नए पीएसएल मानकों से बैंकों को तुरंत राहत के आसार नहीं
हंसिनी कार्तिक / नई दिल्ली September 05, 2020
सामान्य तौर पर, जब बैंकिंग सेक्टर के लिए वृद्घि के नए सेगमेंट शामिल किए गए तो निवेशकों ने इसका का स्वागत किया। हालांकि शुक्रवार इस तरह का उदाहरण देखा गया कि आरबीआई द्वारा प्राथमिक क्षेत्र की उधारी (पीएसएल) के तहत राहत के बावजूद निफ्टी बैंक सूचकांक 2.2 प्रतिशत तक गिर गया। हालांकि कुल अनिश्चित बाजार हालात इस सूचकांक द्वारा नई घोषणा के नजरअंदाज किए जाने की वजह हो सकती है, लेकिन बड़ा सवाल इसे लेकर बना हुआ है कि क्या यह बैंकों को उधारी परिचालन के संदर्भ में अपना जोखिम कम करने के लिए पर्याप्त है।
एसएमसी कैपटल के सिद्घार्थ पुरोहित कहते हैं, काफी नहीं है। मौजूदा हालात में, पुरोहित समेत कई विश्लेषकों का कहना है कि बैंक अपनी उधारी प्रणालियों को लेकर प्रयोगात्मक नहीं हो सकते। पूंजी संरक्षण महत्वपूर्ण बना रहेगा। इसलिए, पीएसएल के तहत नए सेगमेंटों के लिए आरबीआई के सर्कुलर का लाभ मिलने में समय लग सकता है। इन सेगमेंट में स्टार्ट-अप ऋण, सौर विद्युत संयंत्र लगाने के लिए किसानों को ऋण, कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्रों की स्थापना के लिए ऋण, और अक्षय ऊर्जा क्षेत्र, ठेका खेती और हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए ऋण आदि शामिल हैं।
एक बार फिर से पीएसएल ऋणों के प्रति निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) का रुख अलग अलग है। चूंकि इसे लेकर पुरोहित का मानना है कि निजी क्षेत्र के बैंक सिर्फ अपने पीएसएल लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ऋण नहीं देते। इसके बजाय वे अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए व्हीकल ऋण, ऑटो ऋण और एमएफआई ऋण (माइक्रोफाइनैंस संस्थानों द्वारा दिए गए) हासिल करते हैं। वह कहते हैं, 'यह व्यवस्था बरकरार रह सकती है और इसलिए वे नए सेगमेंट के प्रति उधारी को लेकर अनिच्छुक बने रह सकते हैं।'
पीएसबी अपने पीएसएल लक्ष्य पूरे करने के लिए ज्यादा सक्रिय हैं, और इसलिए इससे नए उधारी विकल्प खुल सकते हैं और एक समय के बाद उनकी ऋण बुक में इजाफा हो सकता है। हालांकि अल्पावधि में, उनके द्वारा इन क्षेत्रों को उधारी के प्रति सतर्क रहने की संभावना रहेगी। व्यवस्था में जुड़ रहे ज्यादातर नए फंसे ऋण अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं (खासकर सौर क्षेत्र, जिसमें परियोजनाएं विद्युत खरीद कीमत में कमजोरी की वजह से अव्यवहार्य हो गईं) से हैं। इसी तरह, कृषि से संबंधित ऋण को पहले कर्जमाफी के जोखिम का सामना करना पड़ा था और इस सेगमेंट की एनपीए पीएसबी के लिए वित्त वर्ष 2019 तक काफी ऊंची (8-10 प्रतिशत) बनी हुई थीं। स्टार्ट-अप के लिए ऋण एमएसएमई ऋणों के समान हैं, जिनमें फिर से फंसे कर्ज तेजी से बढ़े हैं।
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