'बाजार में बेतुकी तेजी नहीं' | जश कृपलानी / मुंबई August 21, 2020 | | | | |
कोरोनावायरस के समय धड़ाम हुए बेंचमार्क सूचकांक 23 मार्च के अपने स्तर से करीब 50 फीसदी चढ़ चुके हैं, जिससे यह डर बढऩे लगा है कि शेयर बाजार में तेजी का बुलबुला बन गया है। लेकिन देश के शीर्ष मुद्रा प्रबंधकों को यही लगता है कि बाजार अपने बुनियादी दायरे में ही है और उससे आगे नहीं भागा है। कोविड-19 का असर कुछ समय के लिए ही रहेगा और बाजार ने पहले ही समझ लिया है कि अगले एक-दो साल में मामला कितना पटरी पर लौट सकता है।
फंड प्रबंधकों और म्युचुअल फंडों के मुख्य कार्यकारियों ने यह राय बिजनेस स्टैंडर्ड की 'अनलॉक बीएफएसआई 2.0' शृंखला के तहत आयोजित चौथे वेबिनार में रखी। चर्चा के सूत्रधार बिजनेस स्टैंडर्ड के सलाहकार संपादक तमाल बंद्योपाध्याय थे।
एचडीएफसी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य निवेश अधिकारी प्रशांत जैन ने कहा, 'ब्याज दरों में कटौती की सराहना करनी होगी। ब्याज दर कम होने से शेयर की वाजिब कीमत बढ़ गई। अर्थव्यवस्था में वृद्घि बेशक नकारात्मक है। लेकिन साल भर में मुनाफे में कमी से कीमत में कितनी कमी आएगी... मुश्किल से पांच फीसदी। मान लीजिए कि किसी कारोबार को इस साल मुनाफा ही नहीं होता है। तो भी शेयर की कीमत में पांच फीसदी की कमी ही आएगी, उससे ज्यादा नहीं।' उन्होंने यह भी कहा कि बाजार ने शायद अगले दो साल का अंदाजा पहले ही लगा लिया है।
बिड़ला सन लाइफ एमएफ के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी ए बालसुब्रमण्यन ने देश-विदेश में आए बड़े राहत पैकेजों की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा, 'कई साल बाद पहली बार नीति निर्माताओं को इतनी तेज प्रतिक्रिया करते देखा है। किसी को अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि अमेरिका में नीति निर्माता इतना सहारा देंगे। तरलता काफी ज्यादा है और धन की आपूर्ति भी बढ़ रही है।'
बालसुब्रमण्यन ने कहा, 'भारत में भी सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज दिया है। यह मामूली रकम नहीं है।' उन्हें लगता है कि अगले छह से आठ महीनों में हालात सामान्य हो जाएंगे और जिस तेजी से गिरावट आई है उसी तेजी से वृद्घि भी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि निवेशक बाजार में हिस्सेदारी करने को उत्सुक हैं क्योंकि उन्हें भी बाजार चढऩे के आसार नजर आ रहे हैं। इस बार वे उछाल से ठीक पहले बाजार में कदम रखना चाहते हैं ताकि इसका भरपूर फायदा उठा सकें। उन्होंने कहा कि आम तौर पर पहले भागीदारी दिखती है, उसके बाद अर्निंग भी आती हैं। एसबीआई म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी नवनीत मुनोत ने भी माना कि नीतिगत प्रतिक्रिया असाधारण रही है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्सों में तेजी से बेहतरी आने और कुछ अन्य के सामने चुनौतियां बरकरार रहने की संभावना है। निप्पॉन इंडिया एमएफ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संदीप सिक्का ने चालू महीने में पूंजी के बहिर्गमन पर कहा कि वही निवेशक बाहर जा रहे हैं जो अल्पावधि की गतिविधियों का लाभ उठाना चाहते हैं। आईसीआईसीआई एएमसी के मुख्य निवेश अधिकारी एस नरेन ने कहा कि अधिकाधिक निवेशकों के सीधे इक्विटी का रुख करने का रुझान चिंतित करने वाला है। उन्होंने कहा, 'कई लोगों को लग रहा है कि सावधि जमा में जितना प्रतिफल एक वर्ष में मिलेगा उतना इक्विटी में एक सप्ताह में कमाया जा सकता है।' कोटक एएमसी के प्रबंध निदेशक और एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के चेयरमैन नीलेश शाह ने दोहराया कि म्युचुअल फंड निवेशकों को इस उतार-चढ़ाव के दौर में भी अपने निवेश पर भरोसा और धैर्य बनाए रखने की आवश्यकता है।
शाह ने कहा, 'इस समय सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान में भरोसा बनाए रखने की जरूरत है। यदि आपको आपातकालीन जरूरतों के लिए पैसा नहीं चाहिए तो फिलहाल एसआईपी को बंद करना गलती होगी क्योंकि प्रतिफल बहुत कम मिलेगा।'
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