जीडीपी में जबरदस्त गिरावट | अभिषेक वाघमारे / पुणे August 31, 2020 | | | | |
देश की अर्थव्यवस्था में करीब चार दशक बाद पहली बार संकुचन देखा गया। अप्रैल-जून तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 फीसदी की भारी गिरावट आई है। 1980 के बाद संभवत: पहली बार जीडीपी में संकुचन आया है। कोविड के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन और आर्थिक गतिविधियों के ठप होने से अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ा है। कोविड के कारण अन्य उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं पर भी असर पड़ा है लेकिन भारत का प्रदर्शन ज्यादा खराब रहा।
अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में गिरावट साफ तौर पर नजर आई। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में अप्रत्याशित गिरावट के बीच पहली तिमाही में कृषि क्षेत्र का सकल मूल्य वद्र्घन (जीवीए) 3.4 फीसदी बढ़ा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा आज जारी आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ताओं के खर्च और निवेश में भारी कमी आई, वहीं सरकार का व्यय 16 फीसदी बढ़ा है। बिज़नेस स्टैंडर्ड के प्रारंभिक विश्लेषणों से पता चला है कि बेहतर मॉनसून और खाद्य सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल, रोजगार योजनाओं और नकद अंतरण के कारण केंद्र और राज्यों द्वारा खर्च बढ़ाने से पहली तिमाही में जीडीपी में करीब 27 से 30 फीसदी योगदान रहा।
अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों का कहना है कि आर्थिक सुधार में उम्मीद से लंबा वक्त लग सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में आधे से ज्यादा का योगदान रखने वाले निजी उपभोक्ता खर्च में करीब 27 फीसदी की कमी आई। इसी तरह सकल स्थिर पूंजी निर्माण में 47 फीसदी की कमी आई है, जो अब तक का सबसे बड़ी गिरावट है। सकल स्थिर पूंजी निर्माण दीर्घावधि में विकसित अर्थव्यवस्थाओं के विकास का मुख्य संकेतक होता है।
गिरावट को थामने के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने ज्यादा खर्च कर संतुलन साधने का प्रयास किया, जिससे पहली तिमाही में सरकार का व्यय 16 फीसदी तक बढ़ गया।
उद्योगों द्वारा मूल्यवद्र्घन में 40 फीसदी की गिरावट आई जो उम्मीद के अनुरूप है। सेवा क्षेत्र में निर्माण, व्यापार, बैंकिंग और वित्तीय सेवा, रियल एस्टेट एवं रेस्टोरेंट आदि कारोबार आते हैं। इस क्षेत्र के सकल मूल्य वद्र्घन में पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले करीब 27 फीसदी की गिरावट आई है।
उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ ने कहा कि राज्य सरकारों और जिला प्रशासन द्वारा स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाने से आर्थिक सुधार की राह कठिन हो सकती है। केंद्र सरकार ने जीडीपी में गिरावट के पीछे नियंत्रण से परे कारण बताए हैं।
सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने कहा, 'अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक प्रदर्शन पर बाह्य कारकों का असर पड़ा है और दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को इस समस्या का सामना करना पड़ा है।'
हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि बहुत जल्द अर्थव्यवस्था में तीव्र सुधार आएगी। उन्होंने कहा, 'अनलॉक चरण के बाद तीव्र सुधार की शुरुआत हो चुकी है। बुनियादी क्षेत्रों का उत्पादन, रेल मालवहन और बिजली की खपत पिछले साल के स्तर पर लौट रही है। ई-वे बिल भी अगस्त 2020 में 2019 के अपने स्तर के करीब पहुंच गया है।'
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि इसके बारे में पहले से अंदेशा था, लेकिन सरकार ने समय रहते स्थिति संभालने के लिए कुछ नहीं किया। विकास दर सकारात्मक होने में कई महीनों का समय लगेगा। विशेषज्ञों ने कहा कि पहली तिमाही में जीडीपी में गिरावट औसत अनुमान से कहीं ज्यादा रही। कोटक सिक्योरिटीज में उपाध्यक्ष शुभदीप रक्षित ने कहा, 'अर्थव्यवस्था में उम्मीद से ज्यादा गिरावट आई है और इसमें सुधार में काफी लंबा वक्त लगेगा।' जून तिमाही में नॉमिनल जीडीपी वृद्घि भी 20.9 फीसदी घटी है।
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