गैस की घटती कीमतों पर फर्मों का दांव | |
उज्ज्वल जौहरी / नई दिल्ली 08 23, 2020 | | | | |
वैश्विक प्राकृतिक गैस कीमतों में नियमित गिरावट का मतलब है कि प्रशासित मूल्य व्यवस्था (एपीएम) के तहत बेची जाने वाली घरेलू गैस की कीमतों में 1 अक्टूबर, 2020 से कमी आ सकती है। सरकार अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा तथा रूस जैसे देशों में औसत गैस कीमत के आधार पर हरेक छह महीने के बाद घरेलू गैस कीमतों की समीक्षा करती है। विश्लेषकों को एपीएम गैस कीमत लगातार तीसरी बार घटकर 2 डॉलर प्रति एमबीटीयू (मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट) से नीचे रहने का अनुमान है। स्पष्ट है कि अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान 2.39 डॉलर की मौजूदा कीमत नई घरेलू गैस नीति घोषित होने के बाद पहले से ही सबसे निचले स्तर पर है।
जहां सिटी गैस वितरण (सीजीडी) कंपनियों के सबसे बड़ी लाभार्थी होने की संभावना है, वहीं अन्य लाभार्थियों में उर्वरक निर्माता, सिरैमिक टाइल निर्माता और कच्चे माल के तौर पर गैस का इस्तेमाल करने वाले विद्युत उत्पादक भी शामिल हो सकते हैं।
इंद्रप्रस्थ गैस (आईजीएल), गुजरात गैस, और महानगर गैस (एमजीएल) जैसी सीजीडी कंपनियों ने कम गैस कीमत का लगातार लाभ उठाया है और इनके लाभ और मांग में इजाफा हुआ है। गैस के अन्य वाहन ईंधन के मुकाबले सस्ता विकल्प होने की वजह से सीएनजी (कम्प्रेस्ड नैचुरल गैस) के लिए मांग बढ़ाने में मदद मिली है। एक स्वच्छ ईंधन होने की वजह से इसके लिए उद्योगों से भी मांग बढ़ी है। इसके अलावा तेजी से बढ़ते वितरण इन्फ्रास्ट्रक्चर से पाइप्ड नैचुरल गैस (पीएनजी) की मांग बढ़ रही है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के विश्लेषकों को वित्त वर्ष 2021-वित्त वर्ष 2023 के दौरान 53 लाख टन सालाना की वृद्घिशील मांग का अनुमान है जिससे सालाना 10 प्रतिशत की वृद्घि का पता चलता है। इसके अलावा, कोविड-19 की वजह से मांग में आई गिरावट और एलएनजी द्रवीकरण क्षमता (चालू वर्ष 20-22 के दौरान 3.9 करोड़ टन सालाना) की वजह से एलएनजी कीमत लगातार नीचे बनी रह सकती है।
हालांकि कोरोना महामारी की वजह से सीजीडी कंपनियों को बिक्री के मोर्चे पर नुकसान उठाना पड़ा है और जून तिामही के उनके वित्तीय प्रदर्शन में इसका असर दिखा है। ये कंपनियां अब मांग में सुधार दर्ज कर रही है। उपर्युक्त तीन कंपनियों में गुजरात गैस के लिए बिक्री कोविड से पहले जैसे स्तर पर लौट चुकी है क्योंकि उसे बड़ी औद्योगिक आपूर्ति से मदद मिली है। इस कंपनी का शेयर भी मई के निचले स्तरों से 38 प्रतिशत ऊपर आ चुका है और उसने प्रतिस्पर्धियों को मात दी है। विश्लेषकों का कहना है कि ये तीनों कंपनियां कम गैस कीमत का लाभ उठाने में सफल रहेंगी और इससे उनकी सकल मार्जिन वृद्घि को बढ़ावा मिलेगा, परिचालन स्तर पर उनकी बिक्री सामान्य होने पर मजबूती मिलेगी। इस तरह से, आईजीएल और एमजीएल के लिए सीएनजी बिक्री महानगरों में बढऩा जरूरी है। आईजीएल की दिल्ली-एनसीआर में मजबूत उपस्थिति है और उसे भौगोलिक विस्तार तथा एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण उपायों से भी मदद मिल रही है। हालांकि इस शेयर ने हमेशा महंगे मूल्यांकन पर कारोबार किया है, जो प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले उसके ताजा कमजोर प्रदर्शन की एक मुख्य वजह है। गुजरात गैस के बाद आईजीएल के मुकाबले एमजीएल शेयरखान के अभिजीत बोरा का पसंदीदा शेयर है।
दूसरी तरफ, उर्वरक क्षेत्र पर लॉकडाउन का सीमित प्रभाव पड़ा है, क्योंकि इसे जरूरी जिंस के तौर पर वर्गीकृत किया गया है। अच्छी रबी फसल, सामान्य मॉनसून से खरीफ फसल की बुआई में भी मदद मिली है। कम गैस कीमत से उर्वरक उत्पादकों द्वारा यूरिया निर्माण के लिए प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल ज्यादा किए जाने की संभावना है। विश्लेषकों का कहना है कि इन उत्पादको की कुल कच्चे माल की लागत में गैस का 50-80 प्रतिशत का योगदान है। उर्वरक उद्योग घरेलू प्राकृतिक गैस का प्रमुख उपभोक्ता है और हालात में सुधार के साथ उसे सबसे ज्यादा लाभ मिलने की संभावना है।
भारत में 31 यूरिया संयंत्रों में, 28 गैस-आधारित हैं, और तीन नाफ्था का इस्तेमाल करते हैं। केयर रेटिंग्स के अनुमान के अनुसार, प्राकृतिक गैस कीमत में 26 प्रतिशत की गिरावट से यूरिया उत्पादन की लागत में 12.5 प्रतिशत की कमी लाने में मदद मिल सकती है और इस तरह से उर्वरक निर्माताओं की कार्यशील पूंजी तीव्रता में कमी लाई जा सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि इससे उनकी आय में इजाफा हो सकता है। नागार्जुन फर्टिलाइजर्स, चंबल फर्टिलाइजर्स, राष्ट्रीय केमिकल्स ऐंड फर्टिलाइजर्स (आरसीएफ), कोरोमंडल इंटरनैशनल, टाटा केमिकल्स की शेयर कीमतों में मार्च के निचले स्तरों से 115 प्रतिशत तक की तेजी देखी गई है और कम गैस कीमत से संभावित लाभ को देखते हुए इनमें और ज्यादा तेजी आ सकती है।
सिरैमिक टाइल सेक्टर भी मुख्य लाभार्थियों में शामिल है। रिलायंस सिक्योरिटीज के बिनोद मोदी का कहना है कि चूंकि गैस की लागत कुल परिचालन लागत का करीब 30 प्रतिशत होगी, ऐसे में उसकी कीमत में कमी से मार्जिन में सुधार आएगा। यह उन कंपनियों के लिए सकारात्मक खबर है जिन्हें किफायती आवास पर सरकार के जोर दिए जाने से भी लाभ मिलने की संभावना है। मूल्यांकन को ध्यान में रखते हुए मोदी ने सोमानी सिरैमिक्स से लेकर कजारिया सिरैमिक्स को पसंद किया है। इसके अलावा विद्युत उत्पादकों के सुस्त परिदृश्य में भी अब कुछ सुधार देखा जा सकता है। विद्युत उत्पादकों के लिए शुरू में ज्यादा घरेलू गैस उपलब्ध नहीं थी और टॉरंट पावर जैसी बड़ी कंपनियां दीर्घावधि एलएनजी अनुबंधों पर निर्भर रही हैं। एलारा कैपिटल के रूपेश सांखे का मानना है कि गैस कीमत में लगातार नरमी से अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ताओं के साथ एलएनजी अनुबंधों में मोलभाव की गुंजाइश बढ़ सकती है जिससे लंबे समय के संदर्भ में ऐसी कंपनियों को फायदा मिल सकता है। हालांकि कम गैस कीमत का ज्यादा लाभ गुजरात इंडस्ट्रीज जैसी राज्य में उत्पादन करने वाली कंपनियों को मिलेगा। एनटीपीसी को भी कुछ हद तक फायदा हो सकता है, क्योंकि उसके कई संयंत्र कोयला-आधारित हैं।
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