पिछले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 'प्राथमिकता के क्षेत्र की उधारी' के तहत अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए कर्ज की सीमा दोगुनी कर 30 करोड़ रुपये कर दी है। प्राथमिकता वाले क्षेत्र का दर्जा दिए जाने की मांग लंबे समय से लंबित थी, जिसे पूरा किया गया है, लेकिन उद्योग के दिग्गजों का कहना है कि यह सीमा बड़ी परियोजनाओं की योजना के हिसाब से धन की जरूरतें पूरी करने के लिए बहुत कम है। बहरहाल कर्ज के इस समर्थन से छोटी सौर परियोजनाओं, खासकर रूफटॉप और सौर बिजली से सिंचाई पंप बनाने वालों को मदद मिलेगी। रिजर्व बैक ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि नई प्राथमिकता वाले क्षेत्र की उधारी के मानकों का मकसद 'पर्यावरण के प्रति मित्रवत कर्ज के मानकों को बढ़ावा और समर्थन देना है, जिससे टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में मदद मिल सके।' नए मानकों के मुताबिक सौर आधारित बिजली उत्पादकों, बायोमास आधारित बिजली उत्पादकों, पवन चक्की, सूक्ष्म पनबिजली संयंत्र और गैर परंपरागत ऊर्जा आधारित सार्वजनिक उपभोग (जैसे स्ट्रीट लाइटिंग व्यवस्था और दूरस्थ गावों का विद्युतीकरण करने जैसे कार्यों के लिए 30 करोड़ रुपये तक बैंक कर्ज मिल सकता है, जो प्राथमिकता के क्षेत्र के वर्गीकरण में कर्ज पाने के पात्र होंगे। व्यक्तिगत मकानों के लिए उधारी लेने वाले एक व्यक्ति की अधिकतम कर्ज की सीमा 10 लाख रुपये होगी। फरीदाबाद की सोलर सिस्टम कंपनी लूम सोलर के सह संस्थापक और निदेशक अमोल आनंद ने कहा, 'पर्यावरण के प्रति मित्रवत कर्ज देने की नीति निश्चित रूप से स्वागत योग्य कदम है। इससे छोटे और मझोले उद्यमों (एसएमई) और सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को मदद मिलेगी। बैंक स्टार्ट अप को 50 करोड़ रुपये तक वित्तपोषण कर सकते हैं। साथ ही किसानोंं को सौर बिजली संयंत्र लगाने के लिए भी कर्ज मिल सकेगा।' एक प्रमुख अक्षय ऊर्जा कंपनी में काम कर रहे इस क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इससे बड़ी परियोजनाओं को मदद नहीं मिलेगी, जिसकी पेशकश सरकार कर रही है। उन्होंने कहा, 'ग्रिड से जुड़ी परियोजनाओं के लिए 30 करोड़ रुपये बहुत कम है। इससे 8 से 10 मेगावॉट की परियोजना या छोटी परियोजना या छत पर सौर परियोजना स्थापित की जा सकती है।' ग्रिड से जुड़ी सौर बिजली परियोजना की लागत प्रति मेगावॉट 5 से 7 करोड़ रुपये होती है। सोलर या माइक्रोग्रिड के मामले में लागत कम है। बहरहाल रूफटॉप सेग्मेंट की कारोबारी क्लीनमैक्स ने कहा कि इस सेग्मेंट के लिए भी राशि कम है। क्लीनमैक्स के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) निकुंज घोडावत ने कहा, 'रिजर्व बैंक की कर्ज देने के दिशानिर्देश अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए स्वागत योग्य कदम है और यह स्वच्छ ईंधन अपनाने की वैश्विक धारणा के अनुरूप है। लेकिन इस क्षेत्र में वृद्धि को गति देने और रूफटॉप सोलर सेग्मेंट की मौजूदा संभावनाओं के दोहन के लिए प्राथमिकता के क्षेत्र की कर्ज की सीमा निश्चित रूप से अधिक, करीब 150 करोड़ रुपये प्रति इकाई होनी चाहिए।' भारत की मौजूदा सौर ऊर्जा क्षमता 87.6 गीगावॉट है, जो भारत के कुल ऊर्जा बास्केट का 23 प्रतिशत है। भारत ने अपनी जरूरतों की 40 प्रतिशत बिजली 2024 तक सौर ऊर्जा से लेने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सरकार ने 175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है, जिसमें से 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा से आना है।
