फ्यूचर रिटेल ने अपने विदेशी बॉन्डों पर आज 100 करोड़ रुपये के ब्याज का भुगतान कर किसी तरह डिफॉल्ट होने से खुद को बचा लिया। ब्याज का भुगतान 50 करोड़ डॉलर के सीनियर सुरक्षित बॉन्डधारकों द्वारा दी गई 30 दिन की मोहलत के अंतिम दिन किया गया। विदेशी बॉन्डधारकों को ब्याज का भुगतान करने के लिए पैसे का प्रबंध कंपनी ने आंतरिक संसाधनों और बैंकों से किया है। फ्यचूर के एक अधिकारी ने भी बॉन्डधारकों के बकाये का भुगतान करने की पुष्टि की। कंपनी के ऋणदाताओं में से एक ने डिफॉल्ट के कारण फ्यूचर के गिरवी शेयर बाजार में बेच दिए, जिसकी वजह से फ्यूचर रिटेल का शेयर 6.62 फीसदी की गिरावट के साथ 114 रुपये पर बंद हुआ। कंपनी ने 22 जुलाई को बॉन्डधारकों को भुगतान में चूक की थी, जिसके बाद बॉन्ड की शर्तों के अनुसार बकाया चुकाने के लिए 30 दिन की मोहलत दी गई थी। 22 जुलाई को तकनीकी डिफॉल्ट के तत्काल बाद फ्यूचर ने कहा था कि वह दी गई मोहलत के दौरान ब्याज का भुगतान कर देगी। समूह दो बीमा इकाइयों में अपनी हिस्सेदारी भी बेचने की योजना बना रहा था लेकिन तय समयसीमा में ऐसा करने में सक्षम नहीं हो पाया। समूह का नकदी प्रवाह थम सा गया है और वह भुगतान में चूूक करने लगी। प्रवर्तकों की समूची हिस्सेदारी जिन ऋणदाताओं के पास गिरवी है, वे फ्यूचर के रिटेल कारोबार को रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के हाथों बेचने के लिए बातचीत कर रहे हैं। जिस योजना पर काम किया जा रहा है, उसके तहत फ्यूचर समूह की तीन कंपनियों- फ्यूचर लाइफस्टाइल, फ्यूचर सप्लाई चेन सॉल्यूशंस और फ्यूचर रिटेल को फ्यूचर एंटरप्राइजेज में विलय किया जाएगा। विलय प्रक्रिया पूरी होने के बाद एकीकृत इकाई में रिलायंस 8,500 करोड़ रुपये का निवेश करेगी और कंपनी की 50 फीसदी हिस्सेदारी लेगी। सूत्रों ने कहा कि फ्यूचर के लिए बॉन्डधारकों के भुगतान में चूक को टालना जरूरी हो गया था क्योंकि ऐसा करने के बाद ही वह रिलायंस के साथ सौदे पर आगे बढ़ सकती है। विदेशी बॉन्डधारकों के भुगतान में चूक के कारण कानूनी पेच से सौदे में देरी हो सकती थी। उधर, आरआईएल ने फ्यूचर के वेंडरों और ऋणदाताओं से फ्यूचर समूह की कंपनियों के अधिग्रहण से पहले थोड़ा नुकसान उठाने को कहा है। एक सूत्र ने कहा कि फ्यूचर के वेंडरों को आरआईएल द्वारा अपने बकाये में 20 फीसदी तक का नुकसान सहने को कहा गया है। समूह के ऋणदाताओं को भी 40 फीसदी तक का नुकसान उठाने को कहा गया है। हालांकि बैंकों को फ्यूचर समूह की रियल एस्टेट संपत्तियां मिलेंगी, जिसे एक अलग कंपनी में बांटा जाएगा। भारी कर्ज के कारण फ्यूचर समूह प्रवर्तक और सूचीबद्घ इकाई के स्तर पर बड़ी मुश्किलों का सामना कर रहा है। महामारी के कारण समूह की सभी कंपनियों का कारोबार प्रभावित हुआ है और लॉकडाउन के कारण उसे श्रमबल, आपूर्ति शृंखला एवं वितरण में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। कंपनी को अपने कई फ्रैंचाइजी और रिटेल स्टोर बंद करनेे पड़े हैं। कंपनी के साथ ही प्रवर्तकों की इकाइयों पर भी काफी कर्ज है जो मार्च 2018 के 11,790 करोड़ रुपये से मार्च 2019 में बढ़कर 11,970 करोड़ रुपये हो गया।
