आकलन, अपील या कर प्र्रशासन से संबंधित अन्य किसी मसले के लिए कर अधिकारी के सामने जाना भयभीत करने वाला हो सकता है। मगर फेसलेस आकलन शुरू होने से लोगों को व्यक्तिगत रूप से कर कार्यालय में जाने की जरूरत नहीं होगी। देश में फेसलेस अपील सेवा 25 सितंबर से शुरू हो जाएगी। टैक्समैन कंपनी में उप महाप्रबंधक नवीन वाधवा ने कहा, 'फेसलेस आकलन का मकसद आकलन प्रक्रियाओं के दौरान करदाता और आकलन अधिकारी (एओ) के बीच आमने-सामने मौजूद होने की जरूरत को खत्म करना है। करदाता को उसका मामला देख रहे अधिकारी के नाम और जगह के बारे में कोई जानकारी नहीं होगी। पूरी प्रक्रिया के दौरान उसकी पहचान गोपनीय रहेगी।' एक सेंट्रल एजेंसी नैशनल ई-एसेसमेंट सेंटर करदाता और अधिकारियों के बीच बातचीत के गेटवे के रूप में काम करेगी। होस्टबुक्स के संस्थापक और चेयरमैन कपिल राणा ने कहा, 'नियमित एओ को अब आगे सर्वे और सर्च की ताकत नहीं मिलेगी। इससे करदाताओं का अनावश्यक शोषण कम होगा। केवल जांच और स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) इकाई को ही यह शक्ति मिलेगी, वह भी महानिदेशक और मुख्य आयुक्त रैंक के किसी वरिष्ठ अधिकारी की मंजूरी के बाद।' करदाताओं के आकलन और अन्य प्रक्रियाओं के लिए चयन एक प्रणाली के जरिये होगा, जिसमें डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्र्निंग का इस्तेमाल होगा। भौगोलिक क्षेत्राधिकार को खत्म किए जाने के आसार हैं। किसी एक शहर के करदाता का आकलन दूसरे शहर में हो सकता है। मामलों का आवंटन ऑटोमैटिक एवं रैंडम होगा। प्रारूप आकलन आदेश किसी एक शहर से जारी किया जा सकता है, समीक्षा किसी दूसरे शहर में हो सकती है और अंतिम फैसला किसी तीसरे शहर में हो सकता है। केंद्रीय स्तर से केवल नोटिस जारी किए जा सकते हैं। राणा ने कहा,'सभी आकलन और समीक्षा आवंटन एक टीम आधारित मुहिम होगी। कर अधिकारी और टीम की पहचान गोपनीय रहेगी।' कुछ मामलों को फेसलेस आकलन से बाहर रखा गया है। राणा ने कहा, 'इन अपवादों में गंभीर धोखाधड़ी, बड़ी कर वंचना, संवेदनशील और छानबीन से संबंधित मामले शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय कराधान और काला धन अधिनियम और बेनामी संपत्ति अधिनियम के दायरे में आने वाले मामलों को भी बाहर रखा गया है।' उन मामलों में भी अपवाद हो सकते हैं, जिनमें आकलन अधिकारी को यह महसूस होता है कि व्यक्तिगत सुनवाई की जरूरत है। वाधवा ने कहा, 'एक करदाता भी मौखिक ब्योरे देने और अपने मामले को पेश करने के लिए व्यक्ति सुनवाई का आग्रह कर सकता है। ऐसे मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई होगी।' राणा ने कहा, 'एक आयकर अधिकारी मुख्य आयुक्त और क्षेत्रीय ई-आकलन केंद्र के प्रभारी महानिदेशक की मंजूरी से व्यक्ति सुनवाई की मंजूरी दे सकता है।' फेसलेस आकलन का मकसद कर प्रशासन को वस्तुनिष्ठ, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि इससे कर आकलन और ऑडिट में देरी कम हो जाएगी। कई बार ईमेल की तुलना में मामले को आमने-सामने बैठकर बताना ज्यादा आसान होता है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिनकी अंग्रेजी अच्छी नहीं है। वाधवा ने कहा, 'आमने-सामने बैठकर बातचीत करने से करदाता के लिए अपना पक्ष रखना और अधिकारी के लिए समझना आसान होता है, इसलिए जटिल मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के विकल्प को अपनाएं। इसके अलावा किसी तरह के संदेह दूर करने के लिए व्यापक दस्तावेज मुहैया कराएं।'
