फेसबुक के कारोबार पर असर | पीरजादा अबरार / August 19, 2020 | | | | |
भारत में गलत जानकारी और नफरत वाली सामग्री पर फेसबुक प्लेटफॉर्म के नियंत्रण में कमी के संबंध में विवाद झेलने से देश में 'फेसबुक विज्ञापन बहिष्कार' जोर पकडऩे जा रहा है और इसका असर कंपनी के कारोबार पर पडऩे वाला है। विशेषज्ञ यह अनुमान जता रहे हैं। मार्क जुकरबर्ग की अगुआई वाला यह सोशल मीडिया दिग्गज भारत में कांग्रेस और माकपा जैसे राजनीतिक दलों की ओर से हमलों का सामना कर रहा है। वे वॉल स्ट्रीट जर्नल की उस रिपोर्ट के संबंध में संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच के लिए जोर दे रहे हैं जिसमें कहा गया है कि कंपनी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ नेताओं के लिए नफरत वाले भाषण के नियमों को लागू करने से मना दिया था। फेसबुक का कहना है कि वैश्विक स्तर पर उसकी नीतियां राजनीतिक संबंध की परवाह किए बिना लागू की जाती हैं। हालांकि विश्लेषकों के अनुसार इन सभी विवादों से भारत में कंपनी के कारोबारी हितों और कंपनी के ब्रांड पर नकारात्मक प्रभाव पडऩे की आशंका है।
टेकलेजिस एडवोकेट्स ऐंड सोलिसिटर में प्रबंध साझेदार सलमान वारिस ने कहा कि भारत में एयरटेल और अन्य कंपनियों जैसे बड़े भागीदारों द्वारा फेसबुक पर विज्ञापन के लिए (अपने फैसले पर दोबारा गौर करने से) और अधिक कंपनियां वैश्विक स्तर पर फेसबुक विज्ञापन के बहिष्कार में शामिल हो सकती हैं जिसमें वेरिजोन, कोका-कोला, स्टारबक्स, नॉर्थ फेस, आरईआई ओर पैटागोनिया जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां शामिल हैं। तकनीकी नीतिगत थिंक टैंक द डायलॉग के संस्थापक काजिम रिजवी ने कहा कि प्लेटफॉर्म की जवाबदेही सबसे महत्त्वपूर्ण मसलों में से एक है जिससे निपटने की जरूरत है और यह विशेष रूप से लोकतंत्र में हमेशा ही महत्त्वपूर्ण विषय रहा है। रिजवी ने कहा कि घटनाओं के हालिया मोड़ से यह सुनिश्चित करने की काफी जरूरत है कि जब इंटरनेट पर नफरत वाली सामग्री की बात आती हो, तो प्लेटफॉर्म अपनी प्रक्रियाओं और नियमों में पारदर्शी रहें। उन्होंने कहा कि वॉल स्ट्रीट जर्नल के लेख के प्रत्यक्ष परिणामस्वरूप एयरटेल जैसी कंपनियां फेसबुक के साथ अपने विज्ञापन कारोबार के विकल्पों पर फिर से गौर कर रही हैं और निकट भविष्य में इससे जुड़ा विवाद सामने आने के आसार हैं।
लगभग 32.8 करोड़ मासिक उपयोगकर्ताओं के साथ भारत फेसबुक के लिए उपयोगकर्ताओं का सबसे बड़ा केंद्र है, जबकि कंपनी की व्हाट्सएप मेसेजिंग ऐप के देश में 40 करोड़ उपयोगकर्ता हैं जो दुनिया में सबसे अधिक हैं। इसने हाल ही में रिलायंस जियो प्लेटफार्म में 9.99 प्रतिशत की हिस्सेदारी के लिए 5.7 अरब डॉलर का निवेश किया था। इस सौदे का उद्देश्य ई-कॉमर्स और भुगतान के क्षेत्र में रिलायंस के वर्चस्व में मदद करना है। फेसबुक के कुल वार्षिक राजस्व में विज्ञापन का योगदान 70.7 अरब डॉलर रहता है। पिछले साल फेसबुक इंडिया ने 521 करोड़ रुपये के राजस्व की तुलना में 71 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 892 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया था। इसने 31 मार्च, 2019 को समाप्त पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 84 प्रतिशत इजाफे के साथ 105 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया था। विश्लेषकों ने कहा कि कथित नफरत वाले भाषणों के संबंध में मौजूदा राजनीतिक खींचतान के कारोबारी निहितार्थ फेसबुक के लिए बहुत प्रतिकूल साबित हो सकते हैं और अगर संसदीय समिति ताजा मसले पर फेसबुक को समन देती है, तो इससे और अधिक नुकसान हो सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि ब्रांड फर्जी खबरों, पक्षपात, हिंसा और नफरत फैलाने वाली सामग्री प्रायोजित करने वालों (संगठनों के साथ) से जुड़े हुए नहीं दिखना चाहते हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि यह उम्मीद की जाती है कि बड़े मार्केटिंग बजट वाले संगठन फेसबुक पर विज्ञापन रोकने के बाद अपने विज्ञापनों को एमेजॉन, गूगल, यूट्यूब, पिंट्रेस्ट जैसे अन्य प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित कर सकते हैं। बताया जाता है कि कई कंपनियों द्वारा फेसबुक से विज्ञापन वापस लेने और कंपनी के शेयर 8.3 फीसदी गिरने के बाद कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी और सह-संस्थापक मार्क जुकरबर्ग को हाल ही में 7.2 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।
वारिस ने कहा कि भारत में हालिया विवाद के मद्देनजर हमें इस रुख में इजाफे के आसार लगते हैं और इसके नतीजतन मध्य अवधि के दौरान फेसबुक को कुल एक अरब डॉलर के आस-पास या इससे ज्यादा का नुकसान हो सकता है।
विशेषज्ञों ने कहा कि यह स्वीकार करना और आश्वासन देना महत्त्वपूर्ण है कि आगे चलकर ऑनलाइन नफरत वाली सामग्री को हटाने की दिशा में लागू किए गए नियमों के संबंध में और सुधार होगा।
रिजवी का मानना है कि प्लेटफॉर्मों को पारदर्शिता के लिए कोशिश करते रहना चाहिए और नफरत भरी सामग्री को हटाने के संबंध में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जानी चाहिए।
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