मेघा इंजीनियरिंग ने इन्फ्रा क्षेत्र की दिग्गजों को पीछे छोड़ा | ज्योति मुकुल और कृष्ण कांत / नई दिल्ली/मुंबई August 24, 2020 | | | | |
जब हैदराबाद की मेघा इंजीनियरिंग ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) ने पिछले सप्ताह यह घोषणा की थी कि उसने जम्मू-कश्मीर में जोजिला परियोजना के लिए 4,509.5 करोड़ रुपये का सुरंग निर्माण संबंधित अनुबंध हासिल कर लिया है तो कंपनी के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं थी। लेकिन अब वह हाल के समय में देश में तेजी से बढ़ रही और बेहद सफल इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं ईपीसी (सरकार द्वारा वित्त पोषित अनुबंध) कंपनियों में से एक बन गई है।
कंपनी का राजस्व पिछले पांच वर्षों में वित्त वर्ष 2014 के 5,200 करोड़ रुपये से करीब तीन गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2019 में 20,300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। समान अवधि में, उसका शुद्घ लाभ वित्त करीब 6 गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2019 में 2800 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो वित्त वर्ष 2014 में करीब 500 करोड़ रुपये था। इसने एमईआईएल को लार्सन ऐंड टुब्रो के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी निर्माण एवं इंजीनियरिंग कंपनी बना दिया है। एलऐंडटी की इन्फ्रास्टक्चर इकाई ने वित्त वर्ष 2019 में 73,000 करोड़ रुपये का राजस्व और करीब 5,400 करोड़ रुपये कर ब्याज एवं कर-पूर्व लाभ (पीबीआईटी) दर्ज किया।
एलऐंडटी के इन्फ्रास्टक्चर खंड का राजस्व वित्त वर्ष 2014 से वित्त वर्ष 2019 के बीच दोगुना हो गया, जबकि समान अवधि के दौरान एमईआईएल का राजस्व चार गुना बढ़ा है। हालांकि एमईआईएल अपने न्यून आधार की वजह से काफी तेजी से बढ़ रही है। अन्य कारण यह भी है कि कंपनी ने हाल में बड़ी तादाद में परियोजनाएं क्रियान्वित की हैं। चेयरमैन के तौर पर पीपी रेड्डी और प्रबंध निदेशक दामाद कृष्णा रेड्डी के नेतृत्व में कंपनी ने 1989 में एक छोटी फैब्रिकेशन इकाई के तौर पर शुरुआत की थी, लेकिन मौजूदा समय में यह बिजली, सिंचाई, पेयजल, सड़क और हाइड्रोकार्बन जैसे क्षेत्रों में उपस्थिति बना चुकी है।
कंपनी के पास 55,548 करोड़ रुपये की पोलावरम मल्टीपर्पज परियोजना में 4,358 करोड़ रुपये का अनुबंध है। आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा पिछला अनुबंध रद्द किए जाने के बाद कंपनी ने बोली प्रक्रिया में हाइड्रोपावर स्टेशन का अनुबंध हासिल किया है। एमईआईएल ने 4,358 करोड़ रुपये में यह परियोजना हासिल की, जो पिछली बोली के मुकाबले 12.6 प्रतिशत कम था।
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