फ्यूचर समूह के ऋणदाताओं का कहना है कि कुछ व्यवसायों की मुकेश अंबानी नियंत्रित रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) को बिक्री से संबंधित सौदा उनके हितों (मूल रकम के भुगतान समेत) को सुरक्षित बनाएगा। कॉरपोरेट उधारी से जुड़े कुछ वरिष्ठ बैंकरों का कहना है कि जहां इस सौदे से संकट को टालने में मदद मिलेगी, वहीं बैंकों को मौजूदा चुनौतियों से बचने के लिए किशोर बियाणी के नेतृत्व वाले फ्यूचर समूह की इकाइयों को पैसा देने में सतर्कता बरतनी होगी। प्रस्तावित सौदे से ऋणदाताओं के वित्तीय जोखिम दूर होने की संभावना है। वे ज्यादातर कर्ज का निपटान करने में सफल रहेंगे। फ्यूचर समूह की कंपनियां नकदी दबाव की वजह से फंसे कर्ज से जुड़ी हुई थीं। निजी बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह कोविड-19 महामारी से पैदा हुए आर्थिक संकट की वजह से व्यावसायिक विफलता का स्पष्ट मामला है। भुगतान में विलंब की वजह से फ्यूचर समूह के वित्तीय निवेश को हाल के महीनों में कई रेटिंग गिरावट से जूझना पड़ा है। ये विलंब मुख्य तौर पर कोविड-19 महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन से पैदा हुए कमजोर नकदी स्थिति की वजह से हुआ था। फ्यूचर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एफईएल) का नकदी प्रोफाइल लॉकडाउन की वजह से और उसके प्रमुख ग्राहक फ्यूचर रिटेल के कमजोर क्रेडिट प्रोफाइल के कारण गंभीर रूप्प से प्रभावित हुआ था। एफईएल ने आरबीआई द्वारा 27 मार्च 2020 को घोषित कोविड-19 - रेग्युलेटरी पैकेज के तहत अपने ऋणदाताओं से भुगतान पर रोक की मांग की थी। कंपनी ने कायशील पूंजी दायरा बढ़ाने के लिए बैंकरों से भी अनुरोध किया था। रेटिंग एजेंसी केयर के अनुसार, एफईएल का वित्त वर्ष 2019 में 176 दिन का ज्यादा सकल कार्यशील पूंजी चक्र था जो वित्त वर्ष 2018 के 157 दिन के मुकाबले बढ़ गया था। ऊंचे परिचालन चक्र का कारण ज्यादा इन्वेंट्री के दिन भी शामिल थे। कंपनी समूह कंपनियों की ओर से खरीदारी करती है और माल पूरे देश में विभिन्न रिटेल आउटलेटों पर रखा जाता है जिससे 16-18 सप्ताह की ऊंची इन्वेंट्री अवधि को बढ़ावा मिला है। कंपनी को माल की बिक्री से 6-7 सप्ताह बाद भुगतान मिलता है। रिटेल क्षेत्र पर परिदृश्य कोविड-19 महामारी की वजह से और आर्थिक मंदी के मौजूदा समय में उपभोक्ताओं द्वारा डिस्क्रेशनरी खर्च में कमी किए जाने से अल्पावधि से मध्यावधि में 'नकारात्मक' है।
