वैश्विक रेस्तरां उद्योग के लिए यह हफ्ता हैरानी से भरा था क्योंकि फास्ट फूड क्षेत्र की दिग्गज कंपनी पिज्जा हट ने घोषणा कर दी कि वह अमेरिका में अपने 300 आउटलेट बंद करने जा रही है क्योंकि उसका एक प्रमुख फ्रैंचाइजी दिवालिया हो चुका है। हालांकि देश में 430 से अधिक स्टोर वाले पिज्जा हट की भारतीय इकाई ने अपने आउटलेट के बंद होने की घोषणा नहीं की है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े, संगठित खिलाडिय़ों को भी कोविड-19 महामारी से दिक्कत हो रही है। इसकी वजह यह है कि लोग घर से बाहर खरीदारी करने या खाने से परहेज कर रहे हैं और इसके बजाय घर पर ही खाने को तरजीह दे रहे हैं। रेस्तरां उद्योग की शीर्ष संस्था, नैशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अनुराग कट्रियार कहते हैं, 'अब तक छोटे खिलाड़ी अपना आउटलेट बंद कर रहे थे। लेकिन अब मैं देख रहा हूं कि बड़े खिलाड़ी भी सोच-समझकर ही अपने स्टोर चलाने को तरजीह दे रहे हैं।' कट्रियार का अनुमान है कि भारत में कुल रेस्तरां बाजार का एक-तिहाई हिस्सा मौजूदा वित्त वर्ष में बंद हो सकता है जिसकी वैल्यू 4.25 लाख करोड़ रुपये है क्योंकि कई खिलाड़ी ग्राहकों की अनुपस्थिति में अपना आउटलेट चलाने में असमर्थ हैं। भारत के कुल रेस्तरां बाजार का 60 प्रतिशत असंगठित है जबकि 40 प्रतिशत संगठित है। हालांकि महामारी की वजह से मार्च में लॉकडाउन के शुरू होने के बाद से स्टोर बंद होने का रुझान असंगठित बाजार में बड़े पैमाने पर देखा गया है लेकिन अब संगठित खिलाड़ी भी उन आउटलेट को बंद कर रहे हैं जिनसे कोई फायदा नहीं मिल रहा था। लॉकडाउन को खोले जाने के तीसरे चरण के दौरान रात का कफ्र्यू हटा दिया गया है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि रेस्तरां में शराब देने की अनुमति नहीं मिलना एक चिंता का विषय है क्योंकि यह कारोबार बढ़ाने का एक प्रमुख कारक है। इस क्षेत्र के विश्लेषकों ने कहा कि रेस्तरां कारोबार के एक प्रमुख बाजार दिल्ली में 60.70 प्रतिशत रेस्तरां और बार मालिकों ने रेस्तरां में शराब पीने पर अंकुश लगने के कारण अभी तक अपने लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं कराया है। वहीं दूसरी ओर मुंबई और महाराष्ट्र में रेस्तरां सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के कारण बंद हैं। सोशल ऐंड स्मोक हाउस डेली जैसे ब्रांड रखने वाले इंप्रेसारियो एंटरटेनमेंट ऐंड हॉस्पिटैलिटी के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) रियाज अमलानी का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में इसके कुल 50 स्टोर में से करीब दो से तीन आउटलेट बंद हो गए हैं। वह कहते हैं, 'अगर रेस्तरां मालिकों को मुनाफ ा देने वाले स्टोर को चलाते रहना है तो उन्हें उन स्टोर को बंद करना होगा जहां ग्राहक नहीं आते। उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है। अब सवाल नकदी बचाने का और उसे उन जगहों और आउटलेट में लगाना है जहां कारोबार की संभावनाएं दिखती हैं।' कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि बड़े रेस्तरां में कुछ हद तक डिलीवरी बिक्री से भी खाने केकारोबार के नुकसान की भरपाई हो रही है लेकिन कट्रियार का कहना है कि छोटे और मझोले स्तर के खाने से जुड़ी सेवाएं देने वाले इसके लिए तैयार नहीं हैं। वह कहते हैं कि बड़े आउटलेट भी अब दबाव महसूस कर रहे हैं क्योंकि खाने के क्षेत्र में पारंपरिक रेस्तरां कारोबार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उद्योग का अनुमान है कि किसी रेस्तरां की कुल बिक्री में खाने की बिक्री का हिस्सा लगभग 65.70 प्रतिशत और डिलिवरी बिक्री लगभग 30.35 प्रतिशत तक है। कट्रियार कहते हैं, 'तेज सेवाएं देने वाले रेस्तरां के लिए डिलिवरी अच्छी तरह से काम करता है लेकिन वे भी अपने यहां ज्यादा कर्मचारियों पर कड़ी नजर रख रहे हैं। सभी खिलाड़ी खाने से जुड़ी सेवाओं को ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए काफ ी बदलाव कर रहे है क्योंकि इन ग्राहकों को वापस लाना ही कारोबार के लिए महत्त्वपूर्ण होगा।' पिज्जा हट ने इस खबर के लिए अपनी कोई टिप्पणी देने से मना कर दिया। लेकिन हाल ही में बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ हुई बातचीत में भारत के पश्चिम और दक्षिण में मैकडॉनल्ड्स स्टोर चलाने वाले वेस्टलाइफ डेवलपमेंट के उपाध्यक्ष अमित जटिया ने कहा कि इस महामारी से सबसे पहले उबरने वालों में पश्चिम के तेज सेवा देने वाले रेस्तरां (क्यूएसआर) सबसे पहले शामिल होंगे क्योंकि नए माहौल में खुद को ढालने की उनकी क्षमता बाकी लोगों से आगे है। जटिया कहते हैं, 'अंतरराष्ट्रीय बाजारों के हमारे अध्ययन से पता चलता है कि उपभोक्ताओं का क्यूएसआर में जाने का रुझान ज्यादा है क्योंकि उन्हें इन जगहों पर खाना सुरक्षित लगता है। क्यूएसआर में भी बड़े ब्रांड वालों के प्रति ज्यादा भरोसा होता है इसलिए उन्हें सबसे अधिक लाभ भी होगा।' अधिकांश क्यूएसआर शृंखलाओं के लिए सुविधा चैनलों ने कारोबार के मामले में तेजी से सुधार दिखाया है क्योंकि जून से लॉकडाउन खोलने की शुरुआत हुई थी।
