आम जन तक टीका पहुंचने में अभी लग जाएगा थोड़ा वक्त | रुचिका चित्रवंशी और सोहिनी दास / August 23, 2020 | | | | |
कोविड-19 टीके की खोज भले ही प्रयोगशालाओं में शुरू हो सकती है लेकिन यह केवल एक लंबी प्रक्रिया की शुरुआत भर है जिसमें सरकार और निजी क्षेत्रों द्वारा अन्य मुद्दों पर काम करना भी शामिल है ताकि विनिर्माण से लेकर लॉजिस्टिक्स और वितरण जैसी प्राथमिकताओं के बीच की दूरी खत्म की पाटा जा सके। यही कारण है कि टीका तैयार करने की दौड़ में शामिल लोग टीका तैयार करने की कोई समय-सीमा नहीं बताते हैं। कोविड-19 का टीका इस साल के अंत तक आने की बातें सार्वजनिक तौर पर कही जा रही हैं लेकिन ये पूर्ण रूप से अभी अटकल भर ही है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के प्रमुख बलराम भार्गव ने हाल ही में बिज़नेस स्टैंडर्ड से एक साक्षात्कार में कहा था कि अगर कोई दूसरा देश पहले टीका तैयार करने में सफल भी होता है तब भी भारत या चीन को टीके तैयार करने के दायरे को बढ़ाना होगा। हालांकि ज्यादा मात्रा में टीका तैयार करना कोई बड़ी समस्या नहीं है। भारत की टीका बनाने की क्षमता दुनिया में सबसे ज्यादा है। भारत बायोटेक और इंडियन इम्युनोलॉजिकल्स (आईआईएल) सहित कई कंपनियों ने संकेत दिया है कि वे कोविड-19 टीका के लिए अपनी क्षमता को बढ़ाते हुए सहयोग के लिए तैयार हैं। हालांकि अभी तक इसमें कुछ ठोस बात नहीं निकल कर आई है लेकिन सूत्रों का मानना है कि हैदराबाद की तीन टीका निर्माता कंपनियां भारत बायोटेक, आईआईएल और बायोलॉजिकल ई टीका तैयार करने में सहयोग करने का विकल्प चुन सकती हैं। तीनों ही कोविड टीका पर काम कर रही हैं।
बायोलॉजिकल ई ने हाल ही में जॉनसन ऐंड जॉनसन के साथ अपने टीके के लिए करार किया और इसने एकॉर्न इंडिया के साथ करार कर अपनी टीका निर्माण क्षमता को बढ़ाया है जिसका संयंत्र हिमाचल में है। बीई की प्रबंध निदेशक महिमा दातला कहती हैं, 'हम टीका और जेनेरिक इंजेक्शन दोनों में बीई और एकॉर्न इंडिया की क्षमताओं का लाभ उठाएंगे। यह अधिग्रहण अचानक ही हुआ है और इससे हमें तुरंत अपने कोविड-19 टीके की जांच और उसके निर्माण के लिए हमारी क्षमता का विस्तार करने में मदद मिलेगी। इन क्षमताओं की वजह से हम एक साल में 10 अरब से अधिक खुराक की पेशकश कर पाने की स्थिति में होंगे।'
टीका निर्माण में सहयोग कई तकनीकी पहलुओं पर विचार करने पर आधारित होना चाहिए। हालांकि डीएनए फॉर्मूला (जिसका अर्थ यह है कि यह सार्स-कोव-2 में इस्तेमाल नहीं होगा) का इस्तेमाल करने वाले टीके की तुलना में एक निष्क्रिय वायरस का इस्तेमाल करने वाले टीके के लिए जैवसुरक्षा मानकों का स्तर ऊंचा होता है जिसे जायडस द्वारा तैयार किया जा रहा है। अब तक देश में तीन कंपनियां टीका बनाने की होड़ में सबसे आगे हैं जिनमें जायडस कैडिला, भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट फ ॉर ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका का नाम शामिल है।
भारत बायोटेक एक निष्क्रिय वायरस टीके का इस्तेमाल कर रही है और यह एक साल में इसका 30 करोड़ खुराक बना सकती है। वहीं सीरम इंस्टीट्यूट अगस्त के अंत से दूसरे और तीसरे चरण का परीक्षण शुरू करेगा और करीब इतने ही टीके के साथ शुरुआत करने की योजना बना रहा है। जायडस अपने अहमदाबाद संयंत्र में कुछ करोड़ खुराक बनाएगी।
टीका तैयार करने, उसका परिवहन और इसकी लॉजिस्टिक्स से जुड़ी चुनौतियां अलग हैं। भारत में कोविड-19 महामारी के दौरान देश भर में टीका आपूर्ति शृंखला और देश भर में इसके भंडार के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलीजेंस नेटवर्क (ईवीआईएन) का इस्तेमाल किया गया है। यह प्रणाली भारत में पंजीकृत टीका भंडारण और पंजीकृत भंडारण स्थलों के तापमान के बारे में जानकारी प्रदान करती है। इस नेटवर्क में डिजिटल रिकॉर्ड रखने के लिए 23,900 डिजिटल तापमान लॉगर्स और कोल्ड चेन का प्रबंधन करने वाले 41,420 लोग शामिल हैं।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास बेहतर कोल्ड चेन नेटवर्क है खासतौर पर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और मिशन इंद्रधनुष जैसी योजनाओं के माध्यम से देश में चलाए जा रहे राष्ट्रव्यापी टीकाकरण कार्यक्रम की वजह से ऐसे नेटवर्क तैयार किए गए हैं। लेकिन मुख्य चुनौतियां टीका लगाने के लिए प्रशिक्षित लोगों की उपलब्धता की होगी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा मंच, जन स्वास्थ्य अभियान की सदस्य छाया पचौली ने कहा कि अगर मांसपेशियों में टीका लगाने के पारंपरिक तरीके का इस्तेमाल किया जाएगा तब प्रशिक्षण कोई बड़ी समस्या नहीं होगी क्योंकि समय-समय पर नए लोगों को इसका प्रशिक्षण दिया जाता है। मुद्दा यह होगा कि क्या ऐसे लोग पर्याप्त संख्या में उपलब्ध होंगे। सहायक नर्सें और गांव स्तर के स्वास्थ्य कार्यकर्ता जो एक दिन में 20 से 30 बच्चों को टीका देते हैं उन्हें बड़ी तादाद में लोगों को अपनी सेवाएं देनी होंगी जिनमें से ज्यादातर वयस्क होंगे।
तिरुवनंतपुरम के श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फ ॉर मेडिकल साइंसेज ऐंड टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर राखाल गायतोंडे ने बताया, 'हम बच्चों के टीका के मामले में बेहतर स्थिति में हैं। लेकिन हमें वयस्क टीकाकरण का बहुत कम अनुभव है ऐसे में क्या हम लोगों को इस तरह की सेवाएं देने के लिए तैयार कर पाएंगे?' उन्होंने एन्फ्लूएंजा टीका की मिसाल दी जिसे अमेरिका और यूरोप में बड़े पैमाने पर लगाया जाता है लेकिन भारत में यह टीका इतने बड़े पैमाने पर नहीं लगाया जाता क्योंकि यह टीका मुफ्त नहीं है।
क्या कोविड-19 टीके का भी ऐसा ही हश्र देखने को मिलेगा? गायतोंडे कहती हैं, 'यदि आप महामारी को फैलने से रोकने के एक तरीके के रूप में टीकाकरण का इस्तेमाल करने जा रहे है या इसे पूरी तरह से नियंत्रित करना चाहते हैं तो सरकार इसे वैकल्पिक नहीं बना सकती है।' उनका कहना है कि इस मामले में टीका या तो मुफ्त या एक तय सीमा वाली कीमतों के साथ वितरित करना होगा।
इस बीच सरकार अब भी टीका खरीदने की योजना के विवरण पर चर्चा कर रही है और इसने पहले ही राज्यों को खरीद के लिए अलग तरीके नहीं अपनाने का निर्देश दिया है। सोमवार को स्वदेशी टीका निर्माताओं के साथ एक बैठक में खरीद और क्षमताओं को बढ़ाने के लिए निवेश पर चर्चा हुई थी। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह प्रक्रिया अभी शुरू हुई है और एक बार जब टीका विशेषज्ञ समूह ज्यादा बैठकें करने लगेगा तब ज्यादा ब्योरा सामने आएगा।
किसी भी टीके को नियामक की मंजूरी मिलते ही निजी अस्पताल टीकाकरण अभियान शुरू करने की तैयारी में जुट गए हैं। मणिपाल हॉस्पिटल्स के सीईओ दिलीप होसे ने कहा, 'हमारे पास लगभग 6,000 कर्मचारी हैं और हम बाजार में टीका उपलब्ध होने के बाद उसे खरीदकर सबसे पहले अपने कर्मचारियों को टीका लगाएंगे।'
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