मिड और स्मॉल-कैप में ज्यादा जोखिम को नजरअंदाज न करें | श्रीपाद ऑटे और राम प्रसाद साहू / मुंबई September 13, 2020 | | | | |
इसे लेकर आशंका है बनी हुई कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा पिछले शुक्रवार को घोषित मल्टी-कैप योजनाओं के लिए नए नियम मिड- और स्मॉल-कैप शेयरों के लिए सकारात्मक हैं। कई बाजार विश्लेषकों का मानना है कि फंड प्रबंधक नए नियमों के आधार पर मिड- और स्मॉल-कैप शेयरों में अपना निवेश बढ़ाएंगे। लेकिन इन शेयरों की विशेषताओं के अलावा निवेशकों को इनसे जुड़े ऊंचे जोखिम पर भी ध्यान देना चाहिए। एलारा सिक्योरिटीज में वरिष्ठ उपाध्यक्ष (रणनीति) प्रदीप कुमार केशवन का कहना है, 'मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों को सिर्फ अल्पावधि में समर्थन मिलता दिख रहा है। इससे मल्टी-कैप क्षेत्र में रिस्क-रिवार्ड अनुपात में बदलाव आ सकता है जिस पर निवेशकों को ध्यान देने की जरूरत है।' उनका कहना है कि मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में निवेश आवंटन बढ़ाते वक्त निवेशकों का रिस्क प्रोफाइल काफी मजबूत होना चाहिए। सेबी के नए नियम के अनुसार, मल्टी-कैप योजनाओं को जनवरी 2021 से 25-25 प्रतिशत आवंटन मिड- और स्मॉल-कैप तथा लार्ज-कैप में करने की जरूरत होगी। हालांकि आंकड़ों से पता चलता है कि जहां तक मिड और स्मॉल-कैप का सवाल है तो कई मल्टी-कैप म्युचुअल फंड योजनाएं 25 प्रतिशत के आंकड़े से नीचे हैं। यह कोई नई बात नहीं है कि इक्विटी निवेश से जोखिम जुड़ा होता है। लेकिन जोखिम मिड-कैप और स्मॉल-कैप में ज्यादा होता है। इनमें से कई शेयरों पर ब्रोकरों द्वारा नजर रखी जाती है, और इनमें तरलता भी कम है जिससे इनमें सौदे करने की ऊंची लागत को बढ़ावा मिलता है।
पिछले दो तीन वर्षों में मिड और स्मॉल-कैप सूचकांकों के कमजोर प्रदर्शन से इन शेयरों में निवेश को लेकर बाजार की कम सक्रियता का पता चलता है। जनवरी 2018 और 20 मार्च 2020 के बीच (जब बाजार में कोविड-19 संबंधित संकट की वजह से गिरावट आई थी), बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में 37 प्रतिशत और 47 प्रतिशत की कमजोरी आई थी, जबकि समान अवधि में सेंसेक्स में करीब 12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
पिछले तीन महीने में हालांकि, मिड और स्मॉल-कैप सूचकांक दोनों में सुधार आया है और ये सेंसेक्स में 16 प्रतिशत की तेजी के मुकाबले 17-23 प्रतिशत बढ़े हैं। नए नियमों को देखते हुए इक्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम को मिड और स्मॉल-कैप शेयरों के मूल्यांकन मल्टीपल में करीब 3-5 प्रतिशत की वृद्घि होने का अनुमान है। हालांकि उनका कहना है, 'जहां आकर्षक अवसर अभी भी मौजूद हैं, वहीं चवन्नी शेयरों समेत कई शेयर मौजूद हैं जो मिड और स्मॉल-कैप सेगमेंट में बबल जोन में हैं। इस वजह से, आपको बेहद सतर्क रहने और गुणवत्ता और बगैर गुणवत्ता वाले शेयरों के बीच पहचान करने की जरूरत होगी।' विश्लेषकों का कहना है कि मिड और स्मॉल-कैप में जोखिम मौजूदा कोविड-19 संकट की वजह से बढ़ा है। कमजोर बैलेंस शीट वाली छोटी कंपनियां प्रतिस्पर्धा में बने रहने का रास्ता तलाशने में सक्षम नहीं रह सकती हैं। विलियम ओ नील ऐंड कंपनी के प्रमुख (इक्विटी रिसर्च, भारत) मयूरेश जोशी का कहना है, 'जहां बड़े उद्देश्यों से जुड़ी लार्ज-कैप कंपनियां तेज से बढऩे में सक्षम हैं, वहीं स्मॉलकैप और मिडकैप के लिए चुनौती बाजार भागीदारी बढ़ाने और अपना व्यवसाय बढ़ाने की है। व्यवसाय में नकदी प्रबंधन और आपूर्ति शृंखला से जुड़ी समस्याओं को देखते हुए ये चुनौतियां महामारी के बीच सामने आ रही हैं।'
विश्लेषकों का मानना है किअच्छे प्रबंधन रिकॉर्ड, मजबूत बैलेंस शीट और कार्यशील पूंजी की समस्या से दूर, लगातार आय वृद्घि, मजबूत पूंजी आवंटन और अच्छा कॉरपोरेट शासन ऐसे मुख्य कारक हैं जिन पर निवेशकों को मिड और स्मॉलकैप शेयरों में निवेश के वक्त विचार करना चाहिए।
जोशी का कहना है कि निवेशकों को इंटर-कॉरपोरेट ओर संबंधित पक्ष के सौदों, प्रवर्तकों द्वारा गिरवी, और बहुत ज्यादा विविधता को लेकर सतर्क रहना चाहिए क्योंकि इससे व्यवसाय के विश्वास और वैल्यू पर प्रभाव पड़ता है। इन इक्विटी वर्गों के लिए ज्यादा म्युचुअल फंड निवेश के साथ इनमें से कुछ चिताएं दूर हो सकती हैं। माना जा रहा है कि ज्यादा फंड प्रवाह से उतार-चढ़ाव में कमी आएगी। जेएम फाइनैंशियल की एक रिपोर्ट से मल्टी-कैप योजनाओं का मौजूदा परिसंपत्ति आवंटन 1.4 लाख करोड़ रुपये होने का पता चलता है, जिसमें जुलाई 2020 तक 74.2 प्रतिशत लार्ज-कैप में, और सिर्फ 15.8 प्रतिशत मिड-कैप तथा 5.3 प्रतिशत स्मॉल-कैप कंपनियों में निवेशित था। चूंकि फंड प्रबंधकों ने यह अंतर दूर करने के लिए निवेश आवंटन बढ़ाया है, लेकिन इससे अल्पावधि में मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में तेजी आ सकती है। बाजार ऐसे शेयरों और महामारी से प्रभावित क्षेत्रों के प्रति भी निवेशक दिलचस्पी में इजाफा दर्ज कर सकते हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था के पुन: सामान्य होने पर सुधार की अच्छी क्षमता वाली कंपनियों के शेयरों में ज्यादा दिलचस्पी देखी जा सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि इसलिए, जोखिम सहन करने वाले निवेशक कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, वाहन, और आईटी जैसे क्षेत्रों के मिड और स्मॉल-कैप शेयरों पर विचार कर सकते हैं।
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