डिस्कॉम को कर्ज सीमा में रियायत | श्रेया जय / नई दिल्ली August 19, 2020 | | | | |
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के लिए उधारी सीमा में ढील देने के प्रस्ताव पर आज मंजूरी दे दी। इस कदम से बिजली वितरण कंपनियां बिजली उत्पादकों एवं पारेषण कंपनियों को अपना बकाया चुकाने में सक्षम होंगी। बिजली वितरण कंपनियां उदय योजना के तहत पिछले साल की कार्यशील पूंजी का 25 फीसदी तक ही कर्ज ले सकती थीं। इस तरह के कर्ज वितरण कंपनियों के प्रदर्शन से जुड़े होते थे। यह व्यवस्था बिजली वितरण कंपनियों में वित्तीय अनुशासन लाने के लिए की गई थी। नियमों में ढील से अब वे कार्यशील पूंजी का 25 फीसदी से ज्यादा कर्ज ले सकती हैं।
हालांकि इस कदम सेे पावर फाइनैंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (आरईसी) का कर्ज पोर्टफोलियो और बढ़ जाएगा जबकि इन कंपनियों पर पहले से ही काफी दबाव है और कई रेटिंग एजेंसियों ने 'वॉच' श्रेणी में रखा है। हाल ही में एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने पीएफसी की रेटिंग बीबी+ से घटाकर बीबीबी- कर दी थी।
पीएफसी के कुल कर्ज आवंटन में बिजली वितरण क्षेत्र में 27 फीसदी लगा है, वहीं आरईसी का 44 फीसदी लोन बुक इस क्षेत्र में है। अप्रैल में दोनों कंपनियों के बोर्ड ने घाटे और उच्च एटीऐंडसी हानि वाली बिजली वितरण कंपनियों को कर्ज नहीं देने का प्रस्ताव किया था। लेकिन आत्मनिर्भर ऋण पैकेज के बाद इस प्रस्ताव को टाल दिया गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस पैकेज के तहत 90,000 करोड़ रुपये का ऋण प्रस्तावित किया गया है। इनमें से 68,000 करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकार ने कहा कि पीएफसी और आरईसी ने समान मात्र में ऋण स्वीकृत किए हैं। और ब्याज दर 9 से 10 फीसदी के दायरे में है।
सरकार के बयान में कहा गया है, 'कमजोर मांग और आर्थिक गतिविधियों में नरमी के कारण बिजली क्षेत्र में नकदी की स्थिति में फिलहाल सुधार होने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में बिजली आपूर्ति जारी रखने के लिए इस क्षेत्र को तत्काल नकदी की जरूरत है।' इससे उन राज्यों को भी कर्ज मिल सकता है जो उदय योजनाके तहत तय सीमा से ज्यादा पहले ही कर्ज ले चुके हैं। इस योजना का लाभ उठाने के लिए संबंधित राज्या सरकार के विभागों को डिस्कॉम का पूरा बकाया चुकाना होगा, साथ ही राज्य को ऋणदाताओं को कर्ज के लिए गारंटी भी देनी होगी। जून 2020 तक डिस्कॉम पर 1.13 लाख करोड़ रुपये का बकाया था।
इसके साथ ही मंंत्रिमंडल ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम में हवाई अड्डों को पट्टे पर देने के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी। फरवरी 2019 में प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के बाद पीपीपी मॉडल के माध्यम से अदाणी एंटरप्राइजेज ने छह हवाई अड्डों लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलूरु, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी के परिचालन के अधिकार हासिल किए थे।
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