निवेशकों को भाने लगे सरकारी फर्मों के शेयर | सुंदर सेतुरामन / तिरुवनंतपुरम August 24, 2020 | | | | |
लार्जकैप और मिडकैप शेयरों में हो रही बढ़त की रफ्तार धीरे-धीरे कम होने के साथ निवेशकों ने अपनी नजर शायद सार्वजनिक उपक्रमों के शेयरों की ओर कर ली है। इस महीने अब तक निफ्टी पीएसई इंडेक्स में 7.1 फीसदी की उछाल दर्ज हुई है और उसने बेंचमार्क निफ्टी को पीछे छोड़ दिया है, जिसमें 3.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सरकारी स्वामित्व वाली करीब आधा दर्जन कंपनियों ने 15-15 फीसदी की मजबूत बढ़त दर्ज की है। पीएफसी, सेल और एनटीपीसी का शेयर सबसे ज्यादा चढ़ा है और अच्छे वॉल्यूम के साथ उनमें 20 फीसदी से ज्यादा की उछाल दर्ज हुई है।
विशेषज्ञों ने कहा, मूल्यांकन काफी कम होने और सरकारी कवायद से इस क्षेत्र में खरीदारी बढ़ी है। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के उपाध्यक्ष सिद्धांत खेमका ने कहा, सरकार की तरफ की गई नीतिगत पहल ने पीएसयू को लेकर अवधारणा सुधारने में मदद की है। इनमें देसी विनिर्माण को बढ़ावा देना, राज्य सरकार के स्वामित्व वाली बिजली वितरण कंपनियों को उधारी सीमा में छूट और कुछ रक्षा साजोसामान के आयात पर पाबंदी लगाने के रक्षा मंत्रालय के फैसले शामिल हैं।
कुछ का इस आशावाद में भरोसा है कि सरकार कुछ कंपनियों का निजीकरण करेगी और इसका भी खरीदारी में योगदान रहा है। रिलायंस सिक्योरिटीज के प्रमुख (संस्थागत कारोबार) अर्जुन यश महाजन ने कहा, 27 जुलाई को सरकार ने 23 पीएसयू शेयरों के विनिवेश के जरिए 1.2 लाख करोड़ रुपये जुटाने की मंजूरी दी, जिसने पीएसयू शेयरों मे तेजी को हवा दी।
इसके अलावा आकर्षक मूल्यांकन और बाजार में बढ़ी नकदी से भी मदद मिली है। मार्च में हुई बिकवाली से कुछ पीएसयू शेयर काफी नीचे चले गए थे। विनिवेश की खबर और इस तरह के मूल्यांकन का भी खरीदारी पर असर पड़ा। लेकिन अंतिम चोट बहुतायत में रही नकदी ने की।
विशेषज्ञों ने कहा कि पीएसयू की बिक्री से पीएसयू का मूल्यांकन सामने आएगा, लेकिन अल्पांश हिस्से के विनिनवेश से बाजार में इन शेयरों की आपूर्ति बढ़ जाएगी, लिहाजा इनकी बढ़त पर असर पड़ेगा। आईडीबीआई कैपिटल के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर ने कहा, जोखिम का एक पहलू विनिवेश है, जो आने वाले समय में पीएसयू को प्रभावित कर सकता है। सरकार चाहे जितना भी विनिवेश करना चाहती हो, मूल्यांकन में गिरावट देखने को मिलेगी। रक्षा क्षेत्र से जुड़े पीएसयू पर हमारा नजरिया तेजी का है। उन्होंने कहा, सीमा पर तनाव के कारण रक्षा पीएसयू के ऑर्डर बुक में बढ़ोतरी शुरू हो गई है।
विशेषज्ञों ने कहा कि ईटीएफ के जरिए पीएसयू का आक्रामक तौर पर विनिवेश किया जाना घटते मूल्यांकन की मुख्य वजह है। साल 2019-20 में केंद्र सरकार ने तथाकथित सीपीएसई ईटीएफ और भारत 22 ईटीएफ के जरिए कई पीएसयू के शेयरों का विनिवेश किया और करीब 31,000 करोड़ रुपये जुटाए। एक फंड मैनेजर ने कहा, ईटीएफ के जरिये विनिवेश ने शेयरों पर विपरीत असर डाला है। इस मार्ग से सरकार को बाजार दर से नीचे यानी छूट पर शेयरों की पेशकश करनी चाहिए। पिछले कई वर्षों से सरकार ने ईटीएफ का इस्तेमाल काफी आक्रामकता से किया है। इससे कई पीएसयू के शेयरों का कारोबार अपने आंतरिक कीमत से नीचे हुआ।
इस साल अब तक एनएसई पीएसई इंडेक्स 17.5 फीसदी फिसला है, वहीं निफ्टी में 5.8 फीसदी की गिरावट आई है।
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