चित्रा के वेतन-भत्ते मामले में एनएसई पर जुर्माना | बीएस संवाददाता / मुंबई August 25, 2020 | | | | |
बाजार नियामक सेबी ने नैशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी चित्रा रामकृष्ण को दिए गए वेतन भत्ते मामले में एक्सचेंज पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। एक्सचेंज ने तीन साल के उनके कार्यकाल में रामकृष्ण को 44 करोड़ रुपये दिए थे और कार्यकाल के आखिरी आठ महीने में उन्हें 23 करोड़ रुपये दिए गए थे। सेबी को वित्त मंत्रालय का पत्र मिला, जिसमें कार्यकाल के आखिरी आठ महीने में काफी ज्यादा वेतन दिए जाने पर ध्यान आकृष्ट किया गया था। रामकृष्ण ने एक्सचेंज में को-लोकेशन को लेकर अनुचित व्यवहार के आरोपों के बीच दिसंबर 2016 में इस्तीफा दे दिया था।
मंत्रालय के पत्र के बाद सेबी ने जांच शुरू की और एक्सचेंज से स्पष्टीकरण मांगा। जांच में नियामक ने पाया कि एनएसई ने रामकृष्ण को कुल 528 दिन के लीव एनकैशमेंट की इजाजत दी। एनएसई की नीति के तहत किसी कर्मचारी को सिर्फ 360 दिन के लीव एनकैशमेंट की अनुमति होती है। सेबी ने एनएसई को यह बताने को कहा कि आखिर किस प्रावधान के तहत अतिरिक्त 168 दिन के लीव एनकैशमेंट की इजाजत दी गई।
एक्सचेंज ने अपने जवाब में कहा कि उसकी नीति सिर्फ वरिष्ठ कर्मचारियों को रिटायरमेंट या इस्तीफे के समय सीमा से ज्यादा लीव एनकैशमेंट की इजाजत देती है। हालांकि यह नीतिगत बदलाव के जरिए किया गया और उसे एनएसई बोर्ड व पारिश्रमिक समिति ने मंजूरी दी। इसका क्रियान्वयन हालांकि नियामक की पूर्व अनुमति के किया गया।
सेबी ने मंगलवार को कहा, नियामक की पूर्व अनुमति के बिना वेतन-भत्ते के ढांचे में बदलाव किया गया, जो कि नियम के तहत अनिवार्य है। इसे चित्रा रामकृष्ण के मामले में लागू नहीं किया जा सकता।
अपने जवाब में एनएसई ने कहा था कि उसने सेबी के को-लोकेशन मामले में दिए आदेश के बाद रामकृष्ण से वेतन-भत्ते की रिकवरी कर ली थी।
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