क्रिसिल ने बढ़ाया गिरावट का अनुमान | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली September 10, 2020 | | | | |
क्रिसिल ने अब भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में ज्यादा संकुचन का अनुमान लगाया है। रेटिंग एजेंसी ने कोविड-19 के प्रसार को लेकर अनिश्चितता और सरकार द्वारा पर्याप्त राजकोषीय समर्थन न मुहैया कराए जाने की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 9 प्रतिशत संकुचन का अनुमान लगाया है।
वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही में भारत के जीडीपी में 23.9 प्रतिशत का संकुचन हुआ है। क्रिसिल ने अनुमान लगाया है कि दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी में 12 प्रतिशत की गिरावट आएगी। एक रिपोर्ट में उसने कहा है कि अगर महामारी सितंबर-अक्टूबर में चरम पर रहती है तो जीडीपी वृद्धि वित्त वर्ष के अंत तक अर्थव्यवस्था कुछ सकारात्मक क्षेत्र में जा सकती है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा है, 'ऐसी स्थिति में सेवाओं की तुलना में विनिर्माण में तेजी से सुधार होगा। लेकिन जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती और इसका व्यापक पैमाने पर उत्पादन नहीं शुरू हो जाता है, गिरावट की स्थिति बनी रहेगी।'
क्रिसिल का मानना है कि मध्यावधि के हिसाब से भारत की वृद्धि में गिरावट बनी रह सकती है। इसने कहा है, 'हमें लगता है कि कम आधार के कारण वित्त वर्ष 22 में वृद्धि 10 प्रतिशत रह सकी है और वैश्विक रूप से मांग बढऩे का भी असर रहेगा। इसके बावजूद वास्तविक जीडीपी में 2020 के स्तर की तुलना में 2022 तक बहुत मामूली वृद्धि की संभावना है। उसके बाद के अगले तीन साल मेंं 2023 से 2025 तक औसतन 6.2 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर रह सकती है।'
इसमें कहा गया है कि स्थिर मूल्य पर 13 प्रतिशत जीडीपी को मध्यावधि के हिसाब से स्थाई रूप से क्षति होगी। निवेश बहाल करने और बाजार में नौकरियों के सृजनि के लिए सुधार पर जोर देते हुए क्रिसिल ने कहा है कि अगर आप पहले कदम उठाते हैं तो बाद में उसके परिणाम सामने आएंगे। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सरकार को मौजूदा पीड़ा को दूर करने के लिए ज्यादा कदम उठाने की जरूरत है। इसने कहा है कि हाशिये पर आ चुके परिवारों व छोटे कारोबारियों को वित्तीय समर्थन बढ़ाने की जरूरत है, जो महामारी से बहुत ज्यादा प्रभावित हुए हैं। क्रिसिल ने कहा है कि इससे अर्थव्यवस्था की उत्पादक क्षमता की भी रक्षा होगी और सुधारों के साथ वृद्धि पर टिकाऊ रूप से मध्यावधि के हिसाब से बल दिया जा सकता है।
ग्रामीण अर्थव्यव्यवस्था से कुछ समर्थन के बावजूद निजी खपत इस वित्त वर्ष में कम होने की संभावना है। ग्रामीण इलाकों में कोरोना के मामले बढऩे के साथ स्थिति जटिल हो रही है और स्थिति सामान्य होने में देरी होगी। इसका मतलब है कि रोजगार और आमदनी को लेकर अनिश्चितता जारी रहेगी।
एसबीआई रिसर्च, नोमुरा, फिच, इंडिया रेटिंग, इक्रा जैसी रिसर्च फर्मों व रेटिंग एजेंसियों ने पहले ही भारत की जीडीपी में संकुचन का आंकड़ा बदल दिया है।
बरहाल इक्रा ने कहा कि पहली तिमाही में जो निचला स्तर देखा गया, उसकी तुलना में निस्संदेह अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। बहरहाल सुधार की रफ्तार दूसरी तिमाही में उतार चढ़ाव वाली है, जिसमें सेवाओं की तुलना में उद्योग में तेज सुधार है और कृषि क्षेत्र में स्थिति बेहतर बनी हुई है। इक्रा ने कहा, 'हमारे विचार से दूसरी तिमाही में संकुचन घटकर 11-13 प्रतिशत रह जाएगा।'
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