रिलायंस रिटेल और देश की दूसरे सबसे बड़े रिटेल उद्योगपति किशोर बियाणी के फ्यूचर गु्रप के बीच ताजा सौदे ने बाजार प्रभाव को अंबानी उद्यम के अनुकूल बना दिया है। देश के रिटेल बाजार में तेज समेकन ने कारोबारियों और प्रमुख रिटेलरों को चिंता में डाल दिया है। देश की प्रख्यात कारोबारी संस्था अखिल भारतीय व्यापारी संगठन (सीएआईटी) के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, 'बाजार कुछ हाथों में केंद्रित नहीं किया जाना चाहिए। इस तरह की स्थिति से एकाधिकार को बढ़ावा मिलेगा और उसके परिणामस्वरूप बड़ी कंपनी द्वारा अनुचित दबदबा बनाने में मदद मिलेगी। हम बेहद सस्ते मूल्य निर्धारण के खिलाफ हैं। इसका छोटे रिटेलरों और व्यापारियों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।' उनके अनुसार, स्थानीय बाजार से 7 करोड़ से ज्यादा व्यापारी जुड़े हुए हैं और यह करीब 40 करोड़ लोगों को आजीविका मुहैया कराता है। इससे यह कृषि के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता बन गया है। उन्होंने कहा, इसलिए, यदि बाजार कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा नियंत्रित होता है तो इससे एकाधिकार को बढ़ावा मिलता है, यह कारोबारी समुदाय के हितों के खिलाफ है।' सीएआईटी के अनुसार, छोटे रिटेलरों और व्यापारियों का सालाना कारोबार 50 लाख करोड़ रुपये का है। छोटे व्यापारियों के हितों को सुरक्षित बनाने के लिए सीएआईटी चाहता है कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे। खंडेलवाल ने कहा, 'सरकार को व्यापारियों को सुरक्षित बनाने के लिए बड़ी कंपनियों के एकाधिकार को रोकने की जरूरत होगी।' 25,000 करोड़ रुपये के इस सौदे के तहत फ्यूचर गु्रप के रिटेल, लॉजिस्टिक्स, होलसेल एवं भंडारण परिसंपत्तियां देश की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी रिलायंस रिटेल को बेची गई हैं जिससे अंबानी समूह के इस उद्यम को अप्रत्याशित बढ़त मिलेगी। रिलायंस गु्रप की कंपनी के पास अब लगभग सभी प्रमुख रिटेल प्लेटफॉर्मों -ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों - तक पहुंच हासिल हो गई है जिनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, किराना, दूरसंचार सेवा, मीडिया एवं एंटरटेनमेंट, फैशन एवं अपैरल्स आदि मुख्य रूप से शामिल हैं।
