संयुक्त राष्ट्र के विमानन नियामक अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईसीएओ) ने भारत की हवाई सुरक्षा तैयारियों का अगला सुरक्षा ऑडिट करने का निर्णय लिया है। पूर्व-नियोजित इस ऑडिट को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह एयर इंडिया एक्सप्रेस हादसे के बाद किया जा रहा है। इस हादसे में पायलट और सह-पायलट समेत 20 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे। दुबई से आए इस विमान में 190 यात्री सवार थे और यह कालीकट हवाई अड्डे की हवाई पट्टी पर फिसल कर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस घटनाक्रम से अवगत एक अधिकारी ने कहा, 'आईसीएओ टीम नवंबर में ऑडिट के लिए आने वाली थी, लेकिन महामारी और सीमाएं बंद होने की वजह से ऑडिट को जनवरी तक के लिए टाल दिया गया है। आईसीएओ टीम यह पता लगाने के लिए एयरलाइलों, हवाई अड्डों, ग्राउंड हैंडलिंग कंपनियों, नियामकीय संस्थाओं के सुरक्षा पहलुओं की जांच करेगी कि वे अंतरराष्ट्रीय दर्जे के हैं या नहीं।' आईसीएओ ने नवंबर 2017 में भारत के लिए यूनिवर्सल सेफ्टी ओवरसाइट ऑडिट प्रोग्राम का संचालन किया था, जिसके बाद फरवरी 2018 में दूसरा ऑडिट किया गया था। ऑडिट के परिणाम से पता चलता है कि देश का स्कोर पूर्व के 65.82 से घटकर 57.44 रह गया जिससे भारत हवाई यातायात सुरक्षा के संदर्भ में पाकिस्तान, नेपाल और अन्य कई देशों से नीचे आ गया। लेकिन बाद में, नागर विमानन मंत्रालय और विमानन नियामक डीजीसीए ने सक्रियता बढ़ाई जिसके बाद यह अंक सुधरकर 74 हो गया। अपने ऑडिट के दौरान, आईसीएओ ने आठ क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया। ऑडिट स्कोर का परिणाम भारतीय एयरलाइनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उनकी अंतरराष्ट्रीय विस्तार योजनाओं पर प्रभाव पड़ सकता है। 2012 में अपने ऑडिट के दौरान, आईसीएओ ने भारत को 13 खराब प्रदर्शन वाले देशों की सूची में भारत को शामिल किया था। इससे 2014 में अमेरिकी विमानन नियामक फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) द्वारा ऑडिट की जरूरत बढ़ गई, जिसमें पर्याप्त नियामकीय शर्तों के अभाव का हवाला देकर देश की रैंकिंग घटा दी गई थी। भारतीय एयरलाइनों को अमेरिका के लिए नए मार्ग जोडऩे या उस अवधि के दौरान अमेरिकी एयरलाइनों के साथ वाणिज्यिक समझौते करने की अनुमति नहीं थी। एक साल बाद रेटिंग बहाल कर दी गई।
