बढ़ सकती है ऋण गारंटी योजना की तिथि | सोमेश झा और शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली September 13, 2020 | | | | |
केंद्र सरकार आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत उद्यमों की ओर से सॉवरिन गारंटी ऋण की मांग के लिए वक्त बढ़ाने पर विचार कर रही है।
सरकार ने ईसीएलजीएल के तहत 3 लाख करोड़ रुपये तक कर्ज जारी करने के लिए 31 अक्टूबर 2020 अंतिम तिथि तय की है और यह योजना 23 मई से लागू है। बहरहाल रविवार को वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि ऋण के लिए जो लक्ष्य रखा गया था, उसकी सिर्फ आधी राशि यानी 1.63 लाख करोड़ रुपये ही वित्तीय संस्थानों की ओर से 10 सितंबर तक जारी की गई है।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, 'हम इस पर (योजना की अंतिम तिथि बढ़ाने)विचार करेंगे। हम उधारी लेने वालों के लिए स्वीकृत धनराशि जारी करने के वक्त को लेकरक भी एक स्पष्टीकरण जारी करेंगे। समय सीमा असीमित नहीं हो सकती है।'
यहां तक कि निजी क्षेत्र के बैंंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने भी योजना शुरू होने के बाद धीमी शुरुआत की है, लेकिन उन्होंने अब कर्ज जारी करने के मामले में सरकारी बैंकों को पीछे छोड़ दिया है। आज जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 10 सितंबर तक निजी बैंकों ने 84,633 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जबकि सरकारी बैंकों ने 78,593 करोड़ रुपये कर्ज जारी किया है।
एक प्रमुख सरकारकी बैंक के अधिकारी ने कहा कि 31 अक्टूबर तक 3 लाख करोड़ रुपये कर्ज जारी करने के लक्ष्य तक पहुंचना बड़ा काम है क्योंकि कर्जदाातओं को ज्यादातर कर्ज लेने वालों तक पहुंचना है।
आधिकारिक अनुमान के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने योजना के तहत सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को 92,910 करोड़ रुपये जारी किए हैं। सरकारी बैंक पहले ही ऋण जारी करने की सीमा के 84 प्रतिशत पर पहुंच चुके हैं। सरकारी बैंकों से कर्ज लेने वाले 4.6 करोड़ लोगों में से 10 लाख लोगों ने योजना का विकल्प चुना है।
उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, 'स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन के साथ अर्थव्यवस्था में मांग कम होने की वजह से योजना के तहत उम्मीद से कम कर्ज जारी हुआ है। लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि त्योहारी सीजन में योजना रफ्तार पकड़ेगी।'
केयर रेटिंग की ओर से जारी 9 सितंबर के एक विश्लेषण के मुताबिक सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों को अगले दो महीनों (सितंबर और अक्टूबर) में हर महीने क्रमश: 55,000 और 14,000 करोड़ रुपये जारी करने पड़ सकते हैं, जिससे कुल बैंक कर्ज में उनकी हिस्सेदारी बरकरार रह सके।
यह योजना शुरू होने के समय से ही उद्योग संगठन सरकार पर शर्तों में ढील दिए जाने की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि इसकी वजह से कंपनियों के एक छोटे से हिस्से तक लाभ सीमित है।
अगस्त की शुरुआत में सरकार ने नियमों में ढील देकर 29 फरवरी 2020 तक 50 करोड़ रुपये बकाया कर्ज वाले कर्जदारों को योजना के लाभ का पात्र बना दिया था। पहले इस योजना के तहत अधिकतम सीमा 25 करोड़ रुपये थी। सरकार ने 250 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियों को योजना का लाभ उठाने का पात्र बना दिया था, जबकि पहले यह योजना 100 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वालों तक सीमित थी। साथ ही व्यक्तिगत रूप से कर्ज लेने वालों को भी इस योजना में हिस्सा लेने की अनुमति दे दी है।
बहरहाल उसके बाद से कुल स्वीकृत राशि में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह भी मुख्य रूप से निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा जारी किया गया है।
उद्योग संगठनों का कहना है कि योजना की एक खामी यह है कि ईसीएलजीएस के तहत जारी कर्ज 29 फरवरी 2020 तक कर्ज लेने वाले के कुल बकाया ऋण के 20 प्रतिशत तक ही हो सकता है।
आल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स ऑर्गेनाइजेशन (एआईएमओ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुदर्शन सरीन ने कहा, 'हमारे सदस्यों ने कहा है कि कम मांग की वजह से तमाम लोग परिचालन नहीं बढ़ा पा रहे हैं और इससे कर्ज का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। लेकिन धन बने रहने की जरूरत है और हमने प्रधानमंत्री को लिखा है कि सूक्ष्म उद्यमों को अपने मित्रों व परिवार के सदस्यों से कर देनदारी के बगैर 10 लाख रुपये तक लेने की अनुमति दी जानी चाहिए, जिससे संकट के समय उनका कारोबार बचा रह सके।'
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