आईबीसी प्रक्रिया में अटक न जाए एजीआर बकाया! | मेघा मनचंदा / नई दिल्ली August 20, 2020 | | | | |
उच्चतम न्यायालय ने दिवालिया प्रक्रिया में सकल समायोजित राजस्व (एजीआर) की बकाया रकम के अटकने पर चिंता जताई है। एजीआर मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने आज कहा, 'हमें इस बात की आशंका है कि एजीआर मद में बकाया पूरी रकम दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता (आईबीसी) प्रक्रिया में उलझ कर रह जाएगी। स्पेक्ट्रम की बिक्री के बाद नया उपयोगकर्ता बकाया रकम नहीं लौटाएगा।'
अदालत ने कहा कि अगर बकाया रकम का भुगतान नहीं होता है तो स्पेक्ट्रम लौटाने होंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि स्पेक्ट्रम का कारोबार और आईबीसी के तहत इसकी बिक्री दोनों एक दूसरे से अलग हैं। दूरसंचार कंपनियां स्पेक्ट्रम का भुगतान किए बिना ही इनका इस्तेमाल कर रही हैं। हमें वर्ष 1999 से आरकॉम और एयरसेटल को आवंटित सभी स्पेक्ट्रम के बारे में दूरसंचार विभाग से पूरा ब्योरा चाहिए। वीडियोकॉन टेलीकॉम के समाधान पेशेवर का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कुमार ने न्यायालय को बताया कि दूरसंचार विभाग के अनुसार कंपनी पर बकाया 1,152 करोड़ रुपये है। कुमार ने कहा कि कारोबार ठप है और समाधान प्रक्रिया भी चल रही है।
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण में दायर अपील में कहा है कि स्पेक्ट्रम से संबंधित बकाया रकम का भुगतान होने तक रिलायंस कम्युनिकेशंस और एयरसेल की समाधान योजना मंजूर नहीं होनी चाहिए। हालांकि दूरसंचार कंपनियों को चरणबद्ध तरीके से बकाया भुगतान की अनुमति देने पर उच्चतम न्यायालय ने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है।
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