उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड सहित गंगा तट पर बसे 27 जिलों में योगी सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देगी। प्रदेश सरकार ने कृषि विश्वविद्यालयों से जीरो बजट खेती को अपने पाठ्यक्रम में शामिल करने को कहा है। साथ ही किसानों के लिए बड़े पैमाने पर जैविक खेती के लिए प्रशिक्षण की योजना बनाई है।जैविक फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों की सहायता के लिए प्रदेश सरकार छह जिलों लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, गोरखपुर, आगरा और झांसी में प्राकृतिक उत्पादों के प्रमाणीकरण के लिए लैब की सुविधा उपलब्ध कराएगी। प्राकृतिक खेती की फसलों के प्रमाणीकरण का काम मंडल स्तर पर मंडी परिषद की ओर से किया जाएगा।जैविक खेती के प्रोत्साहन के कार्यक्रम में गंगा किनारे बसे 27 जिलों की 21 नगर निकाय और 1,038 ग्राम पंचायतों सहित 1,648 राजस्व गांवों को शामिल किया गया है। बीते साल आयोजित की गई गंगा यात्रा के दौरान इन गांवों में प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों को विशेष रूप से जागरूक किया गया था। अब नमामि गंगे परियोजना के तहत इन इलाकों में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक पहले चरण में 1,038 ग्राम पंचायतों में मास्टर ट्रेनर तैयार किए जा रहे हैं जो गांवों में जाकर किसानों को गो आधारित खेती का प्रशिक्षण देंगे। इसी परियोजना के तहत ही गंगा किनारे गंगा मैदान, गंगा उद्यान, गंगा वन तथा गंगा तालाब को विकसित किया जा रहा है जो प्राकृतिक खेती के लिए काफी सहायक होंगे। गंगा नर्सरी के जरिये किसानों को मुफ्त में फूल तथा फलों वाले पौधे भी दिए जाएंगे।कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जीरो बजट खेती के लिए प्रदेश में निराश्रित गोवंश आश्रयस्थलों को गौ आधारित प्राकृतिक कृषि एवं अन्य गौ उत्पादों के प्रशिक्षण केंद्र में विकसित करने की योजना है। बुंदेलखंड को जीरो बजट खेती के मुख्य केंद्र में रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे पूरे क्षेत्र का आर्थिक विकास कृषि के जरिए संभव हो सकेगा। प्राकृतिक तरीकों से खेती को बढ़ावा देने के लिए इसे कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में भी शामिल करने की भी योजना है।
