमतर रहा था। मार्च में जब बाजार ढहने लगा तो इन पर तगड़ी मार भी पड़ी। इन्वेस्को म्युचुअल फंड के फंड प्रबंधक प्रणव गोखले कहते हैं, 'मार्च में एकदम नीचे आने के बाद मिड और स्मॉल कैप सूचकांकों की कीमत निवेश के लिहाज से बहुत आकर्षक हो गई थी, जिसकी वजह से पिछले कुछ महीनों में इन्होंने दौड़ लगा दी है।'
अभी तक यह तेजी लगभग सभी मिड और स्मॉल कैप शेयरों में देखी गई है। मगर सेबी में पंजीकृत स्वतंत्र इक्विटी रिसर्च फर्म स्टॉल्वार्ट एडवाइजर्स के संस्थापक एवं मुख्य कार्य अधिकारी जतिन खेमानी को नहीं लगता कि यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। वह आगाह करते हैं, 'आगे चलकर चुनिंदा शेयरों में ही तेजी रहने के आसर हैं। उन्हीं कंपनियों के शेयर उड़ान भरेंगे, जिनकी आय यानी अर्निंग्स में तेज बढ़ोतरी होगी।' मिड और स्मॉल कैप के अधिक शेयरों में तेजी तभी आ सकती है, जब समूची अर्थव्यवस्था एकाएक पटरी पर आ जाए। सुंदरम आल्टरनेट्स के फंड प्रबंधक मदनगोपाल रामू कहते हैं, 'ऐसा तभी होगा, जब ग्रामीण अर्थव्यवस्था में इसी तरह तेजी आती रहे, निजी पूंजीगत व्यय बढऩे लगे और सरकार के मेक इन इंडिया अभियान का सकारात्मक नतीजा निकले।'
यह भी सच है कि शेयरों के भाव उतने आकर्षक नहीं रह गए हैं, जितने मार्च में थे। गोखले बताते हैं, 'पी/ई अनुपात पर नजर डालें तो मिड कैप शेयरों में कीमतें 10 साल के माध्य से ऊपर चल रही हैं मगर स्मॉल कैप शेयरों में भाव अब भी 10 साल के माध्य से नीचे हैं। मूल्यांकन या शेयर भाव ऊपरी दायरे में हैं मगर जरूरत से ज्यादा अब भी नहीं चढ़े हैं।'
मगर कुछ शेयरों में कीमतें हद से ज्यादा ऊपर चली गई हैं और बुलबुले वाली स्थिति पैदा हो गई है। रामू कहते हैं, 'कुछ मामलों में भाव इतने अधिक हैं, जितने कुछ साल की वृद्घि के बाद होते। कुछ शेयर केवल मौजूदा तेजी के दौर के बल पर ही दौड़े पड़े हैं।' खुदरा निवेशक अगर इन शेयरों पर दांव खेलते हैं तो उन्हें झटका खाना पड़ सकता है।
बाजार में पहली बार कदम रखने वाले कई लोगों ने खुद ही शेयरों में निवेश करने का फैसला किया है। रामू कहते हैं, 'हो सकता है कि पिछले कुछ महीनों में इन निवेशकों ने मुनाफा हासिल किया हो। लेकिन अब उन्हें अपने पोर्टफोलियो में ऐसे शेयर शामिल करने चाहिए, जिनकी आय में इजाफा हो सके। अगर निवेशकों के पास ऐसे शेयर पहचानने के लिए समय नहीं है या उन्हें ऐसे शेयर पहचानना ही नहीं आता तो उन्हें यह काम फंड प्रबंधक के हाथ सौंप देना चाहिए क्योंकि उन्हें इस काम में महारत हासिल होती है।' जिन शेयरों के भाव जरूरत से ज्यादा चढ़ चुके हैं, निवेशकों को उनमें मुनाफावसूली करनी चाहिए यानी इसी वक्त शेयर बेचकर अच्छा मुनाफा कमा लेना चाहिए। गोखले निवेशकों को मार्के की राय देते हैं। उनका कहना है कि मिड और स्मॉल कैप शेयरों में निवेश करते समय ऐसा मजबूत और बढ़ता हुआ कारोबार ढूंढना चाहिए, जिसमें प्रतिफल अनुपात अच्छा हो और जिसके पास नकदी की आवक भी अच्छी हो ताकि प्रतिकूल दौर आने पर भी कारोबार चलता रहे। खेमानी की राय में निवेशकों को ऐसे शेयर अपने पास रखने चाहिए, जिनमें कर्ज-इक्विटी अनुपात ज्यादा नहीं हो ताकि कोविड संकट लंबा चलने पर भी कंपनी के अस्तित्व पर सवाल खड़ा नहीं होने पाए। निवेशकों को ऐसी कंपनियों पर भी दांव खेलने चाहिए, जिनके कारोबार मॉडल अगले 10 या ज्यादा सालों तक कारगर बने रहने की संभावना है। सबसे काम की बात, मिड और स्मॉल कैप शेयरों में निवेश करें तो कम से कम 3 से 5 साल तक उनमें पैसा लगाए रखें।
|