पहले से ही पूंजी के मोर्चे पर कमजोर भारत के सरकारी बैंकों में अगले 2 साल में 1.9 से 2.1 लाख करोड़ रुपये बाहरी पूंजी डाले जाने की जरूरत है, जिससे उनकी घाटा उठाने की क्षमता बहाल की जा सके। रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुताबिक पूंजी की यह कमी पूरी करने के लिए संभावित स्रोत सरकार हो सकती है, भले ही उसने कुछ महीने पहले बैंकों के बड़े पैमाने पर पूंजीकरण का काम पूरा किया है। रेटिंग एजेंसी ने एक बयान में कहा है कि भारत के आर्थिक पुनरुद्धार को लेकर अनिश्चितता और बैलेंस शीट दुरुस्त करने की कवायद के बीच बैंकों के लिए बाजार से इक्विटी पूंजी जुटाना कठिन हो गया है। मूडीज में वाइस प्रेसिडेंट और सीनियर क्रेडिट ऑफिसर अलका अनबरासु ने कहा कि भारत की बैंकिंग व्यवस्था में सरकारी बैंकों का प्रभुत्व है, इसका मतलब यह है कि अगर से विफल होते हैं तो वित्तीय स्थिरता को जोखिम हो जाएगा। भारत के आर्थिक विकास में तेज मंदी से सरकारी बैंक की संपत्ति की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है और इससे कर्ज को नुकसान पहुंच रहा है। मार्च 2022 तक गैर निष्पादित कर्ज (एनपीएल) अनुपात बढ़कर 14.5 प्रतिशत पहुंच जाने की संभावना है, जो मार्च 2020 में 11 प्रतिशत था। मूडीज ने संभावना जताई है कि खुदरा और सूक्ष्म, लघु व मझोले आकार के उद्यम (एमएसएमई) की वजह से एनपीएल बढ़ेगा और इससे कॉर्पोरेट एनपीएल की चल रही सफाई में देरी होगी।
