मई की शुरुआत में ब्रिटेन के अखबार 'गार्डियन' ने अपनी वेबसाइट पर एक खबर प्रकाशित की थी जिसके साथ चित्रों में यह दिखाया गया था कि किस तरह खुली जगहों मेंबड़े पर्दे पर लोग सिनेमा का लुत्फ उठा रहे हैं और ऐसे सिनेमाघरों की लोकप्रियता बढ़ रही है। इसमें कुछ बेहद सुंदर तस्वीरें लगाई गई थीं जिसमें अमेरिका के एक राज्य यूटा में रहने वाले चार सदस्यों वाले एक परिवार की तस्वीर थी जो अपनी कार में बैठकर स्क्रीन पर सिनेमा दिखाए जाने का इंतजार कर रहे थे। एक तस्वीर 1979 के बाद पहली बार तेहरान में ओपन एयर सिनेमा देखने आए दर्शकों की भी थी। वहीं लिथुआनिया की एक तस्वीर भी थी जिसमें हवाईअड्डे के रनवे के किनारे बैठकर एक समूह फि ल्म का आनंद ले रहा है जबकि उनके पीछे हवाई जहाज खड़े हैं। ये तस्वीरें इस बात की तस्दीक कर रही थीं कि कई देशों में खुले सिनेमाघरों की लोकप्रियता बढ़ रही है जिसे कई लोगों ने भविष्य के लिए नाकाम बता दिया था। जाहिर है इन तस्वीरों में भारत का कोई जिक्र नहीं था। लेकिन अब यहां भी बदलाव दिख सकता है। सरकार ने 21 सितंबर से ओपन-एयर सिनेमाघरों को फि र से संचालन शुरू करने की अनुमति दी है जिसके बाद इन सिनेमाघरों के मालिक लगभग छह महीने के अंतराल के बाद सिनेमा दर्शकों के लिए अपने दरवाजे खोलने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि नियमित सिनेमाघर अब भी बंद रहेंगे। सरकार का यह निर्णय इस लिहाज से महत्त्वपूर्ण है कि शायद पहली बार ओपन एयर सिनेमाघरों को सार्वजनिक रूप से नीतिगत स्तर पर स्वीकार किया गया है। बेंगलूरु और इसके आसपास के इलाके में ओपन एयर फि ल्में दिखाने वाली कंपनी 'अंडर दि स्टार्स' के सह-संस्थापक अभिजित शाह का मानना है, 'यह हमारे लिए बड़ी बात है कि राष्ट्रीय स्तर के दिशानिर्देशों में इसे एक अलग श्रेणी के रूप में मान्यता दी जाए।' दिल्ली के सनसेट सिनेमा क्लब (एससीसी) में प्रबंधक (मार्केटिंग और सामग्री) शिवांगिनी बाथला कहती हैं कि इस क्षेत्र का संचालन हमेशा से एक अपरिभाषित और नियमविहीन क्षेत्र के रूप में होता रहा लेकिन नई घोषणा से वैधता की मुहर लग गई है। वह कहती हैं, 'लोग इन जगहों को उसी तरह याद करते हैं जिस तरह से ये पहले हुआ करते थे। बेहद कम लोगों को इस बात का अंदाजा है कि अब ये दिखते कैसे हैं। मुमकिन है कि इस रुझान में बदलाव आए।' ओपन एयर थियेटर कभी मनोरंजन का एक लोकप्रिय साधन हुआ करता था लेकिन पिछले कुछ साल में इसके चलन की वापसी हुई है। शाह ने 2017 में दो दोस्तों के साथ मिलकर 'अंडर दी स्टार्स' की शुरुआत की और उन्हें यह भरोसा है कि बेंगलूरु का सुहावना माहौल फि ल्मों के लिए दर्शकों की भीड़ जुटाने में सफ ल रहेगा। ओपन एयर सिनेमा काफ ी हद तक मौसम पर निर्भर है। वहीं दूसरी ओर एससीसी इसे पारंपरिक सिनेमाघरों के एक खुशनुमा विकल्प के रूप में देखता है। निश्चित तौर पर पुरानी यादों ने केवल इसका आकर्षण ही बढ़ाया है। अब मनोरंजन के अधिकांश माध्यमों को असुरक्षित माना जा रहा है ऐसे में ओपन एयर सिनेमाघरों को यह उम्मीद है कि उनकी इस नई पेशकश की मांग बढ़ेगी। गुडग़ांव टॉकीज के सह-संस्थापक अतिन लोहिया कहते हैं, 'यह एक ऐसा प्रारूप है जो महामारी के समय के लिए उपयुक्त है और आपको अपनी कार से बाहर कदम रखने की भी जरूरत नहीं है।' गुरुग्राम की ग्वाल पहाड़ी में मौजूद लोहिया के ओपन एयर थिएटर में 40 कार पार्क करने की जगह है और खुली हवा में सिनेमा देखने के लिए यहां 150 लोग बैठ सकते हैं। हालांकि शारीरिक दूरी के नियमों की वजह से यह आंकड़ा 60 के स्तर तक आ सकता है और इस कारोबार की वापसी होगी। औसतन एक टिकट की कीमत 400 रुपये है और अधिकांश दिन केवल दो शो होते हैं। मनोरंजन का इंतजाम होने के साथ-साथ 'अंडर दि स्टार्स' में कोरोनावायरस से पहले के दौर में भी यहां बीन बैग और फूड ट्रक के जरिये खाने का इंतजाम किया गया था। चुनौती यह है कि ओपन एयर थियेटर आम तौर पर नई फि ल्में दिखाने में असमर्थ हैं। मिसाल के तौर पर एससीसी ने यशराज फि ल्म्स, धर्मा प्रोडक्शंस और वार्नर ब्रदर्स जैसे प्रोडक्शन हाउसों के साथ सहयोग किया है और इसके पास करीब 11,000 फिल्में हैं लेकिन नई फिल्में जनवरी 2020 तक की ही हैं। इसी तरह 'अंडर द स्टार्स' का पूरा जोर पुरानी फिल्मों पर है। शाह कहते हैं कि स्टूडियो की मांग यह है कि उनकी फिल्में डिजिटल सिनेमा के लिए अनुकूल प्रोजेक्टर पर दिखाएं जाएं जो काफ ी महंगे उपकरण हैं और छोटे पैमाने पर काम कर रहे थिएटर इतना खर्च नहीं उठा सकते हैं। हालांकि कुछ अपवाद भी हैं। अहमदाबाद के सनसेट ओपन एयर सिनेमा और चेन्नई में प्रार्थना बीच सिनेमा काफ ी मशहूर हैं जहां नई फि ल्में दिखाई जाती हैं। लोहिया का कहना है कि नई फि ल्मों की पेशकश अभी कोई विकल्प नहीं है। लेकिन गुडग़ांव टॉकीज दर्शकों को ऐसी फि ल्में देखने का मौका देगा जिन्हें अभी हाल में विभिन्न ओटीटी प्लेटफ ॉर्म पर दिखाया गया है। मार्च में बॉलीवुड अदाकार इरफान खान की फि ल्म 'अंग्रेजी मीडियम' को रिलीज के तुरंत बाद ही दिखाया गया था। हालांकि भारत में केवल मु_ी भर ओपन-एयर सिनेमाघर हैं। मल्टीप्लेक्स और सिनेमाघरों को खोलने की अनुमति नहीं दी गई है जिससे इनकी नाराजगी बढ़ी है लेकिन मौजूदा माहौल को देखते हुए अब मल्टीप्लेक्स चेन भी अपने कारोबार को शुरू करने के लिए इन मॉडल पर काम कर रहे हैं। पिछले महीने एक अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीवीआर सिनेमा, आईनॉक्स लीजर और कार्निवल सिनेमा सभी नई संभावनाएं तलाश रहे हैं। हालांकि पीवीआर ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से इस बात की पुष्टि की है कि यह एक विशेष तरह की योजना है और पीवीआर ने आने वाले महीनों में अपने 854 स्क्रीन में से एक स्क्रीन पर इसे लॉन्च करने की योजना बनाई है। पिछले दिनों पीवीआर सिनेमाज के चेयरमैन अजय बिजली ने भारत में इस मॉडल के प्रभावी होने पर शक जताया था। इसके बजाय मल्टीप्लेक्स चाहते हैं कि सरकार दर्शकों को उस तरह ही फिल्में देखने की इजाजत दे जिस तरह वे किया करते थे। आईनॉक्स लीजर के सीईओ आलोक टंडन कहते हैं, 'यह देखते हुए कि रेस्तरां, कार्यालयों, जिम और होटलों को संचालित करने की अनुमति दे दी गई तो हम भी सिनेमाघरों को फि र से खोलने की अनुमति मिलने की उम्मीद कर रहे थे। हमारे संशोधित एसओपी (मानक परिचालन प्रक्रियाओं) से अंदाजा मिलता है कि हम सावधानी बरतते हुए किस तरह दर्शकों के लिए साफ.-सफ ाई को लेकर प्रतिबद्ध हैं। हमारे सामाजिक-आर्थिक प्रभाव को देखते हुए हम यह पूरी उम्मीद करते हैं कि हमें जल्दी ही काम करने की अनुमति मिलेगी।'
