कृषि क्षेत्र ने पहली तिमाही में दर्ज की शानदार वृद्घि | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली August 31, 2020 | | | | |
कृषि और उससे संबद्घ गतिविधियां दूसरे क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के बीच सुर्खियों में हैं। इस क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2020-21 की संकटग्रस्त पहली तिमाही में 3.4 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की है। वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में कृषि क्षेत्र की वृद्घि 3 प्रतिशत पर थी।
इस वृद्घि को काफी हद तक रबी सीजन की शानदार पैदावार से मदद मिली। हालांकि सरकार द्वारा लॉकडाउन दिशा-निर्देशों में समय पर ढील दिए जाने से भी कुछ हद तक मदद मिली, लेकिन किसानों के लिए आय में ज्यादा वृद्घि की उम्मीद नहीं की जा सकती है, क्योंकि कृषि और सहायक क्षेत्र के लिए मौजूदा कीमतों पर सकल मूल्य वृद्घि (जीवीए) 2020-21 की पहली तिमाही में 5.7 प्रतिशत पर रही है जो 2019-20 की पहली तिमाही में 8.6 प्रतिशत थी।
इस तरह से 2020-21 की पहली तिमाही में 2.3 प्रतिशत के मुद्रास्फीति प्रभाव का पता चलता है जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के 5.6 प्रतिशत से कम है।
कृषि उत्पादों में यह पिछले एक साल से ज्यादा समय में मुद्रास्फीति में सबसे कम वृद्घि में शामिल है। कुछ विश्लेषकों के अनुसार किसानों की आय के आकलन के लिहाज से महत्वपूर्ण समझी जाने वाली मुद्रास्फीति में गिरावट बागवानी, पशुधन, मत्स्य और डेरी पालन समेत सहायक कृषि क्षेत्र की कीमतों में कमजोरी की वजह से आई है।
हालांकि अप्रैल से जून के लॉकडाउन से जुड़े महीनों के दौरान मुख्य फसल क्षेत्र की कीमतें काफी हद तक मजबूत बनी रहीं, क्योंकि इस दौरान सरकारी खरीद में तेजी दिखी, लेकिन बागवानी उत्पादों और अंडा, मांस और दूध जैसे पशुधन की कीमतें मंडियों से आपूर्ति प्रभावित होने से उत्पादक स्तर पर काफी नीचे आ गई थीं। प्रोटीन उत्पादों में कोविड-19 फैलने की अफवाहों की वजह से भी इन उत्पादों की आपूर्ति प्रभावित हुई थी। फसल वर्ष 2019-20 (जून से जुलाई) में भारत की रबी उत्पादन करीब 14.960 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के मुकाबले 4.10 प्रतिशत ज्यादा है। इसमें गेहूं उत्पादन 10.621 करोड़ टन पर अनुमानित है जो पिछले साल के मुकाबले 2.51 प्रतिशत ज्यादा है। यह पिछले उपलब्ध आधिकारिक अनुमान पर आधारित है। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'पूरी अर्थव्यवस्था में एकमात्र आश्चर्य कृषि को लेकर है, जबकि हम सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा आदि में सकारात्मक वृद्घि की संभावना जता रहे थे लेकिन इन क्षेत्रों का प्रदर्शन भी नकारात्मक रहा।' उन्होंने कहा कि जीवीए वृद्घि काफी हद तक रबी (खासकर गेहूं की) पैदावार की वजह से रही।
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