अपने प्लेटफॉर्म पर निजी लेबलों की बढ़ती मांग को देखते हुए ऑनलाइन ग्रोसरी फर्म बिगबास्केट इनहाउस श्रेणी में चालू वित्त वर्ष के दौरान 200 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है। इस निवेश के जरिये कंपनी अपनी निजी लेबल श्रेणी में कई नई पेशकश करने की प्रक्रिया में है। इस श्रेणी में कंपनी की मौजूदा बिक्री 250 करोड़ रुपये की है जिसे बढ़ाकर मार्च 2022 तक 400 करोड़ रुपये करने की योजना है। फिलहाल कंपनी के कुल राजस्व में निजी लेबल का योगदान करीब 38 फीसदी है। बिगबास्केट के राष्ट्रीय प्रमुख (खरीदारी एवं मर्केंडाइजिंग) सेशु त्रिमुला ने कहा, 'हम अपने निजी लेबल को एफएमसीजी की तरह मानते हैं। ये हमारी रणनीति के अभिन्न अंग हैं जिसे हमने विभिन्न श्रेणियों में काफी सावधानीपूर्वक तैयार की है।' कंपनी अपने निजी लेबल के उत्पादों के भंडारण, साफ-सफाई और पैकेजिंग के लिए क्षमता विस्तार पर 200 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कंपनी आम और केले को पकाने के लिए एक चैम्बर स्थापित करने की योजना बना रही है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में सेब के लिए एक विशेष चैम्बर स्थापित करने की भी योजना है। आलू और प्याज के लिए कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने के अलावा कंपनी देश भर के अपने सभी वितरण केंद्रों पर फल एवं सब्जियों के लिए पैकेजिंग चैम्बर भी स्थापित करेगी। बिगबास्केट उत्तर भारतीय बाजारों के लिए इंदौर में खाद्यान्नों की साफ-सफाई और नए सिरे से पैकेजिंग के लिए एक केंद्र भी स्थापित करेगी। कंपनी फ्रेशो ब्रांड के तहत मांस और अंडों की भी बिक्री करती है और इसलिए वह सभी बाजारों में खुद के बूचडख़ाना भी स्थापित करेगी ताकि उत्पादों की गुणवत्ता पर नजर रखी जा सके। विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भी खुदरा विक्रेता के लिए निजी लेबल के उत्पादों को काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इससे अतिरिक्त मार्जिन मिलता है। थर्डआईसाइट के मुख्य कार्याधिकारी देवांग्शु दत्ता ने कहा, 'बिगबास्केट जैसी कंपनियां स्थापित ग्रोसरी रिटेलरों से कम कीमत के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकती हैं। लेकिन निजी लेबल से उन्हें मुनाफा कमाते हुए प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिलती है।'
